Tuesday, May 21 2024

बिहार के राज्यपाल के प्रधान सचिव आर एल चौंग्थू पर प्राथमिकी, गलत तरीके से हथियार का लाइसेंस बांटने का आरोप

FIRSTLOOK BIHAR 23:33 PM बिहार

पटना : पांच लाख रुपये घूस लेकर हथियार का लाइसेंस देने के मामले में गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी के. राजेश की गिरफ्तारी के बाद बिहार के भी एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पर शिकंजा कसता दिखाई दे रहा है। सरकार ने राज्यपाल के प्रधान सचिव और सहरसा के पूर्व जिलाधिकारी आईएएस आर एल चोंग्थू के खिलाफ मुकदमा चलाने की स्वीकृति दे दी है। 1997 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी रोबर्ट एल चोंग्थू के ऊपर आरोप है कि वर्ष 2004 में सहरसा के डीएम रहते उन्होंने गलत तरीके से बाहुबलियों और अन्य लोगों को धड़ल्ले से हथियार का लाइसेंस उपलब्ध कराया। अपात्र लोगों को हथियार का लाइसेंस देने के मामले में मुकदमा चलाने के लिए आईएएस आर एल चोंग्थू के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति सक्षम प्राधिकार ने दे दी है। यह अनुमति साल 2005 में सहरसा के सदर थाने में दर्ज मामले में दी गई है।

कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज

सरकार के संयुक्त सचिव कार्यालय से जारी पत्र के मुताबिक सहरसा जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी सह शस्त्र अनुज्ञापन पदाधिकारी रोबर्ट एल चोंग्थू को अभियुक्त बनाते हुए उनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 109 , 419 , 420 , 467, 468 , 471 , 120 बी और 30 आर्म्स एक्ट के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। अभियोजन स्वीकृति के लिए आदेश 27 अप्रैल 2022 के माध्यम से प्राप्त हुआ है। इसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू हुई। जानकर बताते हैं कि बिहार के सहरसा जिले में डीएम रहने के दौरान आर एल चोंग्थू ने 229 लोगों को हथियार का लाइसेंस दिया था। जांच के दौरान पाया गया कि जिनको हथियार का लाइसेंस दिया गया , उन लोगों का नाम - पता , पहचान कुछ भी सही नहीं था। इसके बाद 14 लोगों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था।

नियम के विरुद्ध बाहरी लोगों को भी लाइसेंस देने का आरोप

इनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने नियम को ताक पर रखकर बाहरी जिले के लोगों को आर्म्स लाइसेंस निर्गत किया। इस मामले में बिहार पुलिस ने फर्जी नाम - पता के आधार पर आर्म्स लाइसेंस पाए सात लोगों पर केस किया था। इसमें ओमप्रकाश तिवारी और उनकी पत्नी दुर्गावती देवी , हरिओम कुमार , अभिषेक त्रिपाठी , उदयशंकर तिवारी , राजेश और मधुप सिंह को अभियुक्त बनाया गया था। दूसरा आरोप पत्र 13 अप्रैल 2006 को 14 आरोपियों पर दायर किया गया था। तब आर एल चोंग्थू और अभियुक्त अभिषेक त्रिपाठी को दोषमुक्त करार दिया गया। हालांकि 2009 में पुलिस ने दोबारा अनुसंधान की अनुमति मांगी थी , जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया था। सहरसा के सदर एसडीपीओ संतोष कुमार ने बताया कि अभियोजन की स्वीकृति के बाद कार्रवाई हो रही है।

आईएएस रोबर्ट एल चोंग्थू ने भागलपुर के तत्कालीन मेयर और सीएम नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता दीपक भुवानियां उर्फ़ दीपू भुवानियां को भी हथियार का लाइसेंस दिया था। ज्ञात हो कि अपने इलाके में बाहुबली माने जाने वाले दीपक भुवानिया एक समय गाड़ियों पर लाल बत्ती लगाकर घूमते थे , जो प्रशाशन की नाकामी को परिभाषित करता था। दीपक उर्फ़ दीपू जेडीयू के प्रवक्ता के साथ - साथ जदयू प्रदेश व्यवसायिक प्रकोष्ठ कार्यकारिणी के सदस्य थे।

भागलपुर कमिश्नर रहते गिरफ्तारी का निकला था वारंट

गौरतलब है कि भागलपुर में कमिश्नर रहने के दौरान श्री चौंग्थू को अरेस्ट करने के लिए वारंट जारी किया गया था। सहरसा कोर्ट के तत्कालीन सीजेएम राजेंद्र चौधरी ने आईएएस अधिकारी के विरुद्ध वारंट जारी किया था। बिना पुलिस वेरिफिकेशन किये हथियार का लाइसेंस देने के ही मामले में यह वारंट जारी किया गया था।

कई प्रमंडल के रहे कमिश्नर

आईएएस रोबर्ट एल चोंग्थू बिहार में कई बड़े पदों पर रहे हैं। 1997 बैच के आईएएस अधिकारी श्री चौंग्थू प्रशिक्षण के बाद 01 अगस्त 1999 को बिहार के साहिबगंज में एसडीओ के रूप में प्रशासनिक सेवा की शुरुआत की। वे 2007 से 2014 तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी थे। उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और अल्पसंख्यक कल्याण एवं सामाजिक न्याय मंत्रालय में तैनात किया गया था। 2014 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस आने के बाद उन्हें बिहार के भागलपुर का कमिश्नर बनाया गया। तीन साल तक भागलपुर कमिश्नर रहने के बाद रोबर्ट एल चोंग्थू को 2017 में शिक्षा विभाग का सचिव बनाया गया। फिर उन्हें अगले ही साल 2018 में पटना का कमिश्नर बनाया गया। वहां एक साल रहने के बाद नीतीश सरकार ने 2019 में उन्हें सारण का प्रमंडलीय आयुक्त के रूप में पदस्थापित किया। फिलहाल वे बिहार के राज्यपाल के प्रधान सचिव पद पर कार्यरत हैं।

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