वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस गोरखपुर को मिलेगा। आधिकारिक स्तर पर इसकी घोषणा भी कर दी गयी है। गीता प्रेस को यह पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक , आर्थिक एवं राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जायेगा।
गीताप्रेस नहीं लेगी राशि
गीता प्रेस के कर्ता - धर्ता ने कहा कि गांधी शांति पुरस्कार के लिए इस प्रेस को नामित किए जाने पर प्रेस परिवार को हर्ष है। लेकिन इसके लिए निर्धारित राशि वे ग्रहण नहीं करेंगे, क्योंकि यह प्रेस के आदर्श के अनुरूप नहीं है
प्रधानमंत्री ने दी बधाई
प्रटधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गीता प्रेस को पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बधाई दी और उसके योगदान की सराहना की है। उन्होंने अपने बधाई संदेश में कहा कि ‘‘ मैं गीताप्रेस , गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किये जाने पर बधाई देता हूं। प्रेस ने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय कार्य किया है।
यह पुरस्कार सामुदायिक क्षेत्रों में किये गये कार्यों की पहचान
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीताप्रेस , गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुनने का फैसला किया। चयन के बाद संस्कृति मंत्रालय ने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने शांति एवं सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में गीता प्रेस के योगदान को स्वीकार किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गीता प्रेस को उसकी स्थापना के सौ साल पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संस्थान द्वारा सामुदायिक सेवा में किये गये कार्यों की पहचान है।
1923 में हुई थी शुरुआत
जानकारी हो कि गीताप्रेस की शुरुआत वर्ष 1923 में गोरखपुर में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। इसने 14 भाषाओं में 41.07 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं , जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं।
गांधीवादी जीवन को सही अर्थों में व्यक्त करता है
प्रधानमंंत्री ने कहा कि गांधी शांति पुरस्कार 2021 मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है , जो गांधीवादी जीवन को सही अर्थों में व्यक्त करता है।’’ गांधी शांति पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है। इसकी शुरुआत सरकार ने 1995 में महात्मा गांधी की 125 वीं जयंती के अवसर पर गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को सम्मान देने के लिए की थी।
मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है चाहे उसकी राष्ट्रीयता , नस्ल , भाषा , जाति , पंथ या लिंग कोई भी हो। मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार में एक करोड़ रुपये , एक प्रशस्ति पत्र , एक पट्टिका दिया जाता है।