Tuesday, May 21 2024

नहीं रहीं भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर, दो दिनों का राष्ट्रीय शोक

FIRSTLOOK BIHAR 19:53 PM खास खबर

नई दिल्ली:  कई दशकों से अपनी मधुर आवाज से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाली स्वर कोकिला व भारत रत्न लता मंगेशकर का रविवार ( 06 - 02 - 2022 ) को निधन हो गया. लता मंगेशकर ने सुबह 8:12 मिनट पर अंतिम सांस ली. वे बीते 8 जनवरी से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में कोविड संक्रमित होने के बाद से भर्ती थीं. लगातार आईसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में थीं. हालांकि उनकी सेहत में सुधार हो रहा था. लता मंगेशकर को कुछ दिनों के लिए वेंटिलेटर पर रखा गया था और फिर बाद में वेंटिलेटर से हटा दिया गया था. लेकिन अचानक तबीयत फिर बिगड़ी और  वेंटिलेटर पर दोबारा रखा. लेकिन आज उनकी निधन की खबर ने हर सभी को हिलाकर रख दिया.

इलाज में जुटी थी पांच डॉक्टरों की टीम

लता मंगेशकर की देखभाल के लिए अस्पताल में पांच डॉक्टरों की टीम तैनात थी. डॉक्टर प्रतीत समदानी ने कहा कि लता मंगेशकर को कोरोना के साथ-साथ निमोनिया भी हो गया था. 

30,000 से अधिक गायीं थी गाने

लता मंगेशकर ने एक हजार से अधिक हिंदी फिल्मों व 36 क्षेत्रीय फिल्मों में गाना गाया था . कुछ मिलाकर वो 30,000 से अधिक गानों को अपनी आवाज दे चुकी हैं. लता मंगेशकर ने मधुबाला से लेकर प्रियंका चोपड़ा तक के लिए अपनी आवाज दी है. 

दो दिवसीय राष्ट्रीय शोक मनाया जायेगा

लता मंगेशकर की याद में दो दिवसीय राष्ट्रीय शोक मनाया जाएगा. केंद्र सरकार ने इसकी घोषणा के साथ सभी राज्यों को पत्र भी लिखा है. सम्मान के तौर पर दो दिनों तक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा. वहीं दिवंगत लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा जाएगा और उन्हें पूर्ण सैन्य सम्मान दिया जाएगा. उनकी अंतिम यात्रा में मिलिट्री बैंड शोक संगीत बजाएगा और उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी जाएगी. 

पहला गाना 1949 में फिल्म महल के लिए गाया

लता मंगेशकर ने अपना पहला हिंदी फ़िल्मी गाना 1949 में आई फ़िल्म महल के लिए गाया था. इस फ़िल्म में उनकी गाने की काफ़ी तारीफ़ हुई थी. फ़िल्म महल में उनके गाने की धुन पर मशहूर संगीतकारों ने नोटिस लिया और उन्हें मौक़ा मिलने लगा. इसके बाद करीब चार दशकों तक लता मंगेशकर ने हिंदी फ़िल्मों में हज़ारों गाने गाए.

पाकीज़ा, मजबूर, आवारा, मुग़ल-ए-आज़म, श्री 420, अराधना और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी रोमैंटिक फ़िल्म में भी उन्होंने गाने गाए.

1962 में चीन सीमा पर जब लता ने, ये मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, गाये तो रो पड़े थे नेहरू

जब लता मंगेशकर ने 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के सम्मान में ऐ मेरे वतन के लोगों नाम का गीत गाया था, तो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आँखें भी भर आई थीं.

एक्टिंग भी की थी लता मंगेशकर

लता मंगेशकर ने आठ मराठी और हिंदी फ़िल्मों में अभिनय भी किया था. 1943 में आई मराठी फ़िल्म गजभाऊ में उन्होंने कुछ लाइनें और कुछ शब्द गाए भी थे. ये फ़िल्मों में उनका पहला गीत था. 1947 के आते-आते लता मंगेशकर एक्टिंग कर के हर महीने क़रीब 200 रुपए कमाने लगी थीं. एक बार एक फ़िल्म निर्देशक ने उन्हें अपनी भौंहे कटवाने को कहा, तो लता मंगेशकर को ज़बरदस्त सदमा लगा. निर्देशक ने कहा था कि उनकी भौंहें बहुत मोटी हैं. लेकिन, लता को निर्देशक की बात माननी पड़ी थी.

