मुजफ्फरपुर : प्रदेश की जनता का नब्ज टटोलने को फिलहाल सांसद चिराग पासवान अपने पिता एवं लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक दिवंगत राम बिलास पासवान के ब्रांड साबित होते दिख रहे हैं । वैसे सदन मे नंबर गेम के महत्व होने का लाभ निश्चित रूप से दलित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को अपनी पार्टी के पाँच एमपी के बूते मिला और वे केंद्रीय मंत्रीमंडल मे शामिल हुए ।
चाचा और भतीजा के बीच जारी रहेगा जंग
इस पूरे प्रकरण में नेपथ्य में किसकी भूमिका थी, यह किसी से छिपा नही है । बावजूद, चाचा और भतीजा के बीच एक दूसरे को असली - नकली उत्तराधिकारी साबित करने का जंग अभी जारी रहेगा । दूसरी ओर राजनीतिक लाभ लेने की मंशा पाले राजद, चिराग को अपने महागठबंधन मे शामिल करने हेतु काक चेस्टा वको ध्यानम लगाए हुए है, पर जमूई से लोजपा सांसद के निहायत ही करीबी लोग इस बात को महज अटकलबाजी मानते हैं ।
दो राजनीतिक महत्वाकांक्षी युवाओं के बीच तत्काल समझौता हो यह संभव नहीं दिख रहा
वैसे भी दो युवा महात्वाकांक्षी नेताओं ( तेजस्वी और चिराग ) के बीच नेतृत्व को लेकर कोई समझौता हो पाएगा, यह फिलहाल नजर नही आता । दरअसल बिहार मे दलित महादलित के कुल 18 फीसद वोट मे 5 फीसद वोट की भागीदारी लोजपा के आधार वोट की है । लोजपा के इस वोट बैंक के नफा-नुकसान का अनुभव गत विधानसभा चुनाव मे कई राजनीतिक दल या गठबंधन कर चुके हैं । अगर हाल मे हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार या फेरबदल की चर्चा करें तो राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा नेतृत्व ने मंत्रिपरिषद में जदयू खाते के दो सीट में से एक सहमति के आधार पर पशुपति कुमार पारस को दे कर एक कूटनीतिक चाल चली है ।
जदयू के महत्वाकांक्षी सांसदों को संतुष्ट करने की जिम्मेदारी नीतीश पर
अब इस मुद्दे पर जदयू के महत्वाकांक्षी सांसदों को संतुष्ट करने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की है ।दुसरी ओर केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के लिए लोजपा के परंपरागत वोट को अपनी ओर आकर्षित करने की एक बड़ी चुनौती है । वैसे चिराग पासवान अपनी पार्टी के संगठन को मजबूत करने एवं अपने चाचा को विश्वासघाती साबित कर सहानुभूति अर्जित करने हेतु राज्य के सभी जिला का भ्रमण करने की योजना पर अमल कर रहे हैं ।
एनडीए से अलग हुआ चिराग तो बिहार में भाजपा उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान
देखना दिलचस्प होगा कि जनता चाचा - भतीजा मे आखिर किस पर लोजपा के परंपरागत वोट का हकदार होने का मुहर लगाती है । वैसे तो जनता के बीच से जो चर्चाएं उभर कर सामने आ रही है उससे चिराग पासवान के प्रति उनके पिता के वोट बैंक का शत् प्रतिशत हिस्से के साथ ही अन्य वर्गों में भी चिराग के प्रति सहानुभूति दिखाई दी रही है. इस स्थिति में यदि चिराग एनडीए से बाहर होता है तो भाजपा को भी बिहार में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैसे आगे क्या होता है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होगा ?
मुजफ्फरपुर : प्रदेश की जनता का नब्ज टटोलने को फिलहाल सांसद चिराग पासवान अपने पिता एवं लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक दिवंगत राम बिलास पासवान के ब्रांड साबित होते दिख रहे हैं । वैसे सदन मे नंबर गेम के महत्व होने का लाभ निश्चित रूप से दलित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को अपनी पार्टी के पाँच एमपी के बूते मिला और वे केंद्रीय मंत्रीमंडल मे शामिल हुए ।