Friday, May 17 2024

ऐ मुजफ्फरपुर तेरी मोहब्बत में एक अजब सा नशा है, तभी तो सारी दुनिया तुमपे फ़िदा है .....

FIRSTLOOK BIHAR 20:32 PM बिहार

बिहार के जाने माने आर्किटेक्ट ब्रजेश्वर ठाकुर ने साहित्यिक अंदाज में मुजफ्फरपुर के बारे में अपनी भावनाओं का जो उद्गार व्यक्त किया है उसमें न सिर्फ हर एक पहलुओं को सामने रखा है, बल्कि इस ऐतिहासिक नगरी को सजने, सजाने व संवारने के नाम पर हुए खेलों को भी शब्दों में स्पष्ट कर दिया है।

ई. ब्रजेश्वर ठाकुर वह शख्स है जिनका नाम भवन बनाने के अत्याधुनिक और बेहतर डिजाइन बनाने को लेकर बिहार के करीब हर जिले में जाना जाता है. इतना ही नहीं इन्होंने बिहार के अलावे अन्य कई प्रदेशों के साथ पड़ोसी देश नेपाल में भी अपनी पहचान बनाई है. भवन का बेहतरीन नक्शा तैयार कर भवन के डिजाइन को खूबसूरत रूप देकर सुर्खियां बटोरने वाले ई. ब्रजेश्वर ठाकुर ने मुजफ्फरपुर के बारे में अपने साहित्यिक अंदाज मे जो कुछ कहा है उसे जानने व समझने की जरूरत सबको है।

मुजफ्फरपुर शहर के बारे में ख्याल

ब्रजेश्वर ठाकुर बताते हैं कि अनायास मन सोचने लगता है हमारे शहर की पहचान किस चीज से है ?

●बेहतरीन स्वाद वाली विश्वप्रशिद्ध शाही लीची से.
●स्वतंत्रता संग्राम में हमारे पूर्वजों के योगदान से ..
●समृद्ध साहित्य और संस्कार के परम्परा से ..
नही ! जरा ठहरिए ये तो हुयी अतीत की बात, ये पहचान उनके लिये जो कभी मुजफ्फरपुर को किताबो, आलेखों में देखते है .

मन मानने को तैयार नहीं, लेकिन हकीकत भी इससे अलग नहीं

वो लोग जैसे मुजफ्फरपुर की जमीन पर उतरते है ख्यालात बदल जाते है.
वर्तमान की हकीकत थोड़ी कड़वी है.
अभी हाल में ही शहरी और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक सर्वे कराया था . इज ऑफ लिविंग इंडेक्स 2020 यह सर्वे दो चरणों मे था पहले चरण में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर दूसरे चरण में 10 लाख से कम आबादी वाले नगर ,
इज ऑफ ऑफ लिविंग इंडेक्स का मतलब होता है रहने लायक परिस्थितियों का समग्र आकलन.
मजेदार बात तो यह.... सबसे निचले पायदान पर आया हमारा मुजफ्फरपुर .
मन मानने को तैयार नही, लेकिन हकीकत इससे कुछ अलग भी नही .

★वो तब भी थी, अब भी है और हमेशा ही रहेगी ..! ये इश्क है ….. कोई तालीम (शिक्षा) नहीं जो पूरी हो जाएं ..★
फिर सोचने लगता हूं कुछ गलती किये होंगे सर्वे टीम वाले, चलिये खुद देखते है अपने नजर से .. फिर एक शाम निकल परे अपने आवास इंजीनयर एनक्लेव बीबी गंज से .

