Tuesday, May 21 2024

एस टी आर से पहचाने स्ट्रोक के लक्षण : डॉ शिवशंकर 

FIRSTLOOK BIHAR 17:02 PM बिहार

जीभ की मूवमेंट से भी पता चलता है स्ट्रोक 

29 अक्टूबर को जागरूकता के लिए मनाया जाता है विश्व स्ट्रोक दिवस
मुज़फ़्फ़रपुर : हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है। इसमें अगर पीड़ित को सही समय पर ईलाज नहीं मिला तो उसकी जान भी जा सकती है। उच्च रक्तचाप , मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर, अनियमित दिनचर्या जैसी समस्याओं से स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती हैं। इस वर्ष भी पूरे विश्व में इस दिवस को मनाया जा रहा है जिसका थीम  स्ट्रोक के बाद फिर से उठें हैं। गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ शिवशंकर कहते हैं कि स्ट्रोक में समय बहुत ही महत्वपूर्ण है। एक घंटे के अंदर ईलाज होने से इसमें बचने की संभावना ज्यादा रहती है। मैनेजमेंट ऑफ एडल्ट स्ट्रोक रिहैबिलिटेशन केयर में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार वर्तमान में केवल 10-15 प्रतिशत स्ट्रोक पीड़ित ही पूरी तरह से ठीक हो पाते हैं। 25-30 प्रतिशत में हल्की विकलांगता रह जाती है । 40-50 प्रतिशत को गंभीर नुकसान का सामना करना पड़ता है और शेष 10-15 प्रतिशत लोगों की स्ट्रोक के तुरंत बाद मौत हो जाती है। डॉ शिवशंकर ने बताया स्ट्रोक के बाद समय पर इलाज और पुनर्वास से काफी फायदा होता है। इसका लक्ष्य स्ट्रोक के दौरान प्रभावित हुए मस्तिष्क के हिस्से के खो चुके कौशल को फिर से सीखना, स्वतंत्र होकर रहना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। पुनर्वास जितना जल्दी शुरू होता है, रोगी की खो चुकी क्षमताओं को वापस पाने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।

एस टी आर से पहचाने स्ट्रोक

डॉ शिवशंकर ने कहा कि प्रत्येक छह में से एक व्यक्ति को स्ट्रोक होने की संभावना रहती है। वहीं इसे पहचानने के लिए भी कुछ आसान नियम है जिसमें एस से स्माइल है  इसमें मरीज को मुस्कुराने के लिए कहा जाता है फिर देखा जाता है कि उसका मुंह एक तरफ लटका तो नहीं है। टी से टॉक इसमें उसे बोलने के लिए कहें अगर वह बोलने में लड़खड़ा रहा है या उसे अपनी जीभ को ट्वीस्ट करने में दिक्कत हो रही है तो वह भी स्ट्रोक के लक्षण हो सकते हैं। वहीं तीसरा नियम है हांथ उठाने का नियम जिसमें देखा जाता है कि बांह कहीं से सुन्न या कमजोर तो नहीं है। अगर बांह उठाने के साथ नीचे गिर रही है तो निश्चित ही यह स्ट्रोक के लक्षण हैं। दुनियाभर में स्ट्रोक के सभी मामलों में 20 से 25 प्रतिशत मामले भारत के होते हैं। हर साल लगभग 18 लाख भारतीय इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। 

लक्षण

अचानक चेहरे, बाहें, पैर में कमजोरी और सुन्नपन आना। मरीज(पेशेंट्स )को बोलने में और स्पष्ट देखने में परेशानी। बेहोशी या चक्कर भी महसूस होना। गंभीर सिरदर्द भी महसूस होना।

इलाज:

अगर मरीज को स्ट्रोक होने के तुरंत बाद अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो वह पूरी तरह ठीक हो सकता है। खून का थक्का तोडऩे वाली दवाओं यानी क्लॉट बस्टर जैसे , टीपीए से स्ट्रोक के असर को ठीक किया जा सकता है। टीपीए थेरपी देने के लिए मरीज को लकवा होने के साढ़े चार घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाना जरूरी होता है। आम लोगों को ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जागरूक करना बेहद महत्वपूर्ण है।

स्ट्रोक को रोकने के उपाय

उच्च रक्तचाप स्ट्रोक की संभावना बढ़ाता है, इसलिए रक्तचाप के स्तर पर निगाह रखें।
-वजन कम करने से कई अन्य परेशानियों से बचा जा सकता है।
-हर दिन लगभग 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जरूरी है।
-यदि संभव हो तो धूम्रपान और मदिरापान को छोड़ दें।
-अपनी ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखें।
-मेडिटेशन और योग जैसी गतिविधियों के माध्यम से तनाव कम करें।

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