इंदौर में हुआ था लता मंगेशकर का जन्म, पिता भी थे गायक

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था. उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर भी एक गायक थे. दीनानाथ मंगेशकर थिएटर कलाकार भी थे जिन्होंने मराठी भाषा में कई संगीतमय नाटकों का निर्माण किया. लता मंगेशकर, अपने पिता की पांच संतानों में सबसे बड़ी थीं. बाद में लता के छोटे-भाई बहनों ने भी उनका अनुसरण करते हुए संगीत की दुनिया में क़दम रखा और आगे चल कर सभी देश के मशहूर गायक बने.

पांच साल की उम्र में पिता ने पहचानी लता की प्रतिभा

लता के गाने की शुरुआत पाँच साल की उम्र में हुई थी. नसरीन मुन्नी कबीर की किताब लता इन हर ओन वॉएस में खुद लता बताती हैं, मैं अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर को गाते देखती थी, लेकिन उनके सामने मेरी गाने की हिम्मत नहीं पड़ती थी. एक बार लता के पिता अपने एक शागिर्द को राग पूरिया धनाश्री सिखा रहे थे. किसी वजह से वो थोड़ी देर के लिए कमरे से बाहर चले गए. लता बाहर खेल रही थी. किताब के अनुसार लता ने बताया कि मैंने बाबा के शिष्य को गाते हुए सुना. मुझे लगा कि लड़का ढ़ंग से नहीं गा रहा है. मैं उसके पास गई और उसके सामने गा कर बताया कि इसे इस तरह गाया जाता है.

वे बताती हैं, जब मेरे पिता वापस आय़े तो उन्होंने दरवाज़े की ओट से मुझे गाते हुए सुना. उन्होंने मेरी माँ को बुला कर कहा, हमें ये पता ही नहीं था कि हमारे घर में भी एक अच्छी गायिका है. अगले दिन सुबह छह बजे बाबा ने मुझे जगा कर कहा था तानपुरा उठाओ. आज से तुम गाना सीखोगी. उन्होंने पूरिया धनाश्ररी राग से ही शुरुआत की. उस समय मेरी उम्र सिर्फ़ पांच साल थी.

मुश्किलों भरा वक़्त

लता मंगेशकर को कभी भी औपचारिक शिक्षा-दीक्षा नहीं मिली. एक नौकरानी ने लता को मराठी भाषा में कुछ सिखाया था. जबकि एक स्थानीय पुरोहित ने उन्हें संस्कृत की शिक्षा दी. घर आने वाले रिश्तेदारों और अध्यापकों ने उन्हें दूसरे विषयों में पढ़ाया था.

वर्ष 1942 ई में लताजी के पिताजी का देहांत हो गया इस समय इनकी आयु मात्र तेरह वर्ष थी. भाई बहिनों में बड़ी होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी का बोझ भी उनके कंधों पर आ गया था. दूसरी ओर उन्हें अपने करियर की तलाश भी थी. पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की कारण से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। बड़ी माँ, में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसले ने। उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन किया।

जिस समय लताजी ने (1948) में पार्श्वगायिकी में कदम रखा तब इस क्षेत्र में नूरजहां, अमीरबाई कर्नाटकी, शमशाद बेगम और राजकुमारी आदि की तूती बोलती थी. ऐसे में उनके लिए अपनी पहचान बनाना इतना आसान नही था. लता का पहला गाना एक मराठी फिल्म कीति हसाल के लिए था, मगर वो रिलीज नहीं हो पाया.

1945 में उस्ताद ग़ुलाम हैदर (जिन्होंने पहले नूरजहाँ की खोज की थी) अपनी आनेवाली फ़िल्म के लिये लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गये जिसमे कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फ़िल्म के लिये पार्श्वगायन करे। लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों अंग्रेजी छोरा चला गया और दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ की। हालाँकि इसके बावज़ूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी।

1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म महल के आयेगा आनेवाला गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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