काठमांडू : नेपाल में केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के दौरान राष्ट्रपति द्वारा पढ़ाये जा रहे शब्दों को छोड़ कर शपथ ली। ओली ने एक तरह से यह करके राष्ट्रपति का अपमान किया। यह मामला नेपाल में तूल पकड़ लिया है। इस मामले में ओली विवादों में घिर गये हैं। इस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चार रिट याचिकाएं दायर की गई , जिसमें प्रधानमंत्री श्री ओली को फिर से शपथ दिलाने का अनुरोध किया गया है। याचिकाओं में कहा गया है कि उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बोले गए सभी शब्दों को नहीं दोहरा कर राष्ट्रपति पद का अपमान किया है।
राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने पिछले शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन , शीतल निवास में आयोजित एक समारोह में ओली को प्रधानमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई । शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जब राष्ट्रपति ने शब्द शपथ के अलावा भगवान के नाम पर बोला तो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के 69 वर्षीय अध्यक्ष श्री ओली ने उन शब्दों को छोड़ दिया। राष्ट्रपति भंडारी ने जब ईश्वर , देश और लोगों का उल्लेख किया तो तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनने वाले श्री ओली ने कहा, मैं देश और लोगों के नाम पर शपथ लूंगा।
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार सभी चार रिट याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया है कि वे पुनः पद और गोपनीयता की शपथ लें क्योंकि शुक्रवार को ली गई शपथ असंवैधानिक और राष्ट्र विरोधी है।
वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रकांता ग्यावली , अधिवक्ता लोकेंद्र ओली और केशर जंग के. सी. ने एक संयुक्त रिट याचिका दायर की है जबकि अधिवक्ता राज कुमार सुवाल , संतोष भंडारी और नवराज़ अधिकारी ने इसी मुद्दे पर अलग - अलग रिट याचिका दायर की है। खबर के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह ओली को फिर से शपथ लेने का निर्देश दे और उनके फिर से शपथ लेने तक उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने से रोके।