मुजफ्फरपुर : बिहार सरकार में सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रहे ब्रिज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा फैसला आया है। पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत 5 को कोर्ट ने बरी कर दिया है,जबकि लालगंज के पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है । दोनों को कोर्ट ने दोषी करार दिया है।
15 दिनों के अंदर दोनों दोषी अभियुक्त को करना है आत्मसमर्पण माननीय न्यायालय के आदेश से 6 बड़ी दो पर दोष तय
बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाया। साल 1998 में बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी गई थी। अब इस मामले को लेकर जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की बेंच 3 अक्टूबर को फैसला सुनाया। बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी और पूर्व बीजेपी सांसद रमा देवी और सीबीआई की अपील पर फैसला सुनाया गया।
जिसमें लोकसभा के राजद कैंडिडेट मुन्ना शुक्ला को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने दोषी मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है कोर्ट ने अपने फैसले में दोनों को 15 दिन के भीतर सरेंडर करने को कहा है। साथ ही पूर्व सांसद सूरज भान सिंह, राजन तिवारी सहित 6 लोगों को बरी करने का फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने कर दिया था बरी
इससे पहले साल 2014 में इस मामले से जुड़े सभी 8 आरोपियों को पटना हाईकोर्ट से सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। आरोपियों को बरी करने के कोर्ट के फैसले को पत्नी रमा देवी और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी अपील पर 22 अगस्त को सुनवाई की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी समेत आठ आरोपियों को पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था। वहीं, निचली अदालत ने 8 आरोपियों को साल 2009 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
1998 में हुई थी हत्या
मालूम हो कि,पूर्व मंत्री वृज बिहारी प्रसाद की 13 जून 1998 में हत्या हो गई थी। पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सुरक्षा इंतजाम के बीच एके-47 से गोलियां बरसा कर छलनी कर दिया गया था। इसमें बृज बिहारी प्रसाद की मौत हो गई थी। वहीं, पति की मौत के बाद उनकी पत्नी रमा देवी ने लालू यादव और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए थे।
पति की मौत के बाद राजनीति में सक्रिय हुई रमा देवी
इधर, रमा देवी पति की मौत के बाद राजनीति में सक्रिय हुई। उन्होंने पति की मौत के बाद आरजेडी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और 12वीं लोकसभा में सांसद की जिम्मेदारी संभाली। फिर बाद में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली और साल 2009 में बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसी के बाद उन्होंने लगातार 2014 और 2019 में भी जीत का सिलसिला कायम रखा। 2024 के लोकसभा चुनाव में रमा देवी को टिकट से वंचित कर दिया गया।