Thursday, November 21 2024

क्या डाॅ राजभूषण बन पायेंगे मुकेश सहनी का विकल्प!

FIRSTLOOK BIHAR 00:00 AM बिहार

मुजफ्फरपुर : लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरपुर से जीत दर्ज करने वाले राज भूषण चौधरी को केंद्र में राज्य मंत्री बनाया गया है। खास बात यह है कि चौधरी ने पहली बार चुनाव में जीत दर्ज की है। इतना ही नहीं वह मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक सदस्य रह चुके हैं।

वीआइपी छोड़कर थामा था भाजपा का हाथ, बन गए मंत्री

राज भूषण चौधरी 2022 में वीआइपी को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। पांच साल पहले राजनीति के मैदान में उतरने का डा. राज भूषण चौधरी का अनुभव अच्छा नहीं रहा। पहली बार लोकसभा चुनाव 2019 में वे वीआइपी से उम्मीदवार बने और चार लाख नौ हजार के बड़े अंतर से भाजपा के अजय निषाद से हार गए।

हार से हिम्मत नहीं हारी और राजनीति की दिशा को बदला। वीआइपी से 2022 में भाजपा में आए। बताया जाता है कि मुकेश सहनी को कमजोर करने के लिए अजय निषाद ने भी उन्हें भाजपा में शामिल कराने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सांसद अजय निषाद का टिकट काट दिया और राज भूषण चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया । समय का चक्र बदला। बिहार में वोटों के सबसे अधिक अंतर से राजभूषण निषाद ने जीत दर्ज की।

पहली जीत के साथ ही मंत्री पद मिलने से डा. राज भूषण बिहार में भाजपा के निषाद चेहरा भी बन जाएंगे। भाजपा के लिए वह वीआइपी के मुकेश सहनी और कांग्रेस में शामिल हुए अजय निषाद की काट साबित हो सकते हैं। इसी सोच के साथ भाजपा ने राजभूषण निषाद को पहली जीत के साथ यह तोहफा दिया है।

राजभूषण चौधरी की जीवनी के बारे में एक झलक बता दें कि 57 वर्ष के डा. राज भूषण चौधरी पेशे से चिकित्सक हैं। समस्तीपुर के रोसड़ा में उनका अस्पताल है। अब राजभूषण चौधरी के लिए एक बड़ी चुनौती यह है कि वे मुकेश सहनी की काट कैसे बन पाते हैं। मुकेश सहनी, सहनी समाज के बीच अपना बड़ा कद बना चूके हैं। मुकेश सहनी से पहले कैप्टन जयनारायण निषाद बिहार के साथ पूरे देश में सहनी समाज के सबसे बड़े चेहरे के रूप में जाने जाते थे। उनकी राजनीतिक विरासत को उनके पुत्र अजय निषाद ने संभाला। दो बार मुजफ्फरपुर से सांसद भी बने।लेकिन कहीं न कहीं उनमें कुछ कमी रही, जिसका लाभ मुकेश सहनी ने उठाया। मुकेश सहनी का सहनी समाज में बढ़ते कद को देखकर भाजपा ने पहले मुकेश सहनी को अपने गठबंधन में शामिल किया और बगैर चुनाव जीते राज्य सरकार में मंत्री पद देकर विधानपरिषद का सदस्य बनाया। लेकिन मुकेश सहनी भाजपा के काबू में नहीं रहे। जिसके बाद भाजपा ने हरि सहनी को विधानपरिषद का नेतृत्व सौंप सहनी कार्ड खेलने का प्रयास किया। फिर भी मुकेश सहनी अपने समाज में पकड़ बनाए रखे। अब भाजपा ने राजभूषण निषाद को आगे कर मुकेश सहनी के प्रभाव को कम करने का प्रयास किया है। राजभूषण निषाद के सामने यह एक बड़ी चुनौती है कि वे कैसे सहनी समाज में अपनी पैठ बनाकर मुकेश सहनी के प्रभाव को कम कर पाते हैं। इसके लिए उन्हें कैप्टन जयनारायण निषाद के कई फार्मूले को अपनाने के साथ अन्य कई कदम उठाने पड़ सकते हैं। इसलिए राजभूषण निषाद के लिए यह कांटो भरा ताज है।

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