Friday, May 17 2024

आइएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने डा. सहजानंद प्रसाद सिंह

FIRSTLOOK BIHAR 21:56 PM बिहार

गरीबों का डाक्टर हूं, उनके कल्याण की अलख जाउंगा

पटना : मैं गरीबों का डाक्टर हूं। आज भी 50 रुपये लेकर परामर्श और छह से 12 हजार में सर्जरी करता हूं। देश भर के डाक्टरों ने जो महती जिम्मेदारी सौंपी है तो उनके हित के साथ देश व प्रदेश में गरीबों के कल्याण की ही अलख जागऊंगा। इसके लिए हम हर जिले में स्थित बड़े अस्पतालों में पांच बेड गरीब मरीजों के निश्शुल्क उपचार के लिए आरक्षित करने का आग्रह करेंगे। इसके अलावा हर डाक्टर से आग्रह करेंगे कि वे माह में एक दिन अपने गांव जाकर न केवल लोगों का इलाज करें बल्कि गंभीर रोग की आशंका होने पर उन्हें बेहतर जांच व उपचार के लिए बड़े शहर लाकर भी उनकी मदद करें।

आइएमए के बहुत से वरीय पदाधिकारियों व सदस्यों ने चलो गांव की ओर अभियान और गरीबों के निश्शुल्क उपचार पर सहमति जताई है।

गृहमंत्री से मिलकर डाक्टरों के प्रति हिंसा रोकने का करेंगे आग्रह

डा. सहजानंद प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रदेश हो या देश, डाक्टरों के साथ हिंसा के मामले तेजी से बढ़े हैं। हम डाक्टरों से सहिष्णु बनने की अपील करते हैं ,लेकिन आमजन यह भूल जाते हैं कि डाक्टर सिर्फ जान बचाने का प्रयास करते हैं, लेकिन वे भगवान नहीं है। डाक्टरों के जानमाल की सुरक्षा के लिए मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को सख्ती से लागू करने की मांग डाक्टर लंबे वर्षों से कर रहे हैं। पदभार ग्रहण करने के बाद वे जल्द दिल्ली जा कर प्रेस कांफ्रेंस करेंगे और डाक्टरों के साथ बढ़ती हिंसा की रोकथाम की अपील करेंगे। इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर डाक्टरों की सुरक्ष सुनिश्चित करने का आग्रह करेंगे। डाक्टरों के हित के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।

क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में 50 बेड तक के अस्पतालों को मिले छूट :

क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2010 को हर राज्य ने अपने अनुसार ढाल कर लागू किया था। इसके विपरीत बिहार में केंद्रीय प्रारूप को ही लागू कर दिया गया है। हमारी मांग है कि 50 बेड तक के अस्पतालों को इसके मानकों से बाहर रखा जाए। मरीजों को स्टेबल करने समेत पहले पैसे जमा नहीं कराने की शर्त का पालन कमोवेश शुरू हो गया है। एक्ट में कुछ संशोधन कर उसे प्रदेश में लागू कराया जाए, इससे चिकित्सा व्यवस्था और मजबूत होगी।

जनजागरूकता से ही सुदृढ़ होगी इलाज व्यवस्था

आइएमए के डाक्टर अपने स्तर से गांवों में जाकर माह में एक दिन लोगों का उपचार करेंगे। इसके अलावा बड़े अस्पतालों में पांच बेड गरीबों के इलाज के सुनिश्चित किए जाएंगे। लेकिन ये प्रयास पर्याप्त नहीं होंगे। इसके लिए आमजन को स्वास्थ्य की महत्ता समझाते हुए उसकी देखरेख के प्रति जागरूक करना होगा। लोग जागरूक होंगे, अस्पताल कम रोगी पहुंचेंगे तो मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल पाएंगे। उन्होंनें गांवों से रेफर होकर आने वाले मरीजों को आइजीआइएमएस और एम्स जैसे अस्पतालों में बेड नहीं मिलने पर ही चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार बेड बढ़ा रही है लेकिन उससे ज्यादा मरीज बढ़ जाते हैं। सुदृढ़ स्वास्थ्य व्यवस्था विकसित करने के लिए आमजन को सेहतमंद जीवनशैली अपनानी ही होगी।

ओमिक्रोन वैरिएंट से अब घबराएं नहीं, मास्क पहनें

ओमिक्रोन या इसके बाद आने वाले कोरोना वैरिएंट से बहुत घबराने की जरूरत नहीं है। अभी तक देश में इससे एक मौत की बात कही जा रही है और उसकी भी पुष्टि होनी शेष है। लोग घरों में ही रहकर ठीक हो रहे हैं, अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत कम ही आ रही है। ऐसे में घबराएं नहीं लेकिन बीमार ही नहीं हों, इसके लिए मास्क पहनना जरूरी है। इसके साथ शारीरिक दूरी और हैंड सैनिटाइजेशन का ख्याल रखें तो 90 प्रतिशत तक संक्रमित होने से बच सकते हैं। यदि संक्रमित हो ही जाएं और गंभीर परिणाम न भुगतने पड़ें इसलिए वैक्सीन की दोनों डोज और यदि बूस्टर डोज ड्यू है तो उसे जरूर लगवा लें।

बिहार के सातवें डाक्टर जो बने आइएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष

डा. सहजानंद प्रसाद सिंह बिहार के सातवें ऐसे डाक्टर हैं, जिन्हें आइएमए का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। 16 वर्ष बाद बिहार के किसी डाक्टर को दुनिया के सबसे बड़े संगठनों में से एक आइएमए का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का सौभाग्य मिला है। आर्यभट़्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के डीन सह मधुबनी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि डा. एके दत्ता प्रदेश के पहले डाक्टर थे, जिन्हें आइएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था। इसके बाद डा. एस समादार, डा. एकेएन सिन्हा, डा. रामजनम सिंह और डा. अजय कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। इससे न केवल बिहार के डाक्टरों बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में अन्य कई सुविधाएं राष्ट्रीय स्तर से प्राप्त करने के भी मौके बढ़ेंगे।

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