Tuesday, May 21 2024

कंबाइंड हार्वेस्टर चलाने के लिए लेना होगा जिला पास

FIRSTLOOK BIHAR 08:55 AM बिहार

पराली जलाने वाले किसानों को किया जाएगा चिन्हित

सीतामढ़ी : फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर कृषि विभाग, बिहार के सचिव एन श्रवण कुमार ने सीतामढ़ी सहित बिहार के सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की।

बैठक में कृषि विभाग,बिहार सरकार के निदेशक आदेश तितरमारे ने बताया कि सरकार द्वारा 10 जून 2019 को प्रत्येक जिले के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय अंतर विभागीय कार्य समूह का गठन किया गया था। जिसके सदस्य सचिव जिला कृषि पदाधिकारी हैं। वर्ष में दो बार खरीफ एवं रबी फसल कटनी के पूर्व इस समूह की बैठक किया जाना है। इस समूह के कार्य मे खरीफ एवं रबी फसल कटनी के पश्चात खेतों में अवशेष पराली को जलाने से रोकना भी है।

उन्होंने कहा कि फसल कटनी के लिए जब से कंबाइंड हार्वेस्टर का प्रयोग बढ़ा है तब से कृषकों द्वारा फसल अवशेष को खेत में जलाने की प्रवृत्ति विकसित हुई है, जो मिट्टी की उर्वरकता एवं पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है। यह समस्या पहले शाहाबाद क्षेत्र में उत्पन्न हुई और अब धीरे-धीरे पटना, सारण होते हुए राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया है।

कृषि विभाग ने अब कंबाइड हार्वेस्टर को चलाने के लिए उसके मालिक/ ड्राइवर को अपने जिलाधिकारी से पास लेना अनिवार्य कर दिया है। और उन्हें पास इस शर्त के साथ दी जाएगी कि जिन खेतों में वह फसल कटनी करेगी, उन खेतों में फसल अवशेष (पराली) नहीं जलाया जाएगा। यदि उन खेतों में फसल अवशेष जलाने की सूचना मिलेगी तो उनके पास रद्द कर दिए जाएंगे। बिना पास का कोई भी कंबाइंड हार्वेस्टर नहीं चलेगा। साथी ही जिस किसान द्वारा अपने क्षेत्र में पराली जलाया जाएगा उन किसानों का कृषि विभाग के (डीबीटी) प्रत्यक्ष लाभ अंतरण पोर्टेल पर 3 साल तक के लिए पंजीकरण से वंचित कर दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि विगत वर्ष 2020 में 2138 किसानों को चिन्हित किया गया है। जिनमें सबसे अधिक रोहतास के 528 किसान शामिल हैं। उन सबों को 3 साल तक के लिए कृषि योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया गया है।

बैठक को संबोधित करते हुए कृषि विभाग, बिहार के सचिव ने कहा कि बिहार में लगभग 2000 कंबाइंड हार्वेस्टर है। कैमूर, बक्सर, नवादा,रोहतास, गोपालगंज एवं भोजपुर में इसकी संख्या सर्वाधिक है। उन्होंने सभी जिलाधिकारी से वैसे किसानों, प्रखंडों एवं पंचायतों को कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार के माध्यम से चिन्हित करवाने को कहा जिनके द्वारा और जहां पराली जलाने की घटना पाई गयी हो। साथ ही वैसे किसान सलाहकार या कृषि समन्वयक, जो पराली जलाने की सूचना ससमय उपलब्ध नहीं कराते हैं, के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।

उन्होंने कहा कि कंबाइंड हार्वेस्टर के द्वारा फसल के ऊपरी भाग को ही काटा जाता है नीचे का हिस्सा खेत में रह जाता है। कंबाइड हार्वेस्टर के चालक ज्यादातर पंजाब से सिख कर आए हैं और उनके द्वारा यह गलत सुझाव दिया जाता है कि खेत के फसल अवशेष (पराली) को जलाने से जमीन की उर्वरकता कि शक्ति बढ़ जाती है।

जबकि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति घट जाती है एवं पर्यावरण प्रदूषित होता है। कंबाइंड हार्वेस्टर के साथ एक और मशीन एस्ट्रो मैनेजमेंट सिस्टम(एसएमएस) जोड़ा जाता है जो पीछे से फसल अवशेष की कटनी करते जाता है। यहां के कंबाइन हार्वेस्टर के मालिकों द्वारा एसएमएस नहीं जोड़ा जाता है जिसके कारण फसल अवशेष नहीं कट पाता है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष के साथ खेत की जुताई भी की जा सकती है।

कृषि विश्व विद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा यह प्रयोग किया गया है कि फसल अवशेष रहने पर भी अगली खेती की जा सकती है। और वहां कुछ खास क्षेत्रों में विगत 10 वर्षों से ऐसी खेती की जा रही है। उनके अनुसार खेती के लिए खेत की जुताई आवश्यक नहीं है, बिना जुताई किये भी खेती की जा सकती है और पैदावार भी अच्छी होती है। उन्होंने सभी जिलाधिकारी को इसके लिए किसानों के बीच जागरूकता लाने के लिए प्रचार प्रसार कराने का सुझाव दिया।

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