Tuesday, May 21 2024

तुम महफूज़ रखना मेरी अश्कों के तारे न चाँद की अरमां दिलमें न आसमान के तारे

FIRSTLOOK BIHAR 00:32 AM मनोरंजन

बिहार की सांस्कृतिक राजधानी ...

~संस्कारशाला .. ~ गेटवे ऑफ नॉर्थ बिहार ,
स्मार्ट सिटी मुजफ्फरपुर
,लीचीपुरम
आख़िर है क्या चीज मुजफ्फरपुर ?
बहुत सर खपाये समझ में नही आया !
1875 में बना एक राजस्व जिला ..
एक कस्बेनुमा शहर , गंवई संस्कृति से लबालब जिंदादिल लोगों का शहर मुजफ्फरपुर .
आज भी शहर बनने के जद्दोजहद में लगा हुआ है ,
रोज सड़कें बनते हैं , टूटते हैं, नाले नालियां बनती है बिगड़ती है .

बस नही बदलती तो शहर की तासीर और तस्वीर ..

मुजफ्फरपुर की हाल देख अपनी व्यथा को नहीं रोक पा रहे हैं जाने माने आर्किटेक्ट ब्रजेश्वर ठाकुर

बिहार के जाने माने आर्किटेक्ट इंजीनियर ब्रजेश्वर ठाकुर मुजफ्फरपुर की दशा देख इतने व्यथित हैं कि वे अपनी शायराना अंदाज की लेखनी से मुजफ्फरपुर की हालात को बयां करने से रोक नहीं पा रहे हैं . रोकें भी तो कैसे! क्योंकि वे भी मुजफ्फरपुर के ही रहने वाले हैं. अपने शायराना अंदाज में उत्तर बिहार की अघोषित राजधानी मुजफ्फरपुर की हाल को बयां करते हुए ई ब्रजेश्वर ठाकुर बताते हैं कि करीब - करीब पूरी दुनिया में सड़कें और नालियां बन चुकी है , लेकिन मुजफ्फरपुर में आज भी प्लान ही बन रहा है .

स्मार्ट सिटी में नाम आया तो लगा हो जायेंगे स्मार्ट

जब स्मार्ट सिटी में नाम आया तो लगा हमलोग भी अब स्मार्ट हो जायेंगे .
लेकिन हुआ कुछ भी नही .
भारत के अन्य राज्यो के गैर राजधानी शहरों के तुलना में हम कहां हैं ?

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई है . राजधानी से बाहर निकलिये तो पूना है , नागपुर है, अमरावती है , सतारा है , चंद्रपुर है ..

साउथ के राज्यो में गांवों की गलियां भी हमारे हाइवे से सुंदर और सपाट है .

टूटी सड़कें व बजबजाती नालियां बन चुकी है पहचान
~ लेकिन बिहार में बस पटना है ,
मुजफ्फरपुर नही है .
मतलब न ग्रीन शहर है न क्लीन शहर है , न खुला-खुला गांव है .
पिछले 10 वर्षो से स्मार्ट बनते बनते बर्बाद हो चुके हैं, धूल-धक्कड़ , टूटी सड़कें, बजबजाती नालियां पहचान बन चुकी है !

आखिर दोषी कौन!
जाने कब बदलेगा हमारा शहर . दोषी कौन , विजन रहित जनप्रतिनिधियों की बात ही बेमानी है,
यंहा ब्यूरोक्रेट्स भी माल बनाने और समय काटने आते हैं .
हम जैसे टेक्नोक्रेट्स के पास सपने तो बहुत हैं , लेकिन जमीन पर उतारने के संसाधन ....... कहां से लायें,
खैर हर तस्वीर का एक स्याह एक उज्ववल पक्ष होता है, उज्ववल पक्ष यही है कि हमारे सपने अभी भी जिंदा है .
आज नही तो कल ये मंजर बदलेगा ,
सुंदर सड़कें होंगी ,साफ नालियां होंगी ग्रीन कॉरिडोर होगा .

तुमने देखा कहां अभी हमारे तबाही के मंजर,
बरसात में झील का नज़ारा, गरमी में रेगिस्तान सा बंजर

लेखक : सपनो का शिल्पकार /अभियंता ...
Er. Brajeshwar ThaKur
Engeeners Enclave
B.B. Ganj Muzaffarpur
Mob 9431239417.

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