Monday, May 20 2024

ऑगनबाड़ी केंद्रों पर कोविड प्रोटोकॉल के साथ अन्नप्राशन का आयोजन 

FIRSTLOOK BIHAR 00:24 AM बिहार

मोतिहारी : शिशु को  जन्म के 6-7 महीने बाद अन्न खिलाने की शुरुआत की जाती है। उसे अन्नप्राशन कहा जाता है। चूकि लगभग 6 माह तक बच्चे मां के दूध पर ही निर्भर रहते जिसके बाद बच्चों को पहली दफा अन्न ग्रहण कराया जाता है। यह कहना है मोतिहारी सदर सीडीपीओ तेज कुमारी का। उन्होंने बताया कि शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए स्तनपान के साथ ही उन्हें  अतिरिक्त ऊपरी आहार का दिया जाना जरूरी होता है। बुधवार को मोतिहारी के सदर प्रखंड के भवानीपुर जिरात के ऑगनबाड़ी केंद्र संख्या 37 में सेविका सवाना नाज, पर्यवेक्षिका पूनम कुमारी, राजेश्वरी देवी एवं प्रखण्ड परियोजना सहायक रूपम वर्मा की देखरेख में कोविड-19 गाइडलाइन के पालन के साथ अन्नप्राशन का आयोजन किया गया। केन्द्र पर शिशुओं को घर से बुलाकर अन्नप्राशन कराया गया।

6 माह बाद से शिशुओं को दें अतिरिक्त ऊपरी आहार

राजेश्वरी देवी एवं प्रखण्ड परियोजना सहायक रूपम वर्मा ने बताया कि शिशु को छः माह बाद स्तनपान के साथ ही ऊपरी आहार भी देना चाहिए। अन्नप्राशन से  शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से होता है। शिशुओं को 6 महीने बाद ज्यादा आहार की जरूरत होती है। इसे ध्यान में रखते हुए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर महीने 19 तारीख को अन्नप्राशन दिवस के रूप में मनाया जाता है । जिसमें सेविकाएँ छः माह के शिशुओं को खीर खिलाकर उनका अन्नप्राशन करती हैं। इसके साथ ही अन्नप्राशन दिवस पर माता-पिता या परिजनों को सेविकाएँ शिशुओं को दिए जाने वाले अतिरिक्त आहार की जानकारी देती हैं । हर माह अन्नप्राशन दिवस सभी आंगनबाड़ी केंद्र पर आयोजित किया जाता है।

बच्चों को गाढे एवं सुपाच्य दलिया खिलाना

शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। सूजी, गेहूं का आटा, चावल, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में मिलाकर दलिया बनाए जा सकते हैं। बच्चे की आहार में चीनी अथवा गुड को भी शामिल करना चाहिए।  

शिशु को स्तनपान कराना भी जरूरी

मोतिहारी प्रखण्ड समन्वयक नितेश कुमार ने बताया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी  कराएँ और जन्म के बाद छः माह तक सिर्फ स्तनपान ही कराएँ। तभी बच्चे के स्वस्थ शरीर का निर्माण हो पाएगा। 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में  200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी। चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों के  पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया।

शिशुओं के पोषाहार के लिए इन बातों का रखें ख्याल

•6 माह बाद शिशुओं को स्तनपान के साथ ही अनुपूरक आहार दें।
•स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को अतिरिक्त आहार सुपाच्य भोजन के रूप में दें।
•शिशु को मल्टिंग आहार (अंकुरित साबुत अनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) देना चाहिए।
•माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
•शिशु द्वारा अनुपूरक आहार नहीं खाने की स्थिति में भी उन्हें थोडा-थोडा करके कई बार अतिरिक्त भोजन खिलाना चाहिए।

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