प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट ऑफ लेटेन्ट टीबी ट्रीटमेंट विषय पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
मुजफ्फरपुर : किसी के परिवार में टीबी हो तो उसके परिजनों को भी उसके एक्सपोजर की आशंका होती है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि उनके परिवार के सदस्यों की भी टीबी की जांच निश्चित रूप से हो। इसलिए प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट ऑफ लेटेन्ट टीबी ट्रीटमेंट विषय पर सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। ये बातें वर्ल्ड विजन के तरफ से जीत प्रोजेक्ट पर एक निजी होटल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शुक्रवार को सिविल सर्जन डॉ यूसी शर्मा ने कही । उन्होंने कहा कि टीबी के सक्रिय मरीज के परिजनों में अगर टीबी के लक्षण हों, तो उनकी तत्काल जांच करनी चाहिए और इसे एक दिनचर्या की तरह बना लेना चाहिए। इस मौके पर जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ उपेन्द्र चौधरी ने कहा कि टीबी मरीज के परिवार वालों की निरंतर स्क्रीनिंग कराई जाती है। इसमें यह जरूरी है कि पांच वर्ष से ऊपर के परिजनों की एक्स रे जांच भी हो।
86.6 प्रतिशत मरीजों से किया गया संपर्क
सीडीओ उपेन्द्र चौधरी ने बताया कि जिले में 31 दिसंबर तक कुल 6 हजार 940 टीबी मरीज खोजे गए। उनमें से 6 हजार 11 यानी 86.6 प्रतिशत मरीजों से संपर्क किया जा सका है।
आइसोनियाजिड की दी जाती है खुराक
डॉ उपेन्द्र चौधरी ने बताया कि टीबी मरीज के परिजनों को आइसोनियाजिड की दवा दी जाती है, ताकि टीबी के संक्रमण से वह मुक्त रहें। अगर उनके किसी परिजन में टीबी के लक्षण पाए जाते हैं तो उनकी जांच की जाती है। इस कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ यूसी शर्मा, एसीएमओ डॉ एस पी सिंह, डीपीएम रेहान अशरफ, सीडीओ डॉ उपेन्द्र चौधरी, डीएमओ डॉ सतीश कुमार, जीत 2.0 प्रोजेक्ट से वर्ल्ड विजन के राज्य लीड अधिकारी अमरजीत प्रभाकर, दिनकर सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे।