गया : बिहार के गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष, मगही एवं हिन्दी के प्रखर कवि, व्यंग्यकार और पुराने साहित्यकार मणिलाल आत्मज का निधन हृदय गति रुक जाने से हो गया। उनका जन्म 1946 में हुआ था।
गया चौक के पुराने व्यवसायी सूरज प्रसाद गुप्ता के ज्येष्ठ पुत्र मणिलाल आत्मज औषधीय व्यापार से जुड़े हुए थे। इसके साथ ही साथ वे कहानी, निबंध, हास्य व्यंग और मगही तथा हिन्दी में कविता भी किया करते थे। इन्हीं कर्म कृत्यों के कारण आत्मज जी को गया जिला प्रशासन, गया गौशाला समिति और गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा सम्मानित भी किया गया था।
मणिलाल आत्मज जितने अच्छे कवि साहित्यकार थे उतने ही अच्छे व्यतित्व के भी स्वामी थे। जो नवस्थापित कवि साहित्यकारों के लिए एक सहारा के रूप में स्थापित रहे। गया और गया शहर के बाहर की साहित्यिक संस्थाओं को इन्होनें समय-समय पर आर्थिक सहयोग प्रदान कर उसे व्यवस्थित और खड़ा करने में महनीय योगदान दिया है। इनकी रचनाएं भले ही व्यंग्यात्मक होती है पर उससे अधिक सामाजिक सरोकार के पूट भरे पड़े होते हैं। समाज सेवा भी इनकी एक मुखर विशेषता रही जिसके कारण इनकी पहचान गया नगर के क्षेत्रों में प्रारंभिक काल से बनी रही। कविता पढ़ने की प्रस्तुति इस प्रकार से होती थी कि लोग तन मन से इनकी कविता के श्रवण का आनंद लेते थे।
उनके निधन पर हिंदी साहित्य सम्मेलन गया जिला के सभापति सुरेंद्र सिंह भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहते हैं कि आत्मज जी गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के एक स्थाई स्तंभ थे। उनकी कमी सदैव सम्मेलन में खलती रहेगी। निधन पर संगीतज्ञ पं. राजन सिंजुआर , चिकित्सक डॉ. पप्पू तरुण, बालेश्वर शर्मा ,उदय सिंह, पूर्व सभापति डॉ रामकृष्ण, कवि-शायर खालिद हुसैन परदेसी, मुद्रिका सिंह, जैनेंद्र कुमार मालवीय, नीरज कुमार,राम परिखा सिंह, जयराम कुमार सत्यार्थी, संजीत कुमार, विषधर शंकर, विनोद कुमार, मुकेश कुमार सिन्हा, पल्लवी जोशी, डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ,अश्वनी कुमार अभयानंद मिश्र , गजेंद्र लाल अधीर,रामावतार सिंह, राजीव रंजन, अमित कुमार आदि साहित्य सेवकों ने गहरा दुःख प्रकट किया है।
वे अपने पीछे भरे पूरे परिवार छोड़कर जाने वाले मणिलाल आत्माज जी की अंत्येष्टि श्री विष्णु श्मशान में शनिवार की सुबह में कोरोना संक्रमण काल के नियम के साथ की गई।