Tuesday, May 21 2024

बिहार में निविदा कर्मियों को सरकारी सेवक नहीं माने जाने के सवाल पर दूसरे ही दिन सरकार की ओर से सफाई

FIRSTLOOK BIHAR 22:45 PM बिहार

पटना : संविदा पर बहाल कर्मियों को राज्य सरकार का कर्मचारी नहीं होने और सरकार से कोई दावा नहीं किये जाने की बात बताने वाले बिहार की नीतीश सरकार दूसरे ही दिन सफाई दे दी है. मीडिया में ये ख़बरें आई थीं कि नीतीश सरकार एक महीने का नोटिस या मानदेय देकर कांट्रैक्ट पर बहाल कर्मचारी की सेवा समाप्त कर सकती है. इसपर सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये नियम पहले से है. जिन्हें बहाल किया गया, उन्हें भी इस बात की जानकारी थी कि संविदा कर्मी सरकारी सेवक नहीं है. संविदाकर्मी सरकारी कर्मी नहीं माने जाएंगे जब तक उनकी नियमित नियुक्ति नहीं हो जाएगी.

मीडिया में आई खबरों के बाद सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से इस पूरे मामले पर सफाई दी गयी है. सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया है कि राज्य में कांट्रैक्ट कर्मियों के लिए 1 साल की सेवा की सीमा पहले से तय की गई थी और अब संविदा कर्मियों को राज्य सरकार ने नियमित नियुक्ति में वेटेज देने की सुविधा प्रदान की है. सरकार के इस फैसले से संविदा कर्मियों को लाभ मिलने वाला है .

नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जुलाई 2007 में सरकार ने फैसला किया था और उसमें नियोजित कर्मियों के लिए सेवानिवृत्ति की तिथि और नियमित नियुक्ति होने तक के संविदा नियोजन विभिन्न तरह के अवकाश मानदेय का पुनरीक्षण अनुग्रह अनुदान के साथ-साथ कर्मचारी भविष्य निधि कर्मचारी राज्य बीमा जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी. नियमित नियुक्ति में भी नियोजित कर्मियों को वेटेज की सुविधा नहीं मिलती थी. लेकिन अब सरकार ने इस निर्णय में बदलाव किया है. पूर्व आईएएस अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय कमिटी ने सितंबर 2018 में ही कहा था कि बिहार में पहले से संविदा नियोजित कर्मियों के संविदा नियोजन के पद पर नियमित नहीं होने की स्थिति में उनकी सामान्य सेवानिवृति तक संविदा नियोजन बरक़रार रखने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के अवकाश हर एक साल के मानदेय का पुनरीक्षण, अनुग्रह अनुदान, सेवा अभिलेख का संधारण, यात्रा का खर्च, अपील का प्रावधान, कर्मचारी भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा, काम का वार्षिक मूल्यांकन और नियमित नियुक्ति में अधिमानता की सुविधा उपलब्ध कराई गई.

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