Friday, May 17 2024

कालाजार प्रभावित क्षेत्रों में कालाजार उन्मूलन को सिंथेटिक पायरोथायराइड का छिड़काव शुरू

FIRSTLOOK BIHAR 23:08 PM बिहार

66 दिनों तक होगा कीटनाशक दवाओं का छिड़काव

बाढ़ के जमे पानी से मलेरिया, कालाजार रोग बढ़ने की है संभावना
मोतिहारी, 16 जुलाई। जिले के विभिन्न प्रखंडों समेत पकड़ीदयाल प्रखंड में कालाजार से प्रभावित कुल 09 गांवों  में कालाजार उन्मूलन के लिए सिंथेटिक  पायरोथायराइड कीटनाशक का छिडकाव 15  जुलाई से  शुरू हो गया है। आगामी 27 सितंबर तक  मझौलिया, थरबिटिया, रामबन, चोरमा, चैता, सेखपुरवा, अजगरवा, बड़कागाँव एवं पकड़ीदयाल उतरी में  कुल 3 दल से 66 दिनों तक छिडकाव किया जाना है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी राजीव कुमार, ने बताया कि बरसात एवं बाढ़ से ग्रसित क्षेत्रों में मलेरिया, कालाजार रोगों के तीव्र गति से बढ़ने की काफी संभावना रहती है । इसका प्रमुख कारण है घरों के अस्वच्छ स्थानों , गन्दगी , कूड़े कर्कट वाले क्षेत्रों ,खुले मैदानों, नालियों, या बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों, पानी जमा हुए स्थानों पर मलेरिया, कालाजार के मच्छरों की पैदाइश को रोकने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव बेहद जरूरी होता है। इन सभी प्रकार के रोगों से बचाव के लिए मच्छड़दानी का प्रयोग जरूरी है।

जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी शरद चन्द्र शर्मा ने बताया पूर्वी चम्पारण में 15 जुलाई से  26 प्रखंड क्षेत्रों में कीटनाशकों का छिड़काव शुरु किया गया है। साथ ही जिले में कालाजार के खात्मे के लिए जिला स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है । जिससे कालाजार के मामलों में कमी आएगी। जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी ने बताया पूर्वी चम्पारण को कालाजार से मुक्त करने के विभिन्न प्रखंडो में समय समय पर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके लिये महादलित बस्तियों, झुग्गी-झोपडी में कालाजार से बचाव के लिये लोगों को जागरूक करने के साथ साथ सिंथेटिक पायरोथायराइड कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है। लोगों में कालाजार से बचाव के लिए तरह तरह के सुझाव, व परामर्श दिए जा रहे हैं । कालाजार रोग को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार काफी गम्भीर है। इसके उन्मूलन के लिये सभी को आस पड़ोस के वातावरण को साफ सुथरा रखने, शौचालय की सफ़ाई करने एवं मछड़दानी का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।

कालाजार के प्रमुख लक्षण

वहीँ प्रखण्ड स्वास्थ्य प्रबंधक अवनीश कुमार ने बताया कालाजार में व्यक्ति को बुखार अक्सर रुक-रुक कर या तेजी से तथा दोहरी गति से आना, भूख लगना, वजन में कमी जिससे शरीर में दुर्बलता, कमजोरी, त्वचा सूखी, पतली और शुष्क होती है तथा बाल झड़ने लगते हैं। इस बीमारी में खून की कमी बड़ी तेजी से होने लगती है। गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। इसी से इसका नाम कालाजार पड़ा अर्थात काला बुखार पड़ा है।

बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के साथ कई प्रखंडों में शुरू है छिड़काव:

सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया  कालाजार की बीमारी से बचाव के लिए बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के साथ कई प्रखंडों, दलित बस्तियों, में सिंथेटिक पायरोथायराइड का छिड़काव 15 जुलाई से शुरू किया गया है । जिनलोगों को कालाजार की बीमारी हो जाती है उनका इलाज जिला अस्पताल के साथ कई अन्य अस्पतालों में भी मुफ्त किया जाता है। साथ ही इलाज के साथ आर्थिक सहयोग भी दिया जाता है । जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरदचन्द्र शर्मा ने बताया पहले कीटनाशक दवा का छिड़काव दीवार पर छह फुट तक होता था, अब वह पूरी दीवार पर हो रहा है।  वहीं इसके चक्र की अवधि को भी 60 से 66 दिनों तक किया गया है। 

छिड़काव के वक्त ध्यान में रखने वाली बातें 

घर की दीवारों में पड़ी दरारों को भर दें 
अच्छी तरह से घर की सफाई करें। खाने-पीने का सामान, बर्तन, दीवारों पर टंगे कैलेंडर आदि को बाहर निकाल दें। 
भारी सामानों को कमरे के मध्य भाग में एकत्रित कर दें और उसे ढक दें।
  रसोईघर, गौशाला सहित पूरे घर में पूरी दीवार पर दवा का छिड़काव कराएं।

मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी राजीव कुमार, प्रखंड स्वाथ्य प्रबंधक अवनीश कुमार प्रखंड प्रबंधक  केयर, सतीश कुमार एवं केशव कुमार सहित अन्य स्वाथ्यकर्मी उपस्थित थे।

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