Tuesday, May 21 2024

68 साल बाद एयरलाइंस फिर टाटा के पास, 18000 करोड़ बोली लगाकर खरीदी

FIRSTLOOK BIHAR 22:54 PM खास खबर

दिसंबर 2021 तक कंप्लीट हैंडओवर की प्रक्रिया होगी पूरी, टाटा संस 2700 करोड़ रुपये कैश पेमेंट करेगा

टाटा संस ने एयर इंडिया की सबसे ऊंची बोली लगाकर 68 साल बाद फिर से एयरलाइंस को वापस पा लिया है . टाटा ने 18 हजार करोड़ की बोली लगाई है. अब सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया (Air India) दिसंबर तक टाटा ग्रुप के नियंत्रण में आ जायेगी. बिडिंग प्रक्रिया में दो बड़े प्लेयर्स में टाटा संस और स्पाइसजेट थे, लेकिन टाटा ने अधिक बोली लगाकर यह बाजी मार ली है. जानकारी हो कि 1953 में केंद्र की तत्कालीन नेहरू सरकार ने टाटा से एयरलाइंस को अधिग्रहण कर अपने पास ले लिया था. घाटा लगने पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एयर इंडिया को बेच दिया जिसे टाटा संस ने ऊंची बोली लगाकर खरीद लिया है. एयर इंडिया के लिए बोली जीतने पर रतन टाटा ने ट्वीट किया कि Welcome back, Air India

15300 करोड़ के कर्ज के साथ हुई डील

एयर इंडिया को खरीदने की रेस में टाटा संस समेत कई कंपनियां शामिल थीं. मंत्रियों के समूह ने सबसे ज्यादा बोली लगाने पर टाटा संस को एयर इंडिया की कमान सौंप दी है. 15300 करोड़ के कर्ज के साथ यह डील हुई है. टाटा संस 2700 करोड़ रुपये कैश पेमेंट करेगा. दिसंबर 2021 तक कंप्लीट हैंडओवर की प्रक्रिया हो जाएगी.

टाटा संस के चेयरमैन ने जताई खुशी

टाटा की इस जीत पर कंपनी के चेयरमैन एन चंद्रशेखरण ने कहा कि टाटा समूह में होने के नाते हम AIR INDIA के लिए विजेता होने से खुश हैं. यह एक ऐतिहासिक क्षण है, और हमारे समूह के लिए देश की ध्वजवाहक एयरलाइन का स्वामित्व और संचालन करना एक दुर्लभ विशेषाधिकार होगा. हमारा प्रयास होगा कि हम एक विश्व स्तरीय एयरलाइन का निर्माण करें, जो प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित करे. इस अवसर पर मैं इंडियन एविएशन की खोज करने वाले JRD Tata को श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं. उनकी स्मृति हम संजोते हैं.

100 फीसदी होगी हिस्सेदारी

टाटा की एयर इंडिया और इसके दूसरे वेंचर एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 फीसदी हिस्सेदारी होगी. जबकि ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी एयर इंडिया SATS एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में भी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. Dipam सेक्रेटरी के मुताबिक, टाटा की 18,000 करोड़ रुपए की सफल बोली में 15,300 करोड़ रुपए का कर्ज लेना और बाकी नकद भुगतान शामिल है. सरकार को 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के एवज में टाटा संस से 2,700 करोड़ रुपए मिलेंगे.

एयर इंडिया का इतिहास

- 1932: जे आर डी टाटा ने टाटा एयरलाइंस शुरू की - 1946: टाटा एयरलाइंस बना एयर इंडिया - 1953: केंद्र की नेहरू सरकार ने राष्ट्रीयकरण किया - 2007: एयर इंडिया में इंडियन एयरलाइंस का विलय - 2013: घाटे के चलते निजीकरण की उठी बात - 2017: सरकार ने विनिवेश प्रक्रिया को दी मंजूरी - 08 अक्टूबर 2021: टाटा ने एक बार फिर इसे हासिल किया.

टाटा समूह को क्या-क्या मिलेगा?

एयर इंडिया को खरीदने वाले टाटा ग्रुप को घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग अलोकेशन का कंट्रोल दिया जाएगा. कंपनी को एयर इंडिया की सस्ती एविएशन सर्विस एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी सौ प्रतिशत कंट्रोल मिलेगा.

मंत्रियों के पैनल ने किया फैसला

उन्होंने कहा कि देश के बड़े आर्थिक फैसले पर विचार करने के लिए एक स्पेशल पैनल गया था. इस पैनल में गृह मंत्री, वित्त मंत्री, कॉमर्स मिनिस्टर और सिविल एविएशन मिनिस्टर शामिल रहे. पैनल ने सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया. इसके बाद बिड में सबसे बड़ी बोली लगाने पर टाटा संस को विजेता घोषित कर दिया गया. 

एयर इंडिया का इतिहास 

साल 1932 में उद्योगपति JRD Tata ने टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी. ब्रिटेन की शाही रॉयल एयर फोर्स के पायलट होमी भरूचा टाटा एयरलाइंस के पहले पायलट थे जबकि JRD Tata दूसरे पायलट थे. जेआरडी टाटा ने कराची से बंबई की उड़ान भरी थी. 15 अक्टूबर 1932 को इस उड़ान के दौरान उनके जहाज में डाक थी. बंबई से इस जहाज को नेविल विसें चेन्नई ले गए थे. 

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