Tuesday, May 21 2024

कैंसर से संघर्ष करते कमलावती नौकरी भी की और समाज को आइना दिखाने को लिखीं किताब, लोगवा का कही

FIRSTLOOK BIHAR 23:16 PM बिहार

मुजफ्फरपुर : 19 वर्षों से कैंसर और ह्रदय रोग जैसे बीमारी से संघर्ष करते हुए, कोरोना जैसी महामारी में भी निरंतर सेवा देकर मिशाल कायम करने वाली कमलावती देवी गुरुवार को अवकाश प्राप्त हो गयीं।

बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहीं कमलावती देवी वर्ष 2001 में कैंसर रोग के चपेट में आ गयीं। जिसके बाद भी अपने ईलाज के साथ - साथ अपनी नौकरी की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाती रहीं। हमेशा जिम्मेदारी, साहस व धैर्य को बनाये रखीं। अपना ईलाज, बच्चों की देख रेख व नौकरी सब को निभाते हुए समाज में महिलाओं के प्रति सोच को लेकर एक पुस्तक भी लिखी। पुस्तक का नाम दिया है लोगवा का कही ।

चौखट से बाहर नहीं निकलने की मिथक को तोड़ा

1980 - 90 के दशक में भी महिलाओं को चौखट से बाहर पैर नहीं रखने की बातें समाज में कायम थी। लेकिन वे अपने मैके में अपने पिता के द्वारा स्थापित किये गये उच्च विद्यालय से मैट्रिक तक की पढ़ाई व छपरा के राजेन्द्र विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की।

धारणायें तोड़ने का निश्चय

महिलाओं को स्वास्थ्य सेवा की नौकरियां करने को लेकर लोग अक्सर कहा करते थे कि लोगवा का कही । कमलावती ने लोगों की इन धारणाओं को तोड़ने का निश्चय किया। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी समाज को आईना दिखाने की ठानी। सामाजिक मानसिकता पदले और समाज महिला- पुरूषों के बराबरी में अपनी भागीदारी निभाये। कमलावती के पिता एक जमींदार परिवार से आते थे। लेकिन कमलावती छपरा से एएनएम कि प्रशिक्षण लेकर नौकरी मे चली गयी।

जब भारत पाकिस्तान एक था, उस समय इनके ससुर बैधनाथ मिश्रा का जन्म पाकिस्तान के रावलपिंडी में हुआ। और वे वहीं से अपनी तालिम शुरू किये। उसके बाद उनहोंने लंगट सिंह कालेज से साइंस कि पढ़ाई की। भारतीय रेल के जमालपुर रेल कालेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रेलवे में मैकेनिकल इंजीनियर बने।

शिक्षक दिवस पर किताब का विमोचन

कमलावती देवी अपने नौकरी के दौरान ही ठान लीं कि समाज मे महिलाओं को कोई नहीं कहे कि लोगवा का कही। कमलावती देवी बीमारी की पीड़ा व नौकरी की जिम्मेवारियों के साथ समय निकाल कर एक पुस्तक लिखने लगीं। उस पुस्तक का नाम रखीं ( लोगवा का कही) यह पुस्तक महिलाओं और युवाओं को आईना के रूप मे मार्गदर्शन देगी। इसका विमोचन वर्ष 2021 मे शिक्षक दिवस के अवसर पर किया जाने का मुहुर्त है। वे सभी झंझावतों से जूझते हुए साढ़े 35 साल सेवा सरकारी नौकरी में दीं। अवकाश प्राप्त होने पर काफी लोगों ने बधाई दी है।

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