समस्तीपुर : मध्यावधि मौसम पूर्वानुमान ग्रामीण कृषि मौसम सेवा , डाॅ आरपीसीएयू , पूसा समस्तीपुर एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 02-06 फरवरी , 2022 तक के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार : सक्रिय पश्चिमी विछोभ के प्रभाव से अगले 2 - 3 दिनों ( 48 - 72 घंटों में ) मौसम में भारी बदलाव आने की सम्भावना है । जिसके कारण 3 - 4 फरवरी को आसमान में गरज वाले बादल बनने की सम्भावना है तथा उत्तर बिहार के अनेक स्थानों पर हल्की वर्षा हो सकती है। इस संबंध में मौसम वैज्ञानिक डाॅ गुलाब सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि बेगुसराई , समस्तीपुर मुजफ्फरपुर , दरभंगा तथा मधुबनी के जिलों के अनेक स्थानों पर मध्यम वर्षा भी हो सकती है । इस अवधि में अधिकतम तापमान 20 से 22 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 9 से 11 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है ।
7 से 10 किलोमीटर घंटा की रफ्तार से चलेगी हवा
पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 7 से 10 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से अगले एक - दो दिनों तक पछिया हवा उसके बाद पुरवा हवा चलने की संभावना है । सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 90 प्रतिशत तथा दोपहर में 40 से 50 प्रतिशत रहने की संभावना है ।
किसानों के लिए समसामयिक सुझाव
04 से 05 फरवरी को वर्षा की संभावना को देखते हुए किसानों को सुझाव दिया गया है कि कृषि कार्यों में सर्तकता बरतें। खड़ी फसलों में सिंचाई स्थगित रखें। फसलों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव मौसम साफ रहने पर करें ।
पिछात गेहूं में करें छिड़काव
पिछात बोयी गई गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई दें रहें हो तो 2.5 किलोग्राम जिंक सल्फेट , 1.25 किलोग्राम बुझा हुआ चुना एवं 12.5 किलोग्राम यूरिया को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से 15 दिन के अन्तराल पर दो बार छिड़काव आसमान साफ रहने पर करें ।दीमक कीट का प्रकोप फसल में दिखाई देने पर बचाव हेतु क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी दवा का 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 20- 30 किलो बालू में मिलाकर खड़ी फसलों में समान रूप से व्यवहार मौसम साफ रहने पर ही करें ।
मक्का में करें नेत्रजन का छिड़काव
रबी मक्का की फसल जिसमें धनबाल एवं मोचा आ गई हो , 40 किलोग्राम नेत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेशन वर्षा उपरान्त करें । इस समय आम एवं लीची में मंजर आने की संभावना अधिक रहती है । अतः किसान भाई अपने आम एवं लीची के बागानों में किसी भी प्रकार का कर्षण किया नहीं करें । इन बगानों में जहाँ दीमक की समस्या हो , क्लोरपाईरिफॉस 20 ईसी प्रति 2.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर मुख्य तने एवं उसके आस - पास की मिट्टी में छिड़काव करने से दीमक की उग्ररता में कमी आती है । मधुआ एवं दहिया कीटों का प्रकोप कम करने के लिए वृक्षों में इमिडाक्लोप्रीड 17 .8 एसएल अथवा साइपरमेथ्रीन 10 ईसी प्रति 1.0 मिली ली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर समान रूप से छिड़काव मौसम साफ रहने पर ही करें।
घुलनशील गंधक ( सल्फर ) 80 डब्लूपी प्रति 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर पत्तियों पर समान रूप छिड़काव करने से आने वाले समय में पौउड्री मिल्डेव की उग्रता में कमी आती है ।
आलू की तैयार फसल की करे खुदाई
आलू की अगात प्रभेद की तैयार फसलों की खुदाई कर लें । बीज वाली फसल की ऊपरी लत्ती की कटाई कर लें तथा खुदाई के १५ दिनों पूर्व सिंचाई बन्द कर दें पिछात आलू की फसल में कटवर्म या कजरा पिल्लू की निगराणी करें ।आलू की फसल में शुरुआती अवस्था से कंद बनने की अवस्था तक यह कीट फसल को नुकसान पहुँचाती है । उपचार हेतु क्लोरपायरीफॉस 29 ईसी दवा का 2.5 से 3 मिली प्रति लीटर पानी की दर से से घोल बनाकर छिड़काव मौसम साफ रहने पर ही करें । मटर में फली छेदक कीट की निगराणी करें । इस कीट के पिल्लू फलियों में जालीनूमा आवरण बनाकर उसके नीचे फलियों में प्रवेश कर अन्दर ही अन्दर मदर के दानों को खाती रहती हैं । एक पिल्लू एक से अधिक फलियों को नष्ट करता है । अक्रांत फलियाँ खाने योग्य नही रह जाती , जिससे उपज अत्यधिक आती है । कीट प्रबन्धन हेतु प्रकाश फंदा का उपयोग करें । 15 - 20 टी आकार का पंछी बैठका ( दई पर्चर ) प्रति हेक्टर लगावें । अधिक नुकसान होने पर क्वीनालफास 25 ईसी या नोवाल्युरॉन 10 ईसी का 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव मौसम साफ रहने पर ही करें ।
गरमा मौसम की सब्जियों के लिए करें खेतों की तैयारी
गरमा मौसम की सब्जियों जैसे- भिन्डी , कद्दू , कदिमा , करेला , खीरा एवं नेनुआँ की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें । सब्जियों की स्वस्थ एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए सड़ी - गली गोबर खाद का प्रबंध करें । 150 - 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर खाद की मात्रा पूरे खेत में अच्छी प्रकार विखेरकर मिला दें । कजरा ( कदुआ ) पिल्लू से होने वाले नुकसान से बचाव हेतु खेत की जुताई में क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी दवा का इस कीट के पिल्लू रात्री के समय निकलकर इन सब्जियों की छोटे - छोटे उग रहे पौधो पर चढ़कर पत्तियों तथा कोमल शाखाओं को काटकर खाती है एवं जमीन पर गिरा देती हैं। जिससे पूरा पौधा ही सूख जाता है । 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 20 - 30 किलो बालू में मिलाकर व्यवहार करें ।पिछले माह रोपी गई प्याज में खर - पतवार निकालें एवं कम दिनों के अन्तराल पर हल्की सिंचाई करते रहें । प्याज में कीट एवं रोग - व्याधि का निरीक्षण करें ।