Friday, May 17 2024

शिशुओं की देखभाल को आशा पहुंच रही घर, स्वस्थ्य रखने को दे रही टिप्स

FIRSTLOOK BIHAR 00:31 AM बिहार

अलाइव एंड थ्राइव कर रहा तकनीकी सहयोग 

मृत्युदर को कम रखने में मिलेगी मदद

सीतामढ़ी : जिले में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए तथा उन्हें स्वस्थ्य रखने के लिए अलाइव एंड थ्राइव सरकार के होम बेस्ड केयर फॉर यंग चाइल्ड (एचबीवाईसी) में तकनीकी सहयोग दे रहा है। ये बातें शुक्रवार को एक बैठक मे अलाइव एंड थ्राइव की स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर डॉ अनुपम श्रीवास्तव ने कही। उन्होंने बताया कि एचबीवाईसी कार्यक्रम के तहत सीतामढ़ी जिले के सभी प्रखंडों में गृह आधारित छोटे बच्चों की देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग और बाल विकास परियोजना को अलाइव एंड थ्राइव के द्वारा तकनीकी सहयोग दिया जा रहा है। जिसमें मूल रूप से तीन माह से लेकर 15 माह तक के बच्चों को आशा और आंगनबाड़ी सेविका की मदद से गृह भ्रमण कर उचित सलाह दी जा रही है, ताकि मृत्युदर तथा कुपोषण को कम करने मे मदद मिल सके। 

एईएस में मिलेगी मदद

अलाइव एंड थ्राइव के कंसल्टेंट मनीष ने बताया कि सीतामढ़ी जिला एईएस से काफी प्रभावित रहा है। छोटे बच्चों में एईएस का मुख्य कारण कुपोषण ही है। ऐसे में इस कार्यक्रम के तहत शिशुओं की बेहतर देखभाल होगी और उन्हें स्वस्थ्य रखा जा सकेगा। पिछले वर्ष के सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे में भी बिहार की मृत्युदर घट कर राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच चुकी है। 

हर तीसरे महीने होगा गृह भ्रमण

अलाइव एंड थ्राइव के कंसल्टेंट प्रेम रंजन ने बताया कि एक बच्चे का 15 माह तक में पांच बार दौरा होगा। जिसमें तीसरे, छठे, नौंवे, 12वें और 15 वें माह में दौरा होगा। जिसमें आशा उनके घर जाकर छोटे बच्चों में स्तनपान, टीकाकरण, स्वच्छता, पूरक आहार, एनीमिया एवं आहार संबंधी बातों का ख्याल रखेगी। 

वजन व तापमान भी लेगी आशा एचबीवाईसी कार्यक्रम के लिए आशा छोटे बच्चों का गृह भ्रमण कर उन्हें हाथ धोकर ही बच्चे को छूने, कंगारू मदर केयर, छह महीने तक केवल स्तनपान करने एवं छह महीने बाद ही ठोस आहार के रूप में कुछ भी देने की बात समझाएगी। आशा तथा सेविका समय समय पर आकर बच्चे का वजन एवं तापमान भी मापेगी। वहीं अस्वस्थ्य दिखने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी लेकर जाएगी।

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