छपरा : जेपी के गांव को बाढ़ और कटाव से बचाने के लिए सारण सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने 2018 में बड़ी पहल की थी जिसके तहत बिहार और यूपी की संयुक्त परियोजना रिंग बांध की नींव पड़ी थी। इसमें न सिर्फ बिहार का इलाका बल्कि यूपी के गांव भी शामिल हुए। सांसद के प्रयास से जेपी के गांव के यूपी और बिहार के दोनों भाग को बचाने के लिए कुल 125 करोड़ की परियोजना बनी। इसके तहत बिहार सीमा में कुल चार किमी में घाघरा के किनारे कुल 85 करोड़ का बजट से रिंग बांध का निर्माण कार्य पूरा कराया गया। वहीं उत्तर प्रदेश के हिस्से का करीब दो सौ मीटर का काम कोर्ट में केस की बजह से लटका हुआ है।
सरयू नदी में कटाव से विलीन हो रहे घर
अब सांसद रुडी ