Wednesday, July 03 2024

31 जुलाई को दिल्ली में जदयू की होने वाली कार्यसमिति की बैठक पर सब की नजर

FIRSTLOOK BIHAR 15:02 PM बिहार

नीतीश कुमार को भांपना बहुत ही कठिन, आरसीपी का कतरा जा सकता है पर

पटना : राजनीति या फिर किसी अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मनःस्थिति को भांपना बहुत ही कठिन है । उनके कुछ करीबी भी यह मानते हैं कि नीतीश कुमार की निगाहें कहीं और होती है तथा निशाना कहीं अन्य । इसे जदयू के राष्ट्रीय कार्यसमिति की दिल्ली में अगामी 31 जुलाई को होने वाली बैठक से भी जोड़कर देखा जा सकता है । क्या उस बैठक मे दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह के द्वारा प्रदेश या जिला संगठन हेतु पिछले दिनों लिए गए कुछ निर्णयों की समीक्षा होगी! साथ ही उनके हाल के बयानो की भी? वैसे आरसीपी ने हाल ही में अपने कुछ करीबियों को बताया कि वे दल के इकलौते मंत्री के रूप मे शपथ लेने के मुद्दे पर नीतीश कुमार से सहमति ले चुके थे । यदि यह सही है तो ललन सिंह को नाराज न होने को लेकर आरसीपी के मंत्री बनने पर नीतीश ने एक तरह से नाराजगी दिखाई , क्योंकि ललन सिंह भी मंत्री बनने को आश्वस्त थे। मंत्री बनने के बाद पीसी में केन्द्रीय इस्पात मंत्री ने संगठन की भी जिम्मेदारी संभालने की इच्छा जाहिर किया था और उनके इस बयान का समर्थन जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने यह कहते हुए किया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप मे आरसीपी का कार्यकाल अगले वर्ष तक है । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद संगठन या फिर कुछ अन्य मामले में वर्षों तक दूसरे सबसे ताकतवर माने जाने वाले पूर्व नौकरशाह आरसीपी केंद्रीय मंत्रिमंडल मे शामिल होने के बाद संभवतया अपनी महत्वाकांक्षा लगभग पूरी कर चुके हैं।

अगले साल पूरा हो रहा है आरसीपी के राज्यसभा का टर्म

वैसे भी जदयू खाते से लगातार दूसरी बार राज्य सभा के सदस्य बनने वाले आरसीपी सिंह का उच्च सदन में कार्यकाल अगले वर्ष समाप्त हो रहा है । देखना दिलचस्प होगा कि जदयू कोटे से तीसरी बार राज्य सभा पहुंच कर वे केंद्रीय मंत्रिपरिषद मे बरकरार रह पाते हैं या नही । इस बीच राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि अगले वर्ष उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारे मे किसी उथल-पुथल की संभावना से इंकार नही किया जा सकता ।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर किसकी होगी ताजपोशी

फिलहाल तो राजनीति मे रूचि रखने वाले राज्यवासियों की नजर इस बात पर टिकी है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आखिर किसकी ताजपोशी होती है और उसके अनुरूप दल के प्रदेश संगठन मे कौन-सा सामाजिक - जातीय समीकरण स्वरूप लेता है ।

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