पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने शराबबंदी अभियान को पूर्ण सफल बनाने के लिए काफी सक्रिय और कड़े ऐक्शन में हैं. राज्य में शराबबंदी के बावजूद शराब का कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है. इस अवैध कारोबार में उत्पाद विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत है. इसका खुलासा पटना के एसपी मद्य निषेध ने किया है। पटना के एसपी मद्य निषेध राकेश कुमार सिंहा इसको लेकर ऐक्शन में. शराब के अवैध कारोबार को बंद करने को ठानकर कदम उठाने शुरू कर दिये तो उनका विभाग से तबादला कर दिया गया.
एसपी राकेश कुमार सिंहा ने इस बाबत सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को पत्र लिखा। सोशल मीडिया पर एसपी मद्य निषेध राकेश कुमार सिंहा का एक पत्र तेजी से वायरल हो गया। इस पत्र में राकेश कुमार सिंहा ने सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को लिखा है कि बिहार सरकार ने कानून लाकर बिहार में शराब खरीद बिक्री पर रोक लगाने का प्रयास किया है। इसके बावजूद भी राज्य के सभी थाना क्षेत्र में चोरी-छिपे उत्पाद विभाग में कार्यरत निरीक्षक, अवर निरीक्षक और आरक्षी को चढ़ावा देकर लोग शराब खरीद बिक्री का धंधा कर रहे हैं। इस कार्य में स्थानीय जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं जिसकी वजह से शराबबंदी कानून का खुले तौर पर मजाक उड़ रहा है। पत्र में यह भी लिखा कि राज्य के उत्पाद विभाग के उत्पाद निरीक्षक, अवर निरीक्षक ,आरक्षी और उनके रिश्तेदारों की चल अचल संपत्ति की जांच कराई जाए तो इन लोगों के द्वारा गुमनाम कितनी संपत्ति अर्जित की गई है इसका पता चल जाएगा. बेनामी संपत्ति से सरकारी महकमे में हलचल मच जाएगा। एसपी राकेश कुमार सिंहा ने 6 जनवरी को यह पत्र लिखा था और शराब की खरीद बिक्री में लगे इन अधिकारियों की चल अचल संपत्ति जांच कराने के साथ-साथ इनके मोबाइल लोकेशन और शराब माफियाओं के लोकेशन का मिलान करने की जरूरत भी बताई थी। बताया जाता है आ एसपी राकेश कुमार सिन्हा ने यह पत्र आम लोगों की तरफ से मिल रही शिकायतों के बाद लिखा था. लेकिन पत्र लिखने के एक पखवाड़े के अंदर ही राकेश कुमार सिंहा का तबादला सरकार ने स्पेशल ब्रांच में कर दिया। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि शराब माफियाओं का सरकार पर इतना अधिक पकड़ है कि उत्पाद विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाने वाले एक एसपी का तबादला करवा दिया गया। एसपी मद्य निषेध राकेश कुमार सिंहा ने जनप्रतिनिधियों के भी शराब के इस अवैध कारोबार में शामिल होने की आशंका जताई थी।