Tuesday, May 21 2024

मुजफ्फरपुर के जाने-माने चिकित्सक डाॅ निशीन्द्र किंजल्क ने की जननायक कर्पूरी ठाकुर के रहस्यमय मौत की जांच की मांग

FIRSTLOOK BIHAR 18:51 PM बिहार

अपनी मौत से पहले कर्पूरी ठाकुर ने जतायी थी हत्या की आशंका, मुख्य सचिव को लिखा था पत्र

मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर के जाने माने चिकित्सक डाॅ निशीन्द्र किंजल्क ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की हुई रहस्यमय मौत की उच्चस्तरीय जांच की मांग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की है। डाॅक्टर किंजल्क ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में बताया है कि अपनी मौत से चार साल पहले 11 सितंबर, 1984 को कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी केके श्रीवास्तव को पत्र लिख कर अपनी हत्या की आशंका जाहिर की थी। एक बार उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर का निधन 64 साल की उम्र में 17 फरवरी, 1988 को हो गया था। तब एक प्रत्यक्षदर्शी ने दावा किया था कि प्राण निकलने से पहले उनके मुंह से झाग निकल रहा था।

उत्तर बिहार जागरण मोर्चा के संयोजक व प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर निशीन्द्र किंजल्क ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भेजकर मांग की है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की रहस्यमय परिस्थितियों में सिर्फ़ 64 वर्ष की उम्र में मौत हो गयी थी। जिसकी उच्च स्तरीय जांच करायी जाये।

कर्पूरी ठाकुर की मौत की जांच की मांग निधन के कुछ ही दिन बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व डाॅ रघुवंश प्रसाद सिंह ने की थी। उन्होंने 22 फरवरी 1988 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पत्र लिखकर रहस्यमय मौत की जांच की मांग की। जिस पत्र की प्रति बिहार के मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद को भी दी।

सवाल उठता है, आखिर इतने सालों बाद भी जननायक कर्पूरी ठाकुर की मौत पर संदेह के बादल क्यों हैं? कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद पत्र-पत्रिकाओं में छपी खबरों में एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से बताया गया था कि प्राण निकलने से पहले कर्पूरी ठाकुर के मुंह से झाग निकल रहा था। पटना में ही एक नेता के यहां उनकी हत्या की साजिश रचे जाने की सूचना कपिल देव सिंह व रामलखन सिंह यादव द्वारा कर्पूरी ठाकुर को दिये जाने की बात भी आई थी। सवाल यह है कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिये जाने की मांग करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मामले की जांच कराकर रहस्यमय मौत पर से पर्दा उठाने की कोशिश करेंगे। भारत रत्न दिये जाने की मांग करने वाले विपक्ष के नेता भी जांच को लेकर सरकार पर दबाव डालने की कोशिश करेंगे। इस रहस्य से तो पर्दा उठना ही चाहिए। डाॅक्टर किंजल्क ने इस मुद्दे को बहुत ही उचित समय पर उठाया है जब जननायक को भारत रत्न दिये जाने की मांग उठ रही है।

डॉक्टर किंजल्क ने कर्पूरी ठाकुर द्वारा तत्कालीन मुख्य सचिव के के श्रीवास्तव को 11 सितंबर 1984 को लिखे गोपनीय पत्र का भी हवाला दिया है जिसमें कर्पूरी ठाकुर ने अपनी जान पर खतरा व किसी षड्यंत्र की आशंका व्यक्त की थी। डाॅक्टर किंजल्क ने इस जांच को तीन महीने में सम्पन्न करवाकर इसकी रिपोर्ट को बिहार की जनता के सामने रखने की भी मांग की है।

डाॅक्टर किंजल्क ने पत्र के दूसरे भाग में काफ़ी अर्से से लम्बित कर्पूरी ठाकुर ग्राम स्व रोज़गार योजना को भी शीघ्र लागू करने की मांग की है। इस योजना के अन्तर्गत पारंपरिक हुनर के माध्यम से जीवन यापन करने वाले मुख्य रूप से अत्यंत पिछड़ा वर्ग व महादलित वर्ग के बेरोज़गार लोगों को प्रशिक्षण व स्वरोज़गार के लिए आर्थिक सहयोग व सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल दिया गया है।

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