Monday, May 20 2024

मगध विवि में वर्चुअल मोड में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी से जुड़ेगे विश्व भर के थर्मल वैज्ञानिक

FIRSTLOOK BIHAR 23:33 PM बिहार

बोधगया : मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर रसायन विज्ञान विभाग में मंगलवार से दो दिवसीय वर्चुअल मोड में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित है। जिसका उदघाटन मविवि के प्रभारी कुलपति प्रो. विभूति नारायण सिंह करेंगे। इस संगोष्ठी में विश्व भर के थर्मल वैज्ञानिक जुड़ेंगे। ताप विश्लेषण और कैलोरिमेट्री पर हो रहे इस संगोष्ठी की पूर्व संध्या पर सोमवार को भाभा परमाणु शोध संस्थान के केमिस्ट्री डिवीज़न के प्रमुख और शीर्ष वैज्ञानिक डा. एके त्यागी मैटेरियल्स साइंस में नैनो पार्टिकल और सेंसर में प्रयुक्त होने वाले पदार्थो के निर्माण पर शोध व्याख्यान देंगे। वड़ोदरा के प्रो अरुण प्रताप प्रकृति में नैनो कणों के होते रहने वाले निर्माण को रेखांकित करने वाले चित्रों के माध्यम से संगोष्ठी में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को उत्प्रेरित करेंगे।

कई देशों के वैज्ञानिक लेंगे भाग

दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता मुंगेर विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति और प्रख्यात थर्मल वैज्ञानिक प्रो रणजीत कुमार वर्मा करेंगे। इसमें मानव केश से लेकर नैनो कानों तक और औषधीय पदार्थों से लेकर खाद्य पदार्थों तक के बारे में विशेष व्याख्यान विश्व के शीर्ष वैज्ञानिक देंगे और शोध पात्र प्रस्तुत करेंगे। प्रो. वर्मा ने बताया कि व्याख्यान देने वालों में रोमानिया के प्रो क्रिसन पॉपेस्कू, कनाडा के क्वीनी क्वोक, ब्राजील के एगोन शिंडलर, हंगरी के स्ज़िलागई, जापान के नागयोशी कोगा, साइंस कांग्रेस के अध्यक्ष एआर सक्सेना, चेक रिपब्लिक के जीरी मालिक, हंगरी के अल्फ्रेड मेंयहद, स्पेन के जूलिया सेम्पेर, जोहानसबर्ग के ताराशंकर पल प्रमुख हैं। शोध पत्र, कलपक्कम, बेंगलुरु, त्रिवेन्द्रम, मुंबई, दिल्ली सहित अनेक स्थानों पर स्थित शीर्ष संस्थानों शोध वैज्ञानिक प्रस्तुत कर रहे है। संगोष्ठी के संयोजक प्रो रूद्र प्रताप सिंह चौहान है और आयोजन समिति में डा पार्थ प्रतिम, डा एके श्रीवास्तव, डा सुमित कुमार सहित कई प्राध्यापक हैं।

विशेष बात ये है की इस संगोष्ठी पर विश्व की शीर्ष शोध पत्रिकाएं यूरोप विशेषांक निकल रहे है. सटैक नाम के इस संगोष्ठी की शुरूआत वर्ष 2010 में प्रो वर्मा की अध्यक्षता में यह पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में आयोजित हुई थी और तब भी अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका के विशेषांक के कारण इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों का ध्यान आकृष्ट किया था।

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