स्पीड ब्रेकर से स्वागत

मुजफ्फरपुर के सड़को पर ... निकलते ही सबसे पहले स्वागत किया हर दरवाजे के सामने टूटी फूटी सड़क पर बने स्पीड ब्रेकर ने . ख्याल आया संत स्वरूप निर्लिप्त जनप्रतिनिधियों का जो अपने आप मे किसी साधक की तरह खोये रहते हैं, जैसे कह रहे हों सड़के टूटे है तो मेरा क्या !
अब जैसे ही एन एच 102 और 28 जंक्शन भगवानपुर चौक पहुँचे , भयंकर जाम, बेतरतीब पार्किग समझाने के लिये काफ़ी था. ट्रैफिक और कानून व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों के अकर्मण्यता का .
एन एच 102 छपरा को जाती है, हम उस सड़क को अपनेपन के भाव से कहते है रेवा रोड . यहां एक नया नवेला ओवरब्रिज बना है और कनेक्टिंग सड़क है 10 फिट की !
कितने दूरदर्शी सोच के अभियंता रहे होंगे जिन्होंने इसे प्लान किया होगा ?
फिर प्रवेश किया गोबरसही होते हुये स्वास्थ सेवा का बाजार जूरनछपरा.
नजारा सेम ही था बस सरकते हुये वाहन ,थोड़े छोटे थे दुपहिया और चौपहिया ,
अपना व अपनो का इलाज कराने आसपास के गांवों से आये बेबस लोगो के चेहरे, उनकी बेचारगी बयां कर रही थी सफर के दौर का.
अब कुछ टूटने लगा था मुझमे .. फिर सरैयागंज टावर कि ओर बढ़ चला ,चंद पल सुकून के लगे डीएम आवास के पास चौड़ी सड़को को देखकर .500 मीटर आगे बढ़ते सुकून हल्का दरकना शुरू हुआ जो कल्याणी पहुचते पहुँचते पूरा चटक गया .
जब नजरो के सामने थी खुली नालियां .
अब बात चली नालियों की तो थोड़ा अतीत में चलते है. सरकारी रेकॉर्ड के अनुसार, शहर में जल निकासी की व्यवस्था 1895 में शुरू हुई थी . आज इसका दायरा लगभग 137 किलोमीटर है.
सुनने में अच्छा लगा ? लेकिन इसमें से मात्र सात प्रतिशत नालियां ढकी हैं यानी साढ़े 9 किलोमीटर. बाकी खुली हुई हैं. चाहे वे कच्ची हों या फिर पक्की।
इसी बजबजाती नालियों में पनपने वाले मच्छरों के नाम पर दुनियाभर में मुजफ्फरपुर को प्यार से निजी बातचीत में मच्छरपुर भी लोग कह देते हैं.

अतिक्रमण के मामले में सबसे आगे

देश के अधिकतर शहरों में सार्वजनिक जमीनों पर अतिक्रमण आम बात है. लेकिन मुजफ्फरपुर इस मामले में एक क़दम आगे है. यहां तो लोगों ने सरकारी नालियों को भी नहीं बख्शा . इतनी तल्ख अनुभवों के बाबजूद कुछ है जो हममें हौसला पैदा करती है, कल बेहतर होगा . क्योकि हमारे पुरखो का शहर है यह. हमारा जन्म इसी मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड में अवस्थित एक छोटे से गांव गंगुली में हुआ था और हमने अपने सफर की शुरुआत गंगुली से ही किया था.
हमारी प्रारम्भिक शिक्षा प्राथमिक विद्यायल में हुई, फिर मोरसंड उच्च विद्यालय से स्कूली शिक्षा यानी मैट्रिक पास किया था . फिर पटना साइंस कॉलेज से इंटर. आगे
इंजीनियरिंग करने देश के नामचीन संस्थान में चला गया. 1997 में इंजीनियरिंग के उच्चतम डिग्री लिए मुजफ्फरपुर लौटा तो हमारी युवा आंखों में कई सपने थे , कई अरमान ,अनगिनत ख्वाब थे, अपने शहर को सजाने सुंदर बनाने में जी जान से जुट गया अपने मिशन में, जिसमें आज भी लगा हूं.

स्मार्ट सिटी की सूची में आते ही सपनों का लगा पंख

ब्रजेश्वर ठाकुर बताते हैं कि सपनों को पंख तब लगा था जब 2017 में मुजफ्फरपुर का नाम स्मार्ट सिटी की सूची में आया. कुछ दिनों के लिये हम भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में नोडल ऑफिसर बनाये गये . तब करीब 1600 करोड़ की योजना थी शहर को विकसित करने के लिये, लेकिन विभागीय खींचतान में उलझ कर आज भी फाइलों में गोते लगा रही है .
खैर अब एक आस बाकी है बेहतर अहसास बाकी है क्योकि हमारे जिंदा जिस्म में सांस बाकि है ..
हम दर्द के अफसाने तो हजार सुनेंगे..
पर शहर से बेवफाई का इल्जाम नहीं सहेंगे...

Er.Brajeshwar Thakur Engineers Enclave B B Ganj Muzaffarpur- 842001[Bihar] Mob No. 9431239417

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