Friday, May 17 2024

सीतामढ़ी डीएम ने कहा, एईएस से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान को तेज करें

FIRSTLOOK BIHAR 09:13 AM बिहार

सीतामढ़ी : सीतामढ़ी जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक के निर्देशानुसार जेई एवं एईएस को लेकर समाहरणालय में स्वास्थ्य, शिक्षा, आईसीडीएस, जीविका आदि विभागों के वरीय पदाधिकारियों के साथ बैठक कर कई दिशा निर्देश दिए। समीक्षा के क्रम उन्होंने एक सप्ताह के अंदर सदर अस्पताल स्थित 100 बेड की क्षमता वाली मातृ-शिशु अस्पताल को शुरू करने का भी निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि जेई एवम एईएस को लेकर चलाये जा रहे समस्त गतिविधियों की मॉनिटरिंग डीडीसी तरनजोत सिंह( भाप्रसे ) द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा कि व्यापक जागरूकता एवम ससमय इलाज के द्वारा हम पूर्ण रूप से चमकी को नियंत्रित कर सकते है। डीएम ने कहा कि अब तक चमकी बुखार के नानपुर में एक, बेलसंड में एक और रुन्नीसैदपुर में दो कुल चार मामले जिले में आये है, जिसे ससमय इलाज के द्वारा पूर्ण रूप से ठीक कर लिया गया है। उन्होंने निर्देश दिया कि एक बार पुनः सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अपने अपने संबधित आशा, एएनएम,आदि को वर्चुअल माध्यम से चमकी बुखार से सबंधित उन्मुखीकरण कार्यक्रम जरूर करें। उन्होंने जिला परिवहन पदाधिकारी को निर्देश दिया कि मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना अंतर्गत टैग वाहनों की सतत मॉनिटरिंग करे ताकि पीड़ित बच्चे को ससमय इलाज हेतु नजदीकी अस्पताल में पहुँचाया जा सके। उन्होंने ऐसे सभी वाहनों को तत्काल भुगतान देने का भी निर्देश दिया।

डीएम ने कहा कि चमकी बुखार को लेकर क्या करें एवम क्या नही करें से संबधित बातों को आंगनबाड़ी सेविका/सहायिका, आशा एवम जीविका दीदियां अपने-अपने क्षेत्र में व्यापक प्रचार प्रसार करें। पंपलेट ,बैनर,फ्लैक्स आदि के माध्यम से भी जागरूकता का निर्देश डीएम द्वारा दिया गया।उन्होंने कहा कि अच्छे कार्य करने वाले अधिकारियों एवम कर्मी को पुरस्कृत किया जाएगा। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि चमकी बुखार से प्रभावित क्षेत्रो के लोगो की सामाजिक-आर्थिक सर्वे कर उन्हें राशन कार्ड,आवास,बच्चों को आंगनबाड़ी की सुविधाएं,ससमय एम्बुलेंस की उपलब्धता आदि की व्यवस्था करें, ताकि चमकी बुखार को जिले से समाप्त किया जा सके।समीक्षा के क्रम में यह पाया गया की सभी अस्पतालों में चमकी बुखार को लेकर बेड सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि चार विशेष रूप से प्रभावित प्रखंडो यथा रुन्नीसैदपुर, डुमरा,सोनवर्षा एवम नानपुर में वरीय अधिकारियों को मोनिटरिंग की जबाबदेही दी गई है। एम्बुलेंस के अतिरिक्त मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के लगभग 1100 वाहनों को भी टैग किया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह एक गंभीर बीमारी है जो ससमय इलाज से पूरी तरह से ठीक हो सकती है। अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में यह बीमारी फैलती है। 1 से 15 वर्ष तक के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं।

मस्तिष्क ज्वर के लक्षण

सर दर्द, तेज बुखार आना जो पांच 7 दिनों से ज्यादा का ना हो। पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना। बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक ना होना। शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना। अर्थ चेतना एवं मरीज में पहचानने की क्षमता नहीं होना/ भ्रम की स्थिति में होना /बच्चे का बेहोश हो जाना आदि प्रमुख लक्षण है। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण है कि मरीज को ससमय चिकित्सा उपलब्ध करवाना। चिकित्सीय परामर्श में विलंब के कारण मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है।

सामान्य उपचार एवं सावधानियां

अपने बच्चों को तेज धूप से बचाए, गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू,पानी, चीनी का घोल पिलाएं, रात में बच्चों को भरपेट खाना खिला कर ही सुलाएं, अपने बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं।

क्या करें

तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछे एवं पंखा से हवा करें ताकि बुखार 100 डिग्री से कम हो सके, चमकी आने की दशा में मरीज को बाएं या दाएं करवट में लिटा कर ले जाए, बच्चे के शरीर से कपड़े हटा ले एवं गर्दन सीधा रखें, अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से पोछे, जिससे कि सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो, तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंखों को पट्टी या कपड़े से ढके, यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओ आर एस का घोल बनाकर पिलाएं।

क्या ना करें

बच्चे को खाली पेट लीची या फल ना खिलाए, अधपके अथवा कच्चे लीची या फल के सेवन से बचें, बच्चे को कंबल या गर्म कपड़े में ना लपेटे, बच्चे की नाक बंद नहीं करें, बेहोशी/ मिर्गी की अवस्था में बच्चे के मुंह से कुछ भी ना दे, बच्चे का गर्दन झुका हुआ नहीं रखें, चुकीं यह दैविक प्रकोप नहीं है बल्कि अत्यधिक गर्मी एवं नमी के कारण होने वाली बीमारी है अतः बच्चे के इलाज में ओझा गुनी में समय नष्ट ना करें, मरीज के बिस्तर पर ना बैठे तथा मरीज को बिना वजह तंग ना करें, ध्यान रहे कि मरीज के पास शोर ना हो और शांत वातावरण बनाए रखें.

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