पुण्य-तिथि पर स्मरण किये गये डॉ जगन्नाथ मिश्र
मुजफ्फरपुर : ललित नारायण मिश्र कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेन्ट, मुजफ्फरपुर के प्रांगण में महाविद्यालय के संस्थापक सह आजीवन अध्यक्ष, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र को उनकी दूसरी पुण्य-तिथि पर महाविद्यालय परिवार की ओर से उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा-सुमन अर्पित किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ श्याम आनन्द झा ने डॉ मिश्र को याद करते हुए कहा कि डाक्टर साहब के स्नेह सम्बोधन से प्रसिद्ध डॉ मिश्र के सार्वजनिक जीवन में उनके सौम्य और विलक्षण व्यक्तित्व से लोगों पर चुम्बकीय प्रभाव था। उनके महाप्रयाण की खबर सुनकर उमड़ा जन सैलाब का साक्षी यह महाविद्यालय है। राजनीतिक जीवन में दीर्घकाल तक बिना किसी पद पर रहने के बाद भी वह समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों के अंतर्मन में समाए हुए थे। बिहार की राजनीति, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र में डॉ मिश्र का विशिष्ट योगदान उन्हें मिथिलांचल की विलक्षण विभूति के रूप में सुशोभित करता है। उन्होंने एकीकृत बिहार राज्य की सर्वांगीण विकास-धारा को पैनी अर्थशास्त्री के नजरिये से प्रबल बनाया।
राजनीतिक जीवन के साथ दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी
मूलतः शिक्षाविद् की बौद्धिक क्रियाकलापों से जुड़े डॉ मिश्र ने अपनी राजनीतिक जिम्मेवारियों के साथ दो दर्जन पुस्तकों की रचना की। उनके निर्देशन में अनेक शोधार्थियों ने विभिन्न विषयों पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त किया। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में लिखे गये उनके लेख और उनके द्वारा सम्पादित पुस्तकों में बहुआयामी दृष्टिकोण राज्य के विकास की ओर केन्द्रित था।
एक राष्ट्रीय राजनेता होने के बाद भी व्यक्तिगत व पारिवारिक संबंधों का करते थे निर्वहन
डॉ मिश्र की इस पुण्य-तिथि पर महाविद्यालय के कुलसचिव डॉ केएस शेखर ने कहा कि डॉ जगन्नाथ मिश्र एक राष्ट्रीय राजनेता होकर भी आम जनता एवं कार्यकर्त्ताओं के साथ व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंधों का निर्वहन करते थे। सभी पीढ़ी के राजनेता दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर उनका सम्मान करते थे। एक शिक्षाविद्, चिन्तक और दूरदर्शिता का सम्पुट मिश्रण ने उनके व्यक्तित्व को प्रखर और दैदीप्यमान बना दिया।
जीवन के आरंभ काल से ही विनोबा भावे के भूदान यज्ञ से थे प्रभावित
डाॅ केएस शेखर ने यह भी कहा कि डा मिश्र अपने जीवन के आरंभिक काल से ही आचार्य विनोबा भावे के भूदान यज्ञ से प्रभावित थे। जो जाति वर्ग-विहीन और सद्भावपूर्ण समाज में राम-राज की परिकल्पना को सुदृढ़ करता है, उनकी कार्यशैली में परिलक्षित था। यही कारण था कि वे श्रम साध्य काम करते हुए मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान और बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान जैसी संस्थाओं की स्थापना की। विभिन्न क्षेत्रों के बुजुर्गजन डॉ मिश्र के कार्यकाल को याद कर बतलाते हैं कि सम्पूर्ण राज्य में शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल एवं सड़कों के सुदृढ़ विकास और विस्तारीकरण उनकी ही देन है।
बिहार के औद्योगिक इकाइयों को योजनागत करने के श्रेय डाॅ मिश्र को जाता है
डाॅ केएस शेखर ने कहा कि राज्य के औद्योगिक विकास को योजनागत करने का श्रेय डॉ मिश्र को दिया जाता है। उन्होंने ब्यूरोक्रैसी में भी उच्चस्थ पदाधिकारियों को औद्योगिक प्रबंधन क्षमता प्रदान करने की उचित व्यवस्था करवाई।
1972 से 1990 तक रहे मुख्यमंत्री
इस अवसर पर डॉ एआर खान ने कहा कि सन् 1968 ई॰ में सक्रिय राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाले डॉ जगन्नाथ मिश्र 1972 ई॰ में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बनकर सन् 1990 तक उन्होंने तीन बार पदभार ग्रहण किया। सन् 1995 ई में भारत सरकार में ग्रामीण विकास एवं कृषि मंत्री बने। शीर्षस्थ राजनीतिक पद और कैबिनेट मंत्री के तौर पर उन्होंने आम जीवन की
समस्याओं को सूक्ष्म दृष्टि से अवलोकन कर अपने लेखों और व्याख्यानों के माध्यम से समाधानपरक विचार प्रस्तुत किए। डॉ मिश्र अपने संवेदना और भाव प्रवणता से आमजनों की आशाओं की रक्षा करते थे।
लेप्रोशी मिशन में इलाजरत मरीजों को उपलब्ध कराया भोजन
महाविद्यालय की ओर से उनकी पुण्य-तिथि पर मुजफ्फरपुर स्थित लेप्रोसी मिशन अस्पताल में भर्त्ती इलाजरत मरीजों को दिन-रात के भोजन आदि का प्रबंध किया गया है।
इस अवसर पर महाविद्यालय के डॉ शंकर कुमार सिंह झा, डॉ विभवेन्द्र पाठक, डाॅ आइबी लाल, डाॅ रेशमी सिंहा, डाॅ रीमा, नवीन कुमार, अमरेंद्र शेखर, मो अख्तर अंसारी सहित सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी मौजूद थे।