Tuesday, May 21 2024

बोचहां विधानसभा उप चुनाव में सांसद अजय निषाद व मंत्री मुकेश सहनी की प्रतिष्ठा दांव पर

FIRSTLOOK BIHAR 23:49 PM बिहार

चुनाव परिणाम तय करेगा कौन हैं मल्लाह समाज का सर्वमान्य नेता

अमर पासवान ने राजद का दामन थामकर लड़ाई को कर दिया पेचीदा, वीआईपी व भाजपा के लिए कठिन चुनौती
पटना : बोचहां विधानसभा उप चुनाव को लेकर पूर्व विधायक स्वर्गीय मुसाफिर पासवान के पुत्र अमर पासवान ने जिस सूझ-बूझ का परिचय दिया है वह बड़े - बड़े राजनीतिक दिग्गजों को अचंभित कर दिया है। अमर पासवान ने एनडीए में पड़े राजनीतिक दरार को देख एक कुशल राजनीतिज्ञ की तरह भांपते हुए राजद का दामन थाम लिया और राजद ने अमर को अपना प्रत्याशी भी बना दिया है। जिससे बोचहां का यह चुनाव काफी रोचक हो गया है। इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका वीआईपी के मुकेश सहनी को लगा है। एनडीए में भाजपा ने वीआईपी को दरकिनार करते हुए बेबी कुमारी को भाजपा से उम्मीदवार बना दिया है। पूर्व विधायक बेबी कुमारी को भाजपा से उम्मीदवार बनाने में सांसद अजय निषाद ने मुख्य भूमिका निभाई है। अजय निषाद लगातार मुकेश सहनी पर प्रहार कर रहे हैं। अब एक तरह से माने तो बोचहां उप चुनाव का परिणाम अजय निषाद  व मुकेश सहनी का राजनीतिक वजूद भी तय करेगा कि आखिर मल्लाह समाज का असली नेता कौन है। इधर बड़ी तेजी से मल्लाह समाज के बीच पैठ बनाकर मुकेश सहनी आगे बढ़े और मंत्री भी बने। लगातार पिछड़ों की आवाज भी उठा रहे हैं। बोचहां की यह लड़ाई अजय निषाद व मुकेश सहनी के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। मुकेश सहनी भी अपना उम्मीदवार उतारने को तैयार हैं। जिसमें पूर्व मंत्री रमई राम की पुत्री पूर्व विधान पार्षद गीता देवी का नाम सबसे आगे आ रहा है। यदि गीता देवी वीआईपी से उम्मीदवार होती है तो यहां त्रिकोणीय मुकाबला होना तय माना जा रहा है। राजनीतिक दिग्गजों का मानना है कि मुकेश सहनी को एनडीए से झटका दिये जाने से उन्हे सहानुभूति का लाभ मिल सकता है, वहीं अमर पासवान को विधायक रहते पिता मुसाफिर पासवान के निधन हो जाने से लोगों की सहानुभूति होने की बात बताई जा रही है। अगर ऐसा कुछ हुआ तो भाजपा के बेबी देवी की चुनावी नइया पार करना आसान नहीं होगा।

दो सहनी नेता की वजूद की लड़ाई

यहां उम्मीदवारों से अधिक दो मल्लाह नेता की वजूद की लड़ाई भी साफ तौर पर दिख रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में सहनी समाज का अधिकांश वोट वीआईपी के पक्ष में पड़े थे। जिससे मुसाफिर पासवान वोट के बड़े अंतर से चुनाव जीते थे।

भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव से चली रही गुटबंदी को पाटना होगा

जानकारी हो कि पिछले विधानसभा चुनाव के समय से ही बोचहां में भाजपा दो गुटों में बंटा हुआ है। यदि भाजपा का गुटबाजी समाप्त नहीं हुआ तो भाजपा को इस चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैसे भी आजतक बोचहां विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की जीत नहीं हुई है। भाजपा को यह सीट जीतने के लिए एंड़ी चोटी एक करनी होगी। यदि भाजपा यहां से चुनाव जीतती है तो यह ताज बेबी व अजय के माथे जायेगा।

राजद के माय समीकरण के साथ पासवान के जुड़ने से स्थिति दिख रही मजबूत

राजद के माय समीकरण के साथ पासवान जाती के जुड़ जाने से अमर पासवान भी राजद के मजबूत उम्मीदवार साबित हो सकते हैं। इधर दो सहनी नेता के बीच वर्चस्व व मूंछ की लड़ाई का फायदा उठाने की कोशिश भी राजद कर सकता है। ऐसे में यहां की लड़ाई साफ दिखाई दे रहा है जिसका परिणाम चौकाने वाला होगा। यदि मुकेश सहनी अपने उम्मीदवार को जीताने में सफल नहीं भी होते हैं और भाजपा को भी जीत से रोक लेते हैं तो भी मुकेश सहनी मल्लाह समाज का नेता बनें रह सकते हैं। यदि भाजपा उम्मीदवार की जीत होती है तो अजय निषाद अपने पिता कैप्टन जयनारायण निषाद की तरह निषादों के सर्वमान्य नेता माने जाएंगे।

Related Post