Friday, May 17 2024

65 वर्ष की आयु तक का कोई भी व्यक्ति कर सकता है अंगदान

FIRSTLOOK BIHAR 17:43 PM बिहार

मुजफ्फरपुर : आरडीएस कॉलेज एनएसएस इकाई द्वारा आयोजित स्पेशल कैंप के छठे दिन रविवार को विश्व अंगदान दिवस पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में डे लाइट हॉस्पिटल के डॉ अफाक अहमद ने कहा कि अंगदान महादान है। विश्व अंगदान दिवस के अवसर पर दुनियाभर में लोगों को अंगदान के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 65 वर्ष की आयु तक का कोई भी व्यक्ति अंग दान कर सकता है। अंगदान के रूप में किडनी, हार्ट,आंख,अग्नाशय आदि महत्वपूर्ण अंगों का दान दिया जाता है। एक अंग दाता आठ से ज्यादा जीवन को बचा सकता है। भारत सरकार मानव अंग अधिनियम 1994, अंगदान की अनुमति देता है।

पहली बार 1954 में किया गया अंगदान

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ अमिता शर्मा ने कहा कि 1954 में पहली बार अंगदान किया गया था। उस समय पहली बार रोनाल्ड ली हेरिक ने अपने भाई को किडनी दान देकर नया जीवन प्रदान किया था। डॉ जोसेफ मरे ने पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट किया था। इस मानवीय कार्य हेतु साल 1990 में डॉ जोसेफ मरे को फिजियोलॉजी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने बताया कि हमारे पौराणिक आख्यानों में दधीचि द्वारा हड्डी दान की कथा है जो हमें बताती है कि शरीर के अंगों का दान कितना महत्वपूर्ण है।

अंगदान दिवस लोगों को जीवन बचाने का बेहतरीन मौका

कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ पयोली ने बताया कि अंगदान दिवस लोगों के जान बचाने का एक बेहतरीन मौका देता है। हर व्यक्ति को अपने बहुमूल्य अंगों को दान देने का संकल्प लेना चाहिए।

इस अवसर पर डे लाइट हॉस्पिटल के द्वारा मेडिकल कैंप भी लगाया गया जिसमें डॉ फिलजा अशरफ, डॉ आफाक अहमद, डॉ शाहनवाज, रवि शंकर, ओम प्रकाश, अजय, सुमन, अरबाज, सुधा कुमारी एवं आमिर मेडिकल टीम के सदस्य के रूप में शिरकत किये।

इन शिक्षक एवं छात्रों ने लिया अंगदान का संकल्प

डॉ पयोली, डॉ रजनीश कुमार गुप्ता, डॉ ललित किशोर, चंद्र विवेक, सतीश, श्रावणी, कृष्णा, रत्ना एवं शिवम।

मौके पर परीक्षा नियंत्रक डॉ राजीव कुमार, डॉ पयोली, डॉ ललित किशोर, डॉ मीनू, डॉ गणेश कुमार शर्मा, पंकज भूषण,मनीष कुमार आदि उपस्थित थे।

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