Tuesday, May 21 2024

डाॅ मिश्र की नीतियां आज भी मील का पत्थर साबित हो रही है : नीतीश मिश्रा

FIRSTLOOK BIHAR 05:30 AM बिहार

मुजफ्फरपुर : अविभाजित बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा एलएन मिश्रा काॅलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट के संस्थापक अध्यक्ष डॉ जगन्नाथ मिश्र को उनकी तृतीय पुण्य-तिथि पर याद किया गया। आज ललित नारायण मिश्र कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेन्ट, मुजफ्फरपुर के सभी संकायों के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के द्वारा महाविद्यालय परिसर में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। इस अवसर पर बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और झंझारपुर के वर्तमान विधायक एवं डॉ मिश्र के पुत्र नीतीश मिश्रा एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। इस अवसर पर नीतीश मिश्रा ने कहा कि डॉ मिश्र अपने अग्रज ललित बाबू के स्वप्न मैं रहूँ ना रहूँ बिहार बढ़कर रहेगा को धरातल पर उतारने हेतु जीवन पर्यन्त लगे रहे।

नीतीश मिश्रा ने कहा कि डाॅ मिश्र की नीतियाँ आज भी शिक्षा, पंचायती राज व्यवस्था, अल्पसंख्यक कल्याण, उर्दू को द्वितीय राजभाषा के तौर पर स्थापित करने और ग्रामीण विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

बिहार की आम जनमानस की पीड़ा व मूल समस्याओं के निदान के लिए आजीवन प्रतिबद्ध रहे

महाविद्यालय के कुलसचिव डाॅ केएस शेखर ने कहा कि डॉ मिश्र बिहार के आम जनमानस की पीड़ा और मूल समस्याओं के निष्पादन हेतु आजीवन प्रतिबद्ध थे। संत विनोबा भावे और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रेरणा से सामाजिक विकास की समरसता कायम रखने हेतु डॉ मिश्र ने अपनी पारिवारिक सम्पत्ति से हजारों एकड़ जमीन भूदान आन्दोलन में समर्पित कर दिया था।

प्रबंधन शिक्षा संस्थानों की स्थापना में अभूतपूर्व योगदान रहा

श्री शेखर ने कहा कि देश के आर्थिक विकास की दिशा में प्रयासरत डॉ मिश्र महात्मा गांधी के विचार शिक्षा के द्वारा स्वावलंबन को बढ़ावा देने हेतु राज्य में प्रबंधन शिक्षा संस्थानों की स्थापना में अभूतपूर्व योगदान दिया। वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी शिक्षा में स्वावलंबन को प्रोत्साहित करती है। ये संस्थान आज भी देश के आर्थिक विकास में भागीदार है।

शिक्षा की अलख जगाने की ठान ली थी

संस्थान के प्रभारी प्राचार्य डॉ श्याम आनन्द झा ने बताया कि डॉ मिश्र अपनी किशोरावस्था से ही शिक्षा के महत्व को आत्मसात कर पूरे समाज में इसकी अलख जगाने की ठान ली थी। शिक्षा ही समाज का सर्वांगीण विकास कर सकती है, ऐसा दृष्टिकोण रखते हुए डॉ मिश्र ने सदैव एक समाजसेवी शिक्षाविद् और लब्ध प्रतिष्ठित राजनेता के रूप में निर्णय लिया। अविभाजित बिहार की जनता के बीच डॉ साहब के रूप में लोकप्रिय डॉ मिश्र सक्रिय राजनीति में कदम रखने से पहले अर्थशास्त्र के प्राध्यापक के रूप में पदस्थापित हुए। बिहार विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एवं जेएनयू के विभिन्न काउंसिल के सदस्य रहे। सन् 1968 में बिहार विधान परिषद् के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति में पदार्पण कर सन् 1990 तक अविभाजित बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री बने। राजनीतिक जीवन यात्रा में राज्यसभा सदस्य, केन्द्रीय मंत्री और प्रतिपक्ष नेता (बिहार विधान सभा) के रूप में उन्होंने हमेशा शिक्षा की मजबूत नींव डालकर समाज को सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया। जिसके तहत सैकड़ों महाविद्यालय का सरकारीकरण, शिक्षण गुणवत्ता का विकास, बालिका मेधा छात्रवृत्ति योजना एवं जन-भाषाओं के विकास हेतु शोध अकादमी की स्थापना संभव हो पाई।

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