Tuesday, May 21 2024

डाॅ जग्रनाथ मिश्र को राज्य के सभी वर्गों की पीड़ा का एहसास था : नीतीश मिश्रा

FIRSTLOOK BIHAR 21:17 PM बिहार

मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर स्थिति ललित नारायण मिश्र काॅलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेन्ट की ओर से महाविद्यालय के संस्थापक डाॅ जगन्नाथ मिश्र की 84वीं जयन्ती पर संस्थापक दिवस का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर पूर्व मंत्री सह झंझारपुर के विधायक नीतीश मिश्रा, संस्थान के कुलसचिव डाॅ केएस शेखर, सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने महाविद्यालय प्रांगण में स्थापित डाॅ जगन्नाथ मिश्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इस अवसर पर उपस्थित पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा ने महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण करते हुए कहा कि डाॅ मिश्र को राज्य के सभी वर्गों की पीड़ा का एहसास था। उन्होंने इस संवेदना से प्रेरित होकर सामाजिक सुरक्षा पेंशन, दलित शिक्षा छात्रवृत्ति, अन्तरजातीय विवाह हेतु अनुदान जैसी जन सेवा योजना को प्रश्रय दिया। साथ ही शिक्षा, प्रशासन एवं औद्योगिक विकास हेतु उनके नीति निर्णय राज्य के समेकित विकास में आज भी मील के पत्थर समान स्थापित हैं।

इंटरनेट व साइबर स्पेस हमें चौथीऔद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप अनेक वृहद अवसर प्रदान करता है : डाॅ सिंहा

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रांगण में संस्थान के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेन्ट द्वारा चैलेंजेज इन मैनेजमेन्ट एजुकेशन ऑफ बिहार इन न्यू नाॅर्मल विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में प्रो (डाॅ ) नन्द किशोर सिन्हा, कुलपति, हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड ने सहभाग किया।

डाॅ सिन्हा ने देश के भीतर मैनेजमेन्ट एजुकेशन की विकास-यात्रा का वर्णन करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 से संदर्भित तथ्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मैनेजमेन्ट एजुकेशन इंटिलेकचुअल प्रापर्टी, सृजनशीलता और नवाचार को प्रोत्साहित करती है। नई शिक्षा नीति, 2020 की अनुशंसाओं के आधार पर विद्यार्थियों में पढ़ाई के दौरान प्रैक्टिस सेशन और वैल्यू एजुकेशन द्वारा दी जा सकती है।

उन्होंने इस वैश्विक महामारी के संकट काल में शिक्षक, शिक्षण संस्थान और छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि इंटरनेट और साईवर स्पेस हमें चौथी औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप अनेक वृहत अवसर प्रदान करता है। जिसका उपयोग हमें अपने विशिष्ट दक्षता, यथार्थपूर्ण मुद्दे के समाधान और शैक्षणिक माहौल के परिवर्तन में उपयोग करना है।

औद्योगिक विकास व गुणवत्तापूर्ण संस्थान का राज्य में अभाव

संभाषण के अंतिम चरण में बिहार के मैनेजमेन्ट एजुकेशन की चर्चा करते हुए बताया कि राज्य के संस्थानों में दाखिल विद्यार्थियों की संख्या नगण्य है जबकि 21-25 वर्ष के युवा की कुल राष्ट्रीय जनसंख्या का लगभग 8 प्रतिशत बिहार में निवास करता है। इसके कारणों की विवेचना करते हुए उन्होंने कहा कि धीमे औद्योगिक विकास और गुणवत्तापूर्ण संस्थान का राज्य में अभाव है। राज्य सरकार को उसकी उन्नति हेतु पहल करनी चाहिए। सत्र का धन्यवाद ज्ञापन डाॅ विभवेन्द्र पाठक ने किया।

एआई गलत सूचनाओं को रोकने में सहायक :

संस्थान के फैकल्टी ऑफ इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलाॅजी द्वारा रोल ऑफ इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलाॅजी इन कोविड पैंडेंमिक फाॅर रूरल बिहार विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में कुन्दन कुमार लाल, अध्यक्ष, वित्तीय फाउंडेशन एवं डाॅ मनीष कुमार, प्राचार्य, वीवीआईटी, पूर्णिया सम्मिलित हुए।

डाॅ आईबी लाल ने वक्ताओं का स्वागत करते हुए उन्हें अपने ब्याख्यान के लिए आमंत्रित किया। डाॅ मनीष ने महामारी नियंत्रण में तकनीक की जरूरतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आमजीवन में भी तकनीक का उपयोग गतिशीलता और सरलता प्रदान करती है। आरोग्य सेतु एप एवं कोविन एप का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि तकनीक की क्षमता विशाल जनसंख्या को संकट से उबारने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार भी कर रही है। कुन्दन लाल ने वैश्विक महामारी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह तकनीक महामारी में वैक्सिन विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि एआई गलत सूचनाओं के फैलाव को रोकने में भी बहुत सहायक सिद्ध हो रहा है। वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन डाॅ शाह सलामत अली रिजवी ने किया।

साथ ही अध्यापक शिक्षा के संदर्भ में नई शिक्षा नीति 2020 की विशेषताएं और चुनौतियाँ विषय पर भी वेबिनार आयोजन किया गया जिसमें प्रमुख रूप से प्रो मधु कुशवाहा, बीएचयू, वाराणसी, डाॅ रविकान्त, एसोसिएट प्रोफेसर, सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, बोध गया तथा डाॅ अशफाक अंजुम, रिटायर्ड प्रोफेसर, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी की गरिमामयी उपस्थिति रही।

प्रो कुशवाहा ने अपने वक्तव्य में क्रियान्वयन कार्यक्रम की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा में चुनौतियों का सामना करने के लिए अरली चाईल्डहूड केयर की बात की। उन्होंने राईट टू एजुकेशन, 2009 में रिफाॅर्म करने की सलाह देते हुए त्रिभाषा फार्मूला को अपनाने में कठिनाईयों की चर्चा की। डाॅ अशफाक अंजुम ने शिक्षाजगत के वास्तविकताओं पर प्रकाश डालते हुए शिक्षकों की समस्याएं और समाधान सम्बन्धी सम्यक प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी भी नीति की सफलता उसके सफल क्रियान्वयन पर निर्भर करती है।

डाॅ रविकान्त ने शिक्षा और राजनीति को एक सिक्के के दो पहलू बताया। उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा नीतियों की उपेक्षा नहीं बल्कि उनके क्रियान्वयन के लिए कौशलयुक्त होना पड़ेगा। सत्र का धन्यवाद ज्ञापन डाॅ विनय कुमार ने किया। पूरे कार्यक्रम में महाविद्यालय के कुलसचिव डाॅ केएस शैखर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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