Friday, May 17 2024

उपेंद्र कुशवाहा : नीतीश शरणम गच्छामि, नीतीश ने तोहफे में दिया जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी

FIRSTLOOK BIHAR 23:25 PM बिहार

उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार से अलग हुए, फिर साथ आये, फिर अलग और एक बार फिर साथ आ गये हैं

पटना : पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का नीतीश कुमार के जदयू में रविवार को विलय हो गया। रालोसपा का जदयू में विलय होने के साथ ही नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होने की घोषणा कर दी।

जदयू के प्रदेश कार्यालय में रालोसपा के जदयू में विलय के क्रम में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ने बड़ा फैसला लिया है। हमारी जवाबदेही बनती है कि उपेंद्र कुशवाहा के कद को देखते हुए उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए इसलिए आज अभी इसी वक्त से उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होंगे।

उपेंद्र कुशवाहा ने विलय से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि हमारे पास सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष के लिए इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था। कुशवाहा ने कहा कि वह नीतीश कुमार की राजनीति के मुरीद रहे हैं। कुशवाहा ने कहा कि इससे ना केवल हमारा संघर्ष मजबूत होगा बल्कि बिहार की राजनीति में हम और ज्यादा सशक्त बनेंगे।

पहले नीतीश कुमार के समता पार्टी में रहे उपेंद्र कुशवाहा फिर जदयू में आये 2004 में पहली बार विधानसभा पहुंचे। कई वरिष्ठ विधायकों की अनदेखी करके कुर्मी और कुशवाहा समीकरण को मजबूती के साथ एक मजबूत राजनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार ने कुशवाहा को बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाया था।

2013 में जदयू से राज्यसभा सदस्य रहे कुशवाहा ने विद्रोही तेवर अपनाते हुए जदयू ने नाता तोड़कर अपनी नई पार्टी रालोसपा का गठन कर लिया । 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा बन गये । उस चुनाव के बाद कुशवाहा को भाजपा नीत नरेंद्र मोदी सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बनाया गया।

जुलाई 2017 में जदयू की राजग में वापसी के बाद नीतीश कुमार से खासे नाराज चल रहे उपेंद्र कुशवाहा फिर एनडीए से गठबंधन तोड़कर राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बन गये।

2019 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा काराकाट और उजियारपुर लोकसभा से चुनाव लड़े , लेकिन दोनों ही जगह से हार गए ।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुशवाहा ने महागठबंधन से भी नाता तोड़ लिया और मायावती की बसपा व एआईएमआईएम के साथ ही छह दलों के साथ नया गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में रालोसपा प्रमुख कुशवाहा को उनके गठबंधन द्वारा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया , लेकिन इनके गठबंधन में शामिल असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में पांच सीट जीती थी, वहीं रालोसपा एक भी सीट नहीं जीत पायी थी। उसके बाद से उपेंद्र कुशवाहा अपनी राजनीतिक जमीन की तलाश में जुटे हुए थे और अंततः फिर नीतीश कुमार की शरण में आ गये हैं।

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