व्यक्तिगत स्वच्छता एक नारी का पूरा अधिकार
पटना : प्रत्येक वर्ष 28 मई को विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस मनाया जाता है. माहवारी पर लोगों को जागरूक कर महिलाओं को उनका सम्मान देने के लिए इसका आयोजन किया जाता है. इसी कड़ी में सहयोगी संस्था अभी से ही माहवारी स्वच्छता पर आम जागरूकता बढ़ाने में जुट गयी है. गुरूवार को सहयोगी संस्था ने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में किशोरियां के साथ माहवारी स्वच्छता पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया. जिसमें 90 से अधिक किशोरी, शिक्षिका नीलू एवं संजू सहित विद्यालय की वार्डन सोनी भी शामिल हुयी.
बदलाव के लिए किशोरों की भूमिका महत्वपूर्ण:
सहयोगी संस्था की निदेशिका रजनी ने बताया कि किसी भी बदलाव की शुरुआत आवाज बुलंद करने से ही शुरू होती है. विशेषकर जब युवाएं एकजुट होकर किसी मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखते हैं तो बदलाव की बुनियाद और मजबूत हो जाती है. माहवारी स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर लोगों की चुप्पी के कई अर्थ हैं. हमारा समाज महिलाओं को सभी तरह के अधिकार दिलाने की दुहाई करता दिखता तो है, लेकिन जब माहवारी स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण विषय पर जागरूकता बढ़ाने की बात आती है तो वही समाज इसे पर्दे की चीज कहकर दरकिनार भी कर देता है. परिवार एवं समाज का निर्माण हम सब से ही मिलकर हुआ है, जिसमें सबसे अधिक संख्या अभी भी युवाओं की है. उन्होंने बताया कि माहवारी आने पर समाज में कई अंध-विश्वास अभी भी व्याप्त है. माहवारी होने पर मेकअप नहीं करना, पूजा-पाठ नहीं करना, छूने से मना करना जैसे कई भ्रांतियां माहवारी स्वच्छता की जरूरत को कमजोर कर देती है. जिसके कारण महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्या भी आती है. इस लिहाज से युवाओं को इस मुद्दे पर जोड़ना जरुरी है. इसलिए सहयोगी संस्था ने इस दिशा में पहल करते हुए किशोरियों को एक साथ जोड़कर माहवारी स्वच्छता पर लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि गुरूवार से ही इस मुहिम की शुरुआत कर दी गयी है. इस मुहिम को प्रभावी बनाने के लिए सहयोगी निरंतर प्रयास कर रही है.
माहवारी से नफरत करना छोड़ें:
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की शिक्षिका नीलू ने कहा कि माहवारी से नफरत करना सभी को छोड़ना होगा. यही अगले पीड़ी के लिए रास्ता है. उन्होंने कहा कि माहवारी गहराई में एक नए जीवन को प्रदान करने की तैयारी है. इसे इसी रूप में लिया जाना चाहिए.
माहवारी पर खुल के बोलना जरुरी:
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की शिक्षिका संजू ने कहा कि माहवारी पर चुप्पी की जरूरत नहीं है. यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. यह एक किशोरी एवं महिला को माँ के स्वरुप प्रदान करने के लिए जरुरी है. समाज में इसको लेकर अभी भी कई भ्रांतियां है, जिसे तोड़ने की जरूरत है. प्रकृति द्वारा लड़कियों को सबसे मजबूत रूप में ही चुना गया है. तभी तो वह माहवारी को आसानी से सह लेती है. उनके अनुसार माहवारी की अवधि को एक उत्सव के रूप में देखने और मनाने की जरूरत है. इससे लोगों के मन में इसके प्रति सोच भी बदलेगी और समाज में जागरूकता भी आएगी.