मुजफ्फरपुर : ललित नारायण मिश्र कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेन्ट, मुजफ्फरपुर में गुरुवार को महाविद्यालय की स्थापना के 50वें वर्ष और संस्था के सूत्रधार पं. ललित नारायण मिश्र की 100वें जन्मदिवस पर वार्षिकोत्सव सह ललित जयंती समारोह का आयोजन किया गया। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. हनुमान प्रसाद पाण्डेय की अध्यक्षता में कार्यक्रम का उद्घाटन विधान पार्षद डॉ. संजय कुमार सिंह ने किया।
ज्ञात हो कि महाविद्यालय ने इसी महीने नैक मूल्यांकन प्रक्रिया में बी++ ग्रेड हासिल किया है। छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए देश के प्रख्यात मोटिवेशनल स्पीकर राकेश शांडिल्य भी मंचासीन थे।
मंगलाचरण और मंचासीन अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन के बाद महाविद्यालय के कुलसचिव डॉ. के. एस. शेखर ने सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ और शाल देकर स्वागत किया।
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य ने अपने स्वागत भाषण में विगत 50 वर्षों की गरिमामय यात्रा को वर्णित करते हुए मौजूदा समय में संस्थान के पठन पाठन और स्किलिंग में प्रतिबद्धता दोहराते हुए छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना की।
दो पुरोधाओं की दूरदर्शिता से हुआ संस्थान की स्थापना
डॉ. संजय कुमार सिंह ने ललित बाबू और महाविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. जगन्नाथ मिश्र जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी दूरदर्शिता को नमन किया। उन्होंने कहा कि आज से 50 वर्ष पहले जब हमारा प्रक्षेत्र आर्थिक रूप से अत्यंत ही कमजोर था उस समय में इन दो पुरोधाओं की दूरदर्शिता से संस्थान की स्थापना हो पायी। परिणामस्वरूप आज हमारे क्षेत्र के छात्र भी देश के विभिन्न उद्योगों में कैरियर बनाकर संस्थान का नाम रौशन कर रहे हैं। उन्होंने कुलपति का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि इस महाविद्यालय के विभिन्न कोर्सों की फीस देश के अन्य संस्थानों से काफी कम है। शायद यह संस्थापक बंधुओं की उस मौलिक सोच से प्रेरित है जिसमें उनका जन्म हुआ और वह बाढ़ की विभिषिका की वजह से अत्यंत पिछड़ा था। यहाँ के विद्यार्थियों के लिए मेधा के बावजूद आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अवसर नहीं मिल पा रहे थे। शिक्षण गुणवत्ता को कायम रखते हुए नैक मूल्यांकन में महाविद्यालय ने बी प्लस - प्लस ग्रेड हासिल किया है और महाविद्यालय प्रबंधन को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।
यूजीसी गाइडलाइन के अनुकूल शिक्षक व कर्मचारियों को देता है वेतन
उन्होंने कहा कि छात्रों के हितों के परे कर्मचारी और शिक्षकों को सीमित संसाधनों के बीच यूजीसी समतुल्य वेतनमान देकर संस्थान अपनी क्रियाविधि से ही प्रबंधन का एक नया उदाहरण पेश करता है। उन्होंने कुलपति को संस्थान की उपलब्धियों से अवगत कराते हुए विश्वविद्यालय की सबसे प्रतिष्ठित इकाई के रूप में परिभाषित किया।
वह दिन दूर नहीं, यह महाविद्यालय डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में जाना जायेगा
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. जगन्नाथ मिश्र के साथ दोस्ताना संबंध का संदर्भ देते हुए संस्था के स्थापना की बैठक में अपने होने की बात बतायी। उन्होंने कहा कि आज महाविद्यालय के विशाल रूप को देखकर यह लगता है कि भले ही प्रारंभ में चीजें छोटी हो किन्तु अगर इसे निष्ठा और ईमानदारी से सींचा जाय तो बेहतर रूप हासिल कर सकता है। उन्होंने महाविद्यालय परिवार को शुभकामना देते हुए कहा कि वह दिन दूर नहीं जब यह महाविद्यालय डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में पूरे क्षेत्र में जाना जाएगा। ललित बाबू की कल्पना चिन्ता का आभार वक्त करते हुए कहा कि चाहे यह संस्थान हो या फिर बिहार के विकास की बात, हर जगह वह इसी बात पर नजर रखते थे कि जनमानस के हित का मुद्दा होना चाहिये। उन्हीं के अनुज डॉ. जगन्नाथ मिश्र शिक्षक के सच्चे हितैषी थे। आज महाविद्यालय के शिक्षकों को पेंशन सुविधा उन्हीं के प्रयासों से हासिल है।
मेधावी छात्रों को अपने फंड से देता है मेधा छात्रवृति
कुलपति ने अपने वक्तव्य में ललित बाबू और डॉ. मिश्र की प्रशंसनीय भूमिका बताते हुए कहा कि इस महाविद्यालय की विशिष्टता है जो यह मेघावी छात्रों को अपने फंड से उच्च शिक्षा के लिए मेधा छात्रवृत्ति प्रदान करता है।
छात्रों से आह्वान, टाइम मैनेजमेंट व स्किल मैनेजमेंट पर दें ध्यान
मोटिवेशनल स्पीकर राकेश शान्डिलय ने कहा कि राजनीतिज्ञों में भी यह मोटिवेशन होना चाहिए कि युवाओं की शिक्षा और शिक्षण नीति पर चर्चा पहले हो और चुनावी मुद्दों पर बाद में। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वह टाइम मैनेजमेंट तथा स्कील विकास पर ध्यान दें। अपनी बुरी आदतों को स्वयं पहचाने और समय का उत्पादक प्रयोग करें जिससे परिवार और समाज के साथ स्वयं उमंगपूर्ण तरीके से जीवन जी सकें।
बिहार में हो चुकी है एक नयी क्रांति की शुरुआत
उन्होंने कहा कि बिहार में एक नई क्रान्ति की शुरूआत हो चुकी है और यह आज के छात्रों पर जिम्मेवारी है कि छोटे जीवन काल में भी ललित बाबू की तरह बड़े कार्य कर दें जिससे अपनी आकांक्षाए और परिवारिक प्रतिष्ठा कायम रहे।
वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन डा. आई.बी. लाल ने किया तथा महाविद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया।