Friday, May 17 2024

ग्लेशियर फटने से ऋषिगंगा बिजली परियोजना पानी में बही, राहत कार्य को लेकर उतरी सेना, लापता की तलाशी जारी

FIRSTLOOK BIHAR 23:34 PM खास खबर

वायु सेना के विमान व हेलिकॉप्टर तैयार

कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने रविवार को ग्लेशियर फटने की वजह से उत्तराखंड में आयी प्राकृतिक आपदा से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) की बैठक की अध्यक्षता की। ग्लेशियर फटने से ऋषिगंगा नदी का जल स्तर बढ़ गया, जिससे13.2 मेगावाट की ऋषिगंगा छोटी पनबिजली परियोजना,पानी की तेज धार में बह गयी। अचानक आयी बाढ़ से धौलीगंगा नदी पर तपोवन में एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना भी प्रभावित हुई है।धौलीगंगा अलकनंदा की सहायक नदी है।

कैबिनेट सचिव ने संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे समन्वय के साथ काम करें और राज्य प्रशासन को सभी जरूरी सहायता प्रदान करें। उन्होंने सभी लापता व्यक्तियों की सूची बनाने और सुरंग में फंसे लोगों को जल्द से जल्द बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि बचाव कार्यों के पूरे होने तथा स्थिति के सामान्य होने तक निगरानी जारी रहनी चाहिए।

उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव ने वीसी के माध्यम से समिति को वास्तविक स्थिति के साथ-साथ घटना के बाद लोगों को निकाले जाने और ग्लेशियर फटने के कारण आयी बाढ़ से हुए नुकसान को कम करने के प्रयासों की जानकारी दी।

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नदी के अनुप्रवाह (डाउनस्ट्रीम) क्षेत्रमें बाढ़ का कोई खतरा नहीं है और जल स्तर में वृद्धि को भी नियंत्रित किया गया है। इससे आस-पास के गांवों को भी कोई खतरा नहीं है।केंद्र और राज्य की संबंधित एजेंसियों को स्थिति पर कड़ी निगरानी रखने के लिए कहा गया हैऔर डीआरडीओकी एक टीम, जो हिमस्खलन की निगरानी करती है, को निगरानी व परीक्षण करने के लिए हवाई मार्ग से भेजा जा रहा है। एनटीपीसी के एमडीको प्रभावित स्थल पर तुरंत पहुंचने के लिए कहा गया है।

जानकारी मिली है कि आईटीबीपी ने एक सुरंग में फंसे लगभग 12 व्यक्तियों को बचाया है औए एक अन्य सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के प्रयास जारी हैं। राहत और बचाव के ये प्रयास सेना और आईटीबीपी द्वारा आपसी समन्वय में किये जा रहे हैं। सभी लापता लोगों का पता लगानेव उनकी जानकारी रखने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं।

एनडीआरएफ की 2 टीमें घटनास्थल पर पहुँचने वाली हैं और हिंडन से 3 अतिरिक्त टीमें रवाना की गई हैं जो देर रात घटनास्थल पर पहुंचेंगी। आईटीबीपी के 200 से अधिक जवान घटनास्थल पर मौजूद हैंऔर सेना के एक कॉलम और इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (ईटीएफ) को तैनात किया गया है, जिसके पास सभी बचाव उपकरण हैं। नौसेना के गोताखोरों को हवाई मार्ग से भेजा जा रहा है और भारतीय वायु सेना (आईएएफ)के विमान / हेलीकॉप्टर भी तैयार हैं।

आईएमडी ने बैठक के दौरान जानकारी देते हुए कहा कि अगले दो दिनों तक क्षेत्र में वर्षा की कोई चेतावनी नहीं है।

बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, विद्युत मंत्रालय के सचिव, आईटीबीपी के डीजी, आईडीएस प्रमुख, एनडीएमए के सदस्य, एनडीआरएफके डीजी, सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन,आईएमडीके डीजी और डीआरडीओके चेयरमैन समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। उत्तराखंड के मुख्य सचिव भी अधिकारियों की टीम के साथ बैठक में शामिल हुए।

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