Tuesday, May 21 2024

जन्म से छह साल तक के बच्चों के वृद्धि की पहले माह में होगी निगरानी

FIRSTLOOK BIHAR 23:34 PM बिहार

-फ़रवरी में मनाया जाएगा पहला वृद्धि निगरानी सप्ताह 

मुजफ्फरपुर : बाल कुपोषण को समाप्त करने के लिए आईसीडीएस द्वारा कई स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं, जिसमें आंगनवाड़ी केंद्रों पर नियमित रूप से बाल वृद्धि निगरानी एक महत्वपूर्ण सेवा है. इस सेवा की निरंतरता बनाए रखने और सेवा की उपयोगिता के बारे में जागरुक करने के लिए वर्चुअल माध्यम से मंगलवार को  आईसीडीएस के सभी डीपीओ, सीडीपीओ, एलएस और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का उन्मुखीकरण किया गया. इस संबंध में मुजफ्फरपुर की डीपीओ चांदनी सिंह ने कहा कि जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्र पहले से ही बाल वृद्धि की सेवा को लेकर सजग और सर्तक हैं। फरवरी माह से मनने वाले इस सप्ताह पर आईसीडीएस की इस पर विशेष नजर रहेगी। जन्म से लेकर छह माह तक का कोई बच्चा अब न छूटे इसके लिए निदेश भी दिया जाएगा।       

फ़रवरी माह से शुरू होगी वृद्धि निगरानी

   प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, आईसीडीएस के निदेशक कौशल किशोर ने कहा कि प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में  0 से 6 साल तक के बच्चों की वृद्धि निगरानी की जाएगी. इसे फ़रवरी माह से शुरू किया जाएगा, जिसे वजन सप्ताह या वृद्धि निगरानी सप्ताह के रूप में मनाया जाएगा. कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों की वृद्धि की बेहतर निगरानी करने की है. योजना के 6 मुख्य घटकों में वृद्धि निगरानी एक महत्वपूर्ण घटक है. बच्चों के लिए 6 साल तक का समय महत्वपूर्ण होता है. विशेषकर 2 साल तक के बच्चों की निगरानी अधिक जरूरी हो जाती है. वहीं, बच्चों की वृद्धि निगरानी के जरिए कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों की पहचान होगी एवं उन्हें बेहतर रेफरल सेवाएं प्रदान की जा सकेगी. वृद्धि निगरानी सप्ताह मनाने का उद्देश्य यह भी है कि बच्चों के अभिभावकों को ससमय सुधार हेतु सही परामर्श दिया जा सके. 

वृद्धि निगरानी कुपोषण से निज़ात दिलाने में सहायक 

यूनिसेफ की पोषण पदाधिकारी शिवानी डार ने बताया कि आंगनबाड़ी सेवाओं में वृद्धि निगरानी एक प्रमुख सेवा है. बच्चों के शारीरिक वृद्धि से मानसिक विकास भी संबंधित है. प्रत्येक माह वृद्धि निगरानी करने से हम सही समय पर वृद्धि अवरोधों को जान सकते हैं. इससे सही समय पर इसका निदान भी किया जा सकता है. उम्र के हिसाब से बच्चों के वजन, लंबाई एवं ऊंचाई में वृद्धि होती है. इसलिए  नियमित अंतराल पर बच्चों की वृद्धि की सही निगरानी करना जरूरी है. छोटे बच्चों में शारीरिक वृद्धि बहुत तेजी से होती है. इसे ध्यान में रखते हुए 2 साल से कम उम्र के बच्चों की वृद्धि की शत-प्रतिशत निगरानी करनी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. गरीब समुदाय या सुदूर क्षेत्र में रहने वाले बच्चों में कुपोषण की संभावना अधिक होती है. इसलिए ऐसे बच्चों को लक्षित करना भी जरूरी है.

कुपोषण एक बड़ी समस्या 

इस दौरान समाज कल्याण विभाग के सचिव  प्रेम सिंह मीना ने बताया कि राज्य में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. इस लिहाज से  इस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. इससे निज़ात पाने के लिए विभिन्न दिशा-निर्देश भी दिया गया है, जिसमें विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से सरलता से जानकारी दी गयी है. दिशा निर्देश में अलग से निगरानी फॉर्मेट भी दिया गया है जिसे समुदाय भ्रमण के दौरान भरना भी जरूरी है. राज्य के बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के संकल्प को मजबूत करने में वृद्धि निगरानी काफ़ी कारगर साबित होगा. 

कार्यक्रम में पोषण अभियान के राज्य नोडल पदाधिकारी रिफ़त अंसारी, पोषण सलाहकार मनोज कुमार, डॉ. संदीप  घोष  एवं संतोष गुप्ता उपस्थित रहे.

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