Tuesday, May 21 2024

सीतामढ़ी डीएम ने कहा, प्रगतिशील किसान एवं वैज्ञानिक मिलन से आधुनिक व वैज्ञानिक खेती को मिलेगा बढ़ावा

FIRSTLOOK BIHAR 09:02 AM बिहार

सीतामढ़ी : सीतामढ़ी समाहरणालय स्थित परिचर्चा भवन में बुधवार को दो दिवसीय किसान मेला सह प्रदर्शनी एवं कृषक वैज्ञानिक मिलन समारोह का आयोजन किया गया । जिसका उद्घाटन जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया।अपने संबोधन में जिलाधिकारी ने कहा कि प्रगतिशील किसान एवं कृषि वैज्ञानिक मिलन से जिले में आधुनिक एवं वैज्ञानिक कृषि को बढ़ावा मिलेगा।आधुनिक कृषि तकनीक एवं यंत्रो के प्रयोग से एक तरफ जहाँ उत्पादन लागत काफी कम होगी वहीं उत्पादन में भी वृद्धि होगी,जिससे स्वभाविक रूप जिले के किसानों की आय में वृद्धि होगी।उन्होंने कहा कि जिले के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि पढ़े लिखे युवा भी कृषि से जुड़कर आधुनिक तरीके से किसानी कर रहे है। उन्होंने प्रगतिशील किसान राज किशोर महतो,अभिषेक आनंद,आदि की जमकर तारीफ किया। उन्होंने राजकिशोर महतो के पराली प्रबंधन की भूरी भूरी प्रशंसा भी किया।

रीगा प्रखंड के मेहसिया पंचायत में कार्यरत किसान सलाहकार राज किशोर महतो जो स्वयं एक प्रगतिशील किसान हैं ने अपने गृह पंचायत रेवासी के कटहरी गांव में एक अभिनव प्रयोग किया है। वे फसल अवशेष (पुआल) को खेतों में न जलाकर उसे चारा कुट्टी मशीन से काटकर उसे खेत में ही बिछा देते हैं। उसके बाद उसमें गेहूं अन्य फसलों की खेती जीरो टिलेज मशीन से करते हैं। बाद में फसल पर वेस्ट डी कंपोजर का छिड़काव करते हैं, जिससे फसल अवशेष ऑर्गेनिक खाद में परिवर्तित हो जाता है, जिस कारण रसायनिक उर्वरक का प्रयोग बहुत ही कम मात्रा में करना पड़ता है।

गौरतलब हो कि फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते हैं। साथ ही जैविक कार्बन, जो पहले से ही हमारी मिट्टी में कम है और भी जलकर नष्ट हो जाता है। फल स्वरुप मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है ।

पुआल जलाने से मानव स्वास्थ्य पर भी नुकसान होता है, जैसे सांस लेने में तकलीफ ,नाक में तकलीफ, आंखों में जलन, गले की समस्या। एक टन पुआल जलाने से वातावरण को भी काफी नुकसान होता है, जिसके कारण 3 किलोग्राम पार्टिकुलेट मैटर, 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड, 1460 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड, 199 किलोग्राम राख, 2 किलोग्राम सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जित होता है।कृषि वैज्ञानिक ने समेकित कृषि प्रणाली के महत्व पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला। कार्यक्रम में कृषि यंत्रीकरण योजना पर भी विस्तार से जानकारी दी गई,साथ ही कृषि एवं उससे संबंधित विभागों द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की भी जानकारी दी गई एवं बुकलेट आदि का भी वितरण किया गया।

डॉ सुमित कुमार सिंह,सहायक प्राध्यापक,कृषि महाविद्यालय ढोली,डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विद्यालय पूसा,डॉ सरोज कुमार यादव,मृदा विज्ञान विशेषज्ञ आदि ने कृषि के आधुनिक तरीको एवं यंत्रीकरण पर विस्तार से प्रकाश डाला। कृषि मेला में किसानों ने अनुदानित दर पर कृषि यंत्रों का क्रय भी किया। जिले के प्रगतिशील किसानों विशेषकर महिला किसानों द्वारा मशरूम,सब्जी आदि के स्टॉल पर खरीददारों की भीड़ उमड़ पड़ी।उन्नत मछली के बीज के स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र रहा।

जीविका दीदियों का फूड स्टॉल लिट्टी-घुघनी पर भी काफी भीड़ देखी गई।लीची बागानों में मासिक उद्यानिक क्रियाएं के कलेंडर का लोकार्पण भी जिलाधिकारी द्वारा किया गया।कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त सहित कई वरीय अधिकारी ने भाग लिया।

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