Tuesday, May 21 2024

न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन, देश एकीकृत भूमि प्रबंधन सूचना प्रणाली विकसित

FIRSTLOOK BIHAR 23:46 PM खास खबर

नई दिल्ली : भारत सरकार ने वर्ष 2008-09 में डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) शुरू किया था। यानी पूर्ववर्ती राष्ट्रीय भूमि रेकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम को भू अभिलेखों को डिजिटाइज करने और आधुनिकीकरण करने, साथ ही देश में एक पारदर्शी और एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (आईएलआईएमएस) को विकसित किया गया।

भू-अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण की बुनियादी आवश्यकताओं को एक कार्यक्रम के तहत पर्याप्त रूप से विकसित की गई है, यानी रिकॉर्ड ऑफ राइट्स (आरओआर) को 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (देश में कुल 6,58,160 गांवों में से 5,98,290 गांवों) में 90% से अधिक पूरा किया गया। कैडस्ट्राल मैप को 22 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में 90% से अधिक डिजिटलीकरण (कुल 1,60,69,413 नक्शों में से 1,09,10,525 नक्शे) किया गया। पंजीकरण का कम्प्यूटरीकरण 27 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में 90% से अधिक (कुल 5,211 एसआरओ में से 4,784 उप-पंजीयक कार्यालय) पूरा किया गया। लैंड रेकॉर्ड्स के साथ एसआरओ का एकीकरण 19 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों (कुल 5,211 एसआरओ में से 3,844 एसआरओ) में 90% से अधिक पूरा हुआ। वित्तीय वर्ष 2023-24 तक पूरे देश में भू अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण / डिजिटलीकरण को पूरा करना विभाग का लक्ष्य है। डीआईएलआरएमपी के तहत कुछ इनोवेटिव पहल की गई।

राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) - नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए दस्तावेजों और संपत्तियों के पंजीकरण के लिए वन नेशन वन सॉफ्टवेयर कार्यक्रम को शुरू किया गया, जिसे 10 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया, जिनमें अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, दादर और नगर हवेली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, झारखंड, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम और पंजाब शामिल हैं। इससे इन राज्यों के 10.47 करोड़ की आबादी को लाभ प्राप्त हुआ।

इसका लाभ भूमि विवादों में कमी लाने, धोखाधड़ी वाले लेन-देन की जांच करने, संपत्ति पर लेनदेन से संबंधित एसएमएस और ईमेल से अलर्ट करने को लेकर हुआ। इसके तहत बाहरी सिस्टम एकीकरण (यानी डेटा मानकीकरण के लिए ई-साइन, ई-केवाईसी, भुगतान गेटवे, पैन सत्यापन, आरओआर) को जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही विश्व स्तर पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में देश की रैंकिंग में सुधार की उम्मीद है और लोगों को रहने की सहूलियत प्रदान करता है।

विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (यूएलपीआईएल) - प्रत्येक लैंड पार्सल के आधार पर 14 अंकों की अल्फा-न्यूमेरिक यूनिक आईडी जियो संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुरक्षण और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कोड मैनेजमेंट एसोसिएशन (ईसीसीएमए) मानक और ओपन जियोस्पेशियल कंसोर्टियम (ओजीसी) मानकों का अनुपालन करता है। यह अनुकूलता प्रदान करेगा ताकि सभी राज्य इसे आसानी से अपना सकें और एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (आईएलआईएमएस) को विकसित करने की दिशा में भूमि बैंक और लीड विकसित करने में मदद हो सके।

इसका लाभ सभी लेन-देन में विशिष्टता सुनिश्चित करने और भूमि रिकॉर्ड को हमेशा अद्यतित रखने के लिए है। इससे सभी संपत्ति लेनदेन का लिंक स्थापित हो जाता है, सिंगल विंडो के माध्यम से भूमि रिकॉर्ड की नागरिक सेवाओं का वितरण, विभागों में भूमि रिकॉर्ड डेटा को साझा करना, वित्तीय संस्थानों और सभी हितधारकों, डेटा और अनुप्रयोग स्तर पर मानकीकरण विभागों में प्रभावी एकीकरण और अंतर लाएगा।

पायलट परीक्षण 11 राज्यों बिहार, हरियाणा, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, सिक्किम, आंध्र प्रदेश और गोवा में सफलतापूर्वक किया गया है।

Related Post