Tuesday, May 21 2024

चचेरा भतीजा ही निकला चाचा का हत्यारा

FIRSTLOOK BIHAR 22:33 PM बिहार

भागलपुर : लोदीपुर बायपास इलाके में बैजानी गांव निवासी स्टूडियो संचालक आशीष कुमार मिश्रा उर्फ रौशन की हत्या किसी अज्ञात हमलावरों ने नहीं बल्कि उसे जमीन दिखाने ले जाने वाला उसका खुद का चचेरा भतीजा दीपक मिश्रा ने ही किया था। उसने बैजानी गांव में ही खरीदे गए जमीन के एक टुकड़े को लेकर हुए विवाद में अपने चचेरे चाचा की हत्या कर डाली। दीपक ने आशीष की हत्या को बहुत ही नाटकीय अंदाज में करने की पहले से योजना बना रखी थी। दीपक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उसने हत्या में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर लिया। उसने पुलिस के समझ कबूल कर लिया कि हत्या के लिए उसने लोदीपुर बायपास पेट्रोल पंप के समीप एक प्लाट देखने के लिए आशीष को पांच फरवरी को राजी कर लिया। आशीष की पत्नी जमीन देखने नहीं जाने को कही ,लेकिन वह जिद कर उसे बायपास इलाके में ले गया था।

पुलिस को की भटकाने की कोशिश

वहां खुद बड़े फल वाले चाकू से उसे सिर में घातक घाव कर मार डाला और गढ़ी कहानी पुलिस को सुना तफ्तीश में लगी पुलिस टीम को भटकाने की कोशिश की। हालांकि एसएसपी बाबू राम और डीएसपी डा.गौरव कुमार घटना के बाद से ही मामले में दीपक के बार-बार बयान बदलने, असामान्य हरकत करने और परिस्थितिजन्य साक्ष्य को देखते हुए उसे संदेह के घेरे में रखकर निगरानी करा रहे थे। दीपक और उसके कुछ नजदीकियों ने काल डिटेल आदि से भी पुलिस को भरमाने की कोशिश की थी लेकिन रविवार की रात तक डीएसपी विधि-व्यवस्था ने एसएसपी बाबू राम के बताए बिंदुओं पर छानबीन कर उन तमाम भरमाने वाले साक्ष्यों को झुठलाते हुए दीपक की हत्या में सीधी संलिप्तता को उजागर कर दिया। एसएसपी और डीएसपी घटनास्थल का उन तमाम साक्ष्यों से मिलान कर घटना का नाट्य रूपांतरण भी किया।

जहां खून अधिक गिरे थे, उसे छिपाने के लिए दीपक उसी पर लेट गया था

दीपक ने आशीष के सिर पर पहला गहरा वार जब किया तो वहां खून काफी गिरे थे। आशीष के जमीन पर गिरते ही वह दूसरा फिर तीसरा वार कर उसे जमीन पर गिरा दिया था। उसे जमीन पर गिराने के बाद वह वहीं ओट में छिपकर छटपटाते आशीष के दम टूटने का इंतजार करता रहा। करीब 40 मिनट बाद छटपटाते आशीष का शरीर जब शांत हो गया तब दीपक उसके समीप जाकर उसके शरीर को लात मारकर उस जगह से हटा कर वही वह खुद लेट गया। अपने हथेली की उंगली को खुद चाकू से वार कर काट दिया था। हत्या में प्रयुक्त लंबे फल वाले चाकू को दीपक ने अपनी ताकत से जहां तक हो घटनास्थल से ही फेंका था। मौके पर पहुंची एफएसएल की टीम ने भी दीपक की हत्या में भूमिका को उजागर करने में मदद की।

हत्यारे दीपक की चाल से भ्रमित हो गये थे लोग

घटनास्थल पर अधिक खून गिरने वाले स्थान पर आशीष के शव को हटाकर दीपक के खुद लेट जाने के बाद पुलिस और घटनास्थल पर आने वाले लोग भ्रमित हो गए थे। दीपक ने फोन कर घटना की जानकारी अपनों को दी थी। पुलिस मौके पर पहुंच उसे जख्मी हालत में जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया था। उसने हत्या बाद खुद हाथ में जख्म बनाया और अस्पताल में डाक्टरों को ऐसा बहाना बनाते हुए खुद को प्रस्तुत कर राजी कर लिया कि अभी वह बोलने या बयान देने की सूरत में नहीं है। हथेली के जख्म को आग्नेयास्त्र का जख्म बताया जिसे देख डाक्टर भी हामी भरने लगे कि वह जख्म गोली का है। दीपक खुद बेहोश होने का नाटक दूसरे दिन तक करता रहा।

एक घंटे में ही हो जाता कांड का पर्दाफाश, जाम लगाने से हुई देरी : एसएसपी

एसएसपी बाबू राम ने बताया कि हत्याकांड का पर्दाफाश हमारी पुलिस एक घंटे में कर देती लेकिन कुछ युवकों ने किसी के बहकावे में आकर पांच घंटे तक सड़क जाम कर दिया। पुलिस वालों को उसी के निवारण में उलझाए रखा। मामले को ऐसा राजनीतिक बना दिया था कि पुलिस तुरंत दीपक से पूछताछ भी नहीं कर पाई। यह समझते हुए भी कि वह मुख्य संदेही है। अगर पुलिसकर्मियों को काम समय पर करने दिया होता तो यह कांड एक घंटे में सुलझ जाता। एसएसपी ने जानकारी दी कि बाहरी दबाव से मुक्त होने पर मृत आशीष मिश्रा के घर वालों ने समझदारी दिखाते हुए तार्किक बुद्धि का परिचय दिया। दर्ज केस में दीपक मिश्रा का नाम संदेही के रूप में दिया। पुलिस को इससे सुविधा हुई और दीपक ने अपना अपराध भी कबूल लिया।

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