Friday, May 17 2024

कैमूर पहाड़ी के जंगल में भी विचर रहे हैं बाघ, एनटीसीए को भी वन विभाग ने दिया साक्ष्य

FIRSTLOOK BIHAR 09:10 AM बिहार

विभाग द्वारा बाघों के विचरण की ली गई है तस्वीर

सासाराम ( रोहतास ) : बिहार के रोहतास जिले की कैमूर पहाड़ी पर बसे कैमूर वन्यप्राणी क्षेत्र में कैमूर पहाड़ी के जंगल में भी बाघ को घुमते हुए देखा गया है। वन विभाग के पास इसका पुख्ता प्रमाण भी है। जिससे अब इस क्षेत्र को भी टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित करने की कवायद तेज हो गई है। यही नहीं मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व क्षेत्र से कैमूर वन्य जीव आश्रयणी तक टाइगर कारिडोर बनाने की पहल भी हो रही है, ताकि यहां के जंगलों में और बाघ आकर निवास करें। कैमूर वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र के रोहतास, तिलौथू, औरैया व भुड़कुड़ा पहाड़ी पर भी बाघ के कई पदचिह्न देखे गए हैं।

पुख्ता सबूत उपलब्ध कराया

रोहतास के वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रद्युम्न गौरव ने बताया कि विभाग लगातार इस जंगल में बाघों की आवाजाही होने का पुख्ता सबूत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को उपलब्ध कराया है। यही नहीं मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व क्षेत्र से कैमूर वन्य जीव आश्रयणी तक टाइगर कारिडोर बनाने की पहल भी हो रही है, ताकि यहां के जंगलों में बाघ आकर स्वच्छंद विचरण करें। एनटीएसए की मंजूरी मिलने के बाद यहां फिर जंगल का राजा बाघ अपना राज भी स्थापित करेगा।

चार दशक पहले भी यहां थे बाघ

कैमूर पहाड़ी के घने जंगलों में चार दशक पूर्व तक बाघ रहने की बात वनवासी बताते हैं। नौहट्टा व रोहतास के लोगों का कहना है कि यहां काफी संख्या में 1975-76 तक बाघ थे। पेड़ों के कटने व वन माफिया के कारण वनों में आवाजाही बढ़ने के कारण बाघों की संख्या धीरे-धीरे समाप्त हो गई। हाल के वर्षों में माफिया व नक्सलियों पर कसे शिकंजे तथा वन विभाग द्वारा सक्रियता बढ़ने से इस क्षेत्र में बाघों की आवाजाही फिर बढ़ गई है।

बाघ की आवाजाही का है पुख्ता सबूत

वन अधिकारी बताते हैं कि मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाघ यहां आते-जाते रहे हैं। इस क्षेत्र में वाटर होल बना बाघों को पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।

नवंबर 2019 में तिलौथू क्षेत्र में पहली बार बाघ के पंजों के निशान व मल प्राप्त हुआ था, जिसके बाद मल को देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की प्रयोगशाला में जांच कराई गई थी। जहां से इसकी पुष्टि भी हुई। जांच में पंजे के निशान भी बाघ के ही पाए गए हैं।

टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित कराने की पहल

रोहतास के डीएफओ प्रद्युम्न गौरव बताते हैं कि कैमूर वन्य क्षेत्र का इलाका 1800 वर्ग किमी से ज्यादा है। मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व क्षेत्र और झारखंड के बेतला टाइगर रिजर्व क्षेत्र से भी इसका सीधा कारिडोर बनता है। इस जंगल में लगातार बाघों की आवाजाही हो रही है। इसका पुख्ता प्रमाण भी एनटीसीए को उपलब्ध कराया गया है। पहले भी यहां के जंगलों में बाघ विचरण करते थे। इस वन्य क्षेत्र के रोहतास, तिलौथू, चेनारी, औरैया व भुड़कुड़ा पहाड़ी पर भी बाघ के पद चिह्न व उनकी आवाजाही देखी गई है तथा बाघ का विचरण करते हुए तस्वीर भी ऑटोमेटिक कैमरे से ली गई है।

Related Post