Monday, May 20 2024

खेती - बाड़ी में मशीनीकरण का उपयोग जरूरी, भारत सरकार बढ़ावा देने की कर रही है पहलें

FIRSTLOOK BIHAR 23:17 PM खास खबर

नई दिल्ली : कृषि क्षेत्र में खेती-बाड़ी में मशीनीकरण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फसल उत्पादन के उपयोग में लाई जा रही कार्यप्रणाली की दक्षता और प्रभावोत्‍पादकता में सुधार लाने में योगदान देता है। जिससे फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। यह विभिन्न कृषि कार्यों से जुड़े कठोर परिश्रम को भी कम करता है।

उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए, देश में कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार द्वारा 2014-15 में एक विशेष समर्पित योजना ‘सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन (एसएमएएम) शुरू की गई। इस योजना का उद्देश्य कस्टम हायरिंग सेंटर्स (सीएचसी) की स्थापना के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों (एसएमई) के लिए कृषि मशीनों को सुलभ और सस्ती बनाकर, हाई-टेक और उच्च मूल्य वाले कृषि उपकरण और फार्म मशीनरी बैंकों के लिए केन्‍द्र बनाकर उन लोगों तक पहुंचाना है जिनकी पहुंच से अब तक यह बाहर है। किसान को विभिन्न रियायती कृषि उपकरण और मशीनों का वितरण भी योजना के तहत शामिल गतिविधियों में से एक है। एसएमएफ के लिए कृषि मशीनों की खरीद वित्तीय रूप से संभव नहीं है, इसलिए कस्टम हायरिंग संस्था एसएमएफ को मशीनों का विकल्प किराए पर देने का प्रावधान करती है। मशीन के परिचालन और किसानों और युवाओं तथा अन्‍य के कौशल विकास प्रदर्शन के माध्यम से हितधारकों में जागरूकता पैदा करना भी एसएमएएम के घटक हैं। देश भर में स्थित नामित परीक्षण केंद्रों पर मशीनों का प्रदर्शन परीक्षण और प्रमाणन कृषि मशीनरी को गुणात्मक, प्रभावी और कुशलतापूर्वक सुनिश्चित कर रहा है।

राज्यों और अन्य कार्यान्वयन संस्थानों को इस योजना के तहत 2014-15 से 2020-21 के दौरान, 4556.93 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। अब तक, 13 लाख से अधिक कृषि मशीनों का वितरण किया जा चुका है और 27.5 हजार से अधिक कस्टम हायरिंग संस्थान स्थापित किए गए हैं। वर्ष 2021-22 में एसएमएएम के लिए 1050 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है।

कृषि यंत्रीकरण पर भारत सरकार के कार्यक्रमों और योजनाओं के परिणामस्वरूप विभिन्न कृषि कार्यों को करने के लिए प्रति यूनिट क्षेत्र में कृषि शक्ति की उपलब्धता में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। खेती के लिए बिजली की उपलब्धता 2016-17 में 2.02 किलोवाट/ हेक्टेयर से बढ़कर 2018-19 में 2.49 किलोवाट/ हेक्‍टेयरहो गई। समय के साथ खेती करने के लिए मशीनों को अपनाने में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें फसली क्षेत्र, फसल की तीव्रता और देश के कृषि उत्पादन का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है।

Related Post