मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में गुरुवार को एक कार्यशाला सह प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। डेंगू, चिकनगुनिया तथा फाइलेरिया एमएमडीपी प्रशिक्षण पर जिले के एमबीबीएस, आयुष तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला में जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने बताया कि बरसात के बाद साफ पानी जमने के दौरान उसमें डेंगू के लार्वा उत्पन्न होते हैं। ऐसे में डेंगू के संक्रमण का खतरा उत्पन्न हो जाता है। अभी का मौसम इस लार्वा के बढ़ोतरी के लिए सबसे उपयुक्त है, इसलिए समय रहते इसका प्रबंधन जरूरी है। डेंगू के मरीजों के लिए सदर में 10 तथा प्रत्येक पीएचसी पर दो बेड मच्छरदानी के साथ उपलब्ध है। वहीं उचित दवा की व्यवस्था भी है। कार्यशाला के दौरान सिविल सर्जन डॉ यूसी शर्मा ने कहा कि डेंगू में स्वउपचार हानि कर जाता है। डेंगू में स्वास्थ्य असामान्य होते ही सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर लोगों को आना चाहिए क्योंकि इसमें लक्षण आधारित इलाज होता है।
एनएस 1 किट टेस्ट मान्य नहीं
डॉ सतीश ने बताया कि एनएस 1 किट से कभी भी डेंगू की जांच नहीं करनी है। सरकार के नियमों में सिर्फ एलिसा टेस्ट ही इसके लिए मान्य है। यह टेस्ट एसकेएमसीएच तथा सदर में उपलब्ध है। इस वर्ष अभी तक एक मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई है। एनएस 1 किट से पॉजिटिव व्यक्ति को सिर्फ संदिग्ध की श्रेणी में रखा जाएगा।
एमएमडीपी किट का मिला प्रशिक्षण
डब्लू एच ओ के डॉ राजेश पांडेय ने कार्यशाला के दौरान फाइलेरिया के विभिन्न स्टेज के बारे में बताया और कहा कि स्टेज 3 से फाइलेरिया के सूजन की शुरुआत हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि एमएमडीपी किट से वह अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता का ख्याल रखे। बार - बार ठंडे सामान्य पानी से पैर को धोए। किट में मिले मलहम को उस पर लगाए। इससे सूजन में बहुत आराम मिलता है। डॉ सतीश ने कहा कि प्रत्येक पीएचसी पर प्रत्येक मंगलवार को फाइलेरिया क्लीनिक लगता है, जिसके दौरान एमएमडीपी किट का वितरण भी होता है। मौके पर जोनल मलेरिया ऑफिसर डॉ बीके सिंह, पुरुषोत्तम कुमार, पीरामल के सोमनाथ ओझा सहित अन्य लोग मौजूद थे।