Friday, May 17 2024

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण मोबाइल ऐप- जीएसआई को आम जनता के लिए डिजिटल रूप से सुलभ बनाने की दिशा में उठाये गये नये कदम

FIRSTLOOK BIHAR 23:22 PM खास खबर

नई दिल्ली : खान मंत्रालय के तहत 170 साल पुराने प्रमुख भूवैज्ञानिक संस्थान भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने वर्ष 2020 में जीएसआई मोबाइल ऐप (बीटा संस्करण) को लॉन्च किया। अब इसे समय-समय पर अपग्रेड करके जनता के लिए सुलभ बनाने और डिजिटल रूप से उसकी स्थिति को मजबूत करने का फैसला किया गया है। ऐप के माध्यम से, लोग जीएसआई की गतिविधियों के विभिन्न पहलुओं के बारे में अधिक जागरूक हों सकेंगे। यह केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए डिजिटल इंडिया अभियान के अनुरूप भी है।

एंड्राॅयड प्लेटफॉर्म पर ऐप उपलब्ध

ऐप अभी एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है और इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। 27 अगस्त, 2020 को लॉन्च होने के बाद से, ऐप को देश भर में हजारों लोगों द्वारा डाउनलोड किया जा चुका है और इसे विभिन्न रिव्यू में 4.5 स्टार और गूगल प्ले स्टोर पर 3+ की रेटिंग भी मिली है।

ऐप में कई सेक्शन बनाए गए हैं। जहां इस पर जीएसआई की विरासत, संगठन के इन-हाउस प्रकाशन, जीएसआई के विभिन्न मिशनों पर अलग-अलग केस स्टडी, पिक्चर गैलरी इत्यादि के बारे में सामग्री उपलब्ध है। ई-न्यूज डिवीजन नवीनतम समाचारों के बारे में जनता को अपडेट करता है। जो कि जीएसआई के साथ काम और करियर के अवसरों की उपलब्धता और प्रशिक्षण सुविधाओं के मामले की जानकारी भी उपलब्ध कराता है। इसके अलावा जीएसआई के विभिन्न मानचित्रों, वीडियो और उसके विभिन्न कार्यों को डाउनलोड भी किया जा सकता है। ई-बुक सेक्शन, जीएसआई द्वारा आम जनता के लिए किए गए अन्वेषण कार्यों के बारे में जानकारी देगा। ऐप जल्द ही जीएसआई के यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पेजों से भी जुड़ जाएगा। इस ऐप को एंड्रॉइड ओएस और आईओएस प्लेटफॉर्म (आई-फोन) जैसे हाई वर्जन के लिए भी अपग्रेड किया जाएगा और आने वाले समय में कई और सुविधाएं जोड़ी जाएंगी।

जीएसआई के कार्यों और उपलब्धियों को आम जनता तक पहुंचाने के अलावा, इस तरह के ऐप का उद्देश्य छात्रों का भूविज्ञान के विषय और राष्ट्र निर्माण में जीएसआई के महत्व की ओर ध्यान आकर्षित करना है। इसे बेहतर बनाने के लिए जीएसआई उपयोगकर्ताओं और आम लोगों से सुझाव भी मांग रहा है। कि वह जीएसआई के बारे में और क्या जानना चाहते हैं। इस संबंध में सुझाव इस ई-मेल आईडी पर भेजे जा सकते हैं।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की स्थापना 1851 में मुख्य रूप से रेलवे के लिए कोयले के भंडार का पता लगाने के लिए की गई थी। इन वर्षों में, जीएसआई न केवल देश में विभिन्न क्षेत्रों में जरूरी भू-विज्ञान के जानकारी के रिपॉजिटरी के रूप में विकसित हुआ है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति के भू-वैज्ञानिक संगठन का दर्जा भी प्राप्त किया है। इसका मुख्य काम राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक जानकारी और खनिज संसाधन का मूल्यांकन और उसके विश्लेषण से संबंधित है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जमीनी सर्वेक्षण, हवाई और समुद्री सर्वेक्षण, खनिज के लिए होने वाले पूर्व सर्वेक्षण और जांच,विभिन्न विषयों से संबंधित भूवैज्ञानिक, भू-तकनीकी, भू-पर्यावरण और प्राकृतिक खतरों के अध्ययन, हिमनद विज्ञान, भूकंप टेक्टोनिक अध्ययन और मौलिक अनुसंधान के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।

जीएसआई का मुख्य काम

जीएसआई का प्रमुख काम नीति निर्धारण के फैसले, वाणिज्यिक और सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं पर ध्यान देते निष्पक्ष उद्देश्यपूर्ण, अप-टू-डेट भूवैज्ञानिक विशेषज्ञता और सभी प्रकार की भू-वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना शामिल है। जीएसआई भारत और इसके ऑफशोर क्षेत्रों की सतह और उपसतह से प्राप्त सभी भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के व्यवस्थित दस्तावेजीकरण पर भी जोर देता है। संगठन भूभौतिकीय और भू-रासायनिक और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों सहित नवीनतम और सबसे बेहतर लागत प्रभावी तकनीकों और कार्यप्रणाली का उपयोग करता है।

सर्वेश्रण, प्रबंधन, समन्वय और स्थानीय डाटाबेस (रिमोट सेंसिंग के माध्यम से हासिल किए गए) के उपयोग के माध्यम से जीआईएस की क्षमता में लगातार बढ़ोतरी हुई है। यह रिपॉजिटरी या क्लीयरिंग हाउस के रूप में कार्य करता है, जिससे कि आधुनिक कंप्यूटर आधारित तकनीकी का इस्तेमाल कर भू-वैज्ञानिक सूचना और स्पेशियल डाटा डाटा का संबंधित पक्षों के साथ सहयोग और साझेदारी के जरिए प्रसार किया जा सके।

कोलकाता में है जीएसआई का मुख्यालय

जीएसआई का कोलकाता में मुख्यालय है। उसके छह क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, शिलांग और कोलकाता में स्थित हैं और देश के लगभग सभी राज्यों में राज्य इकाई के कार्यालय हैं। वर्तमान में, जीएसआई खान मंत्रालय से जुड़ा हुआ है।

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