पकड़े गए मूर्ति तस्कर नालंदा, बोधगया, पटना, कटिहार एवं नवादा जिले के निवासी
गया : बिहार के गया पुलिस ने मूर्ति तस्कर गिरोह का भंडाफोड़ किया है। नेपाल के रास्ते विदेशों में भगवान बुद्ध की मूर्ति को बेचने का कारोबार पिछले 10 वर्षो से चल रहा था। गिरोह से जुड़े पांच मूर्ति तस्कर को गया पुलिस ने धर दबोचा है। पकड़े गए गिरोह के सदस्य बिहार के अलग-अलग जिले के रहने वाले हैं, जो ज्ञान की भूमि पर मूर्ति को डील करने के लिए बोधगया में एकत्रित हुए थे। सूचना पर पुलिस ने कार्रवाई की है।
तस्करों का संबंध नेपाल से भी
इसे खुलासा करते हुए नगर पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार एवं एसडीपीओ बोधगया अजय कुमार ने सोमवार को प्रेस वार्ता में बताया कि पकड़े गए मूर्ति तस्कर बहुत शातिर हैं, इनका संबंध बिहार के अलग-अलग-अलग जिले के साथ-साथ नेपाल और विदेशों के मूर्ति तस्कर गिरोह से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि पकड़े गए मूर्ति तस्कर में नालंदा जिले के सिलांव थाना क्षेत्र सिमा गांव निवासी मो.श्मशाद आलम, गया जिले के बोधगया थाना क्षेत्र के मस्तपुरा गांव निवासी घूंघर चौधरी, पटना जिले के उसरी दानापुर थाना क्षेत्र के अमित कुमार, कटिहार जिले के ड्राइवर टोला निवासी अरविंद दास एवं नवादा जिले के बुंदेलखंड थाना क्षेत्र के अफतलनगर गांव निवासी मो.साेनू शामिल है। ये सभी बोधगया के मस्तपुरा गांव में घूंघर चौधरी के घर पर मूर्ति खरीदने के लिए एकत्र हुए थे। इसकी सूचना पर एसएसपी हरप्रीत कौर के निदेश पर डीएसपी बोधगया के नेतृत्व में बोधगया थानाध्यक्ष रूपेश कुमार सिन्हा को लेकर एक टीम बनाई थी, जहां कार्रवाई करते हुए पांचों मूर्ति तस्कर को धर दबोचा गया। इन मूर्ति तस्करों के पास से भूमि स्पर्श मुद्रा में बैठे हुए भगवान बुद्ध की चार मूर्तियां मिली। इसी तरह पदमासन मुद्रा में बैठे हुए भगवान बुद्ध की एक मूर्ति, मथुरा शैली की भगवान बुद्ध का सिर का एक मूर्ति मिला है। साथ हीं चार मंदिर के प्राचीन स्तूप भी मिले हैं। इस तरह से छह मूर्ति और चार प्राचीन स्तृप बरामद की गई है। सिटी एसपी ने ब ताया कि इन तस्कारों के पास से तीन मोबाइल बरामद किए हैं, मोबाइल में अति प्राचीन मूर्ति की तस्वीर अंकित है। साथ हीं एक कार बरामद किया गया है। उन्होंने बताया कि मूर्ति पटना से बोधगया मूर्ति खरीदने के लिए आए थे। पूछताछ में पुलिस को बताया कि एक मूर्ति का कीमत छह लाख रुपये में तय हुआ था, बड़ा मूर्ति 13 लाख रुपये में सौदा हुआ था। उसकी खरीदारी के लिए आए थे। यह भी बताया कि अति प्राचीन मूर्ति को नेपाल के रास्ते अंतरर्राष्ट्रीय बाजार में ऊंचे दामों में बेचते हैं। जहां बड़ा सौदा होता है। बरामद मूर्ति की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत, किस काल खंड की है, इसके लिए गया संग्रहालय में पुरातत्व विभाग से संपर्क साधा गया है।