मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की संबद्ध इकाई भारती शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, सदातपुर में पदाधिकारियों की क्षेत्रीय बैठक में आयोजित की गई। बैठक में नैक कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व कुलपति रांची केंद्रीय विश्वविद्यालय, प्रो एन के यादव इंदू ने कहा कि अब शैक्षिक संस्थानों को नैक कराना अनिवार्य है। यदि शैक्षिक संस्थान नैक से मान्यता प्राप्त और रैंक नहीं है तो उन्हें यूजीसी फंडिंग, रूसा से अनुदान, वित्तीय सहायता आदि प्राप्त नहीं हो सकती है। सर्वोत्तम नैक ग्रेड वाले संस्थानों को बेहतरीन उच्च शिक्षा संस्थान माना जाता है। पारंपरिक शैक्षिक प्रणाली के विपरीत नैक का लक्ष्य छात्रों को उनकी शिक्षा के माध्यम से कौशल और ज्ञान विकसित करने में मदद करके उनके समग्र विकास में सुधार करना है। नैक का मुख्य उद्देश्य संस्थानों के बीच शिक्षा की गुणवत्ता की स्थिति के बारे में समझ पैदा करना है। अतः शैक्षिक संस्थानों को नैक मूल्यांकन की अनिवार्यता पर बल देना चाहिए।
विधि एवं आचार्य संहिता पर डाला प्रकाश
संस्था के सचिव डॉ ललित किशोर ने कहा कि नैक मूल्यांकन की तैयारी में सात निर्धारित महत्वपूर्ण क्राइटेरिया पर सिलसिलेवार तरीके से काम करने की जरूरत है। उन्होंने नैक मूल्यांकन प्रक्रिया, डॉक्यूमेंटेशन की विधि, एवं आचार संहिता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
विस्तार से डाला प्रकाश
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में केंद्रीय विश्वविद्यालय रांची के प्राध्यापक प्रो राम किशोर सिंह, आदित्य प्रकाश जलान बी.एड कॉलेज रांची के प्राचार्य डॉ रामकेश पांडे, बाजोरिया प्रशिक्षण महाविद्यालय भागलपुर के प्राचार्य राजकुमार ठाकुर ने नैक के सात क्राइटेरिया पर विस्तार से बिंदुवार प्रकाश डाला।
वहीं लोक शिक्षा समिति के प्रदेश सचिव मुकेश नंदन, विद्या भारती के क्षेत्रीय सचिव नकुल शर्मा, संस्थान के अध्यक्ष प्रो सत्यनारायण गुप्ता ने वर्कशॉप में अपने विचार रखे और शिक्षकों एवं कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया।
मौके पर प्रभारी प्राचार्य राजेश कुमार वर्मा, प्रो मिनी कुमारी, प्रो मंजू कुमारी, डॉ सुप्रिया सोनी, जितेंद्र कुमार, डॉ सौरभ कौशिक, प्रो प्रतिमा सिंह, पुस्तकालय अध्यक्ष, परीक्षा नियंत्रक समेत सभी कर्मचारी मौजूद थे।