Wednesday, July 03 2024

नटवर साहित्य परिषद के कवि गोष्ठी में बहती रही गीत- ग़ज़लों की बयार

FIRSTLOOK BIHAR 15:12 PM बिहार

मुजफ्फरपुर। शहर के श्री नवयुवक समिति के सभागार में नटवर साहित्य परिषद की ओर से रविवार को मासिक कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया गया। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि नरेन्द्र मिश्र, मंच संचालन सुमन कुमार मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया। कवि गोष्ठी की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री की गीत से किया गया।

कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने भोजपुरी - टिकुलिया तरके बिन्दियां चमकेला बरिजोर , गोरी अंचरवा तर मुखरा छुपाई चल सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी।

ओम प्रकाश गुप्ता ने- होती है कीमत लफ्जों की, बातें ज्यादा मत करना सुनाकर तालिया बटोरी। सुमन कुमार मिश्र ने- बरसो मेरे गांव में जलधर अमन चैन का बादल बनकर सुनाकर भरपूर दाद बटोरी।

डाॅ. नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने ग़ज़ल - नज्जारों से आगे नजर और भी है, अभी इश्क का कुछ असर और भी है सुनाकर भरपूर दाद बटोरी।

उषा किरण श्रीवास्तव- हाथ रंगल मेहदी के रंग में, अपटन सरसों मेथी के सुनाकर तालिया बटोरी।

डाॅ. जगदीश शर्मा ने- अजब गजब के परिधान बने निराले है सुनाया।

नरेन्द्र मिश्र ने- थका बटोही सूरज ढलता सुनाया। अंजनी कुमार पाठक ने - खून गरीबों का मत चूसो, भारत मां के है ये वंशज सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी।

सविता राज ने - दर्द आंसू या घुटन जो भी रहे, बन नदी बहती रही है बेटियां सुनाकर भरपूर दाद बटोरी।

रामबृक्ष राम चकपुरी ने- कानूनी छिद्रों से मजलूमों को इंसाफ नहीं नाइंसाफी का खतरा बढ गया सुनाकर तालियां बटोरी।

आशा कुमारी ने- हमारी राष्ट्र भाषा है हिन्दी सुनाई।

सुश्री मुन्नी चौधरी ने- तुम हो मन की अनुभूति सुनाई। मुस्कान केशरी ने- शादी सबको करना है सुनाकर तालियां बटोरी।

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