चुनाव आयोग ने शनिवार को चिराग पासवान और पशुपति पारस के नेतृत्व वाले दो धड़ों के बीच विवाद को सुलझने तक लोजपा के चुनाव चिह्न पर रोक लगाने का फैसला किया है। इलेक्शन कमीशन ने अपने फैसले में कहा है कि पशुपति पारस व चिराग पासवान दोनों में से किसी भी गुट को लोजपा के चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी पर कब्जे की लड़ाई में केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस को चुनाव आयोग से बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने एलजेपी के चुनाव चिह्न बंगला को फ्रीज कर दिया है।
चुनाव आयोग का कहना है कि पशुपति पारस या चिराग दोनों गुटों में से किसी को भी लोजपा के प्रतीक का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। दोनों गुट अंतरिम उपाय के रूप में नए नाम और चुनाव चिह्न अपने उम्मीदवारों को आवंटित कर सकते हैं।
दोनों गुटों को पांच नवंबर तक दावों का दस्तावेज प्रस्तुत करने का मिला समय
आयोग ने दोनों गुटों को पांच नवंबर तक अपने दावों के समर्थन में दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा है। जानकारी हो कि
पशुपति पारस ने लोकसभा में खुद को संसदीय दल का नेता घोषित कर राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन करके हुए अपने आपको अध्यक्ष भी घोषित कर लिया है। लेकिन चुनाव आयोग से एलजेपी का नाम और चुनाव चिह्न नहीं मिलना उनके लिए बड़ा झटका है। चुनाव आयोग में सबसे पहले पारस की तरफ से ही चुनाव चिह्न पर दावा किया गया था।
चाचा भतीजा के विवाद के बाद पहले चिराग पासवान चुनाव आयोग में पहुंचे। उन्होंने आयोग से कहा था कि अगर किसी की तरफ से एलजेपी पर दावा किया जाता है तो उसे प्रथम दृष्टया खारिज किया जाए। अगर कोई फैसला भी करना है तो पहले चिराग पासवान का पक्ष सुना जाए।
आयोग ने कहा, दोनों समूहों को अंतरिम उपाय के रूप में, उनके समूहों के नाम और चिह्न को चुनने के लिए कहा गया है, जो कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को दिए जा सकते हैं। चुनाव आयोग का ये फैसला ऐसे समय आया है, जब बिहार की दो विधानसभा उपचुनाव सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया जारी है।
चिराग पासवान ने मंगलवार को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पार्टी के चुनाव चिन्ह बंगले पर दावा करने के लिए कहा था। उन्होंने ये कदम बिहार के कुशेश्वर अस्थान (दरभंगा) और तारापुर (मुंगेर) विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर उठाया है।
उनके पार्टी समूह के राष्ट्रीय प्रवक्ता एके बाजपेयी ने कहा, हमने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है और पारस समूह के दावे को खारिज करने के लिए कहा है, जो एक ही चुनाव चिह्न पर दावा कर रहा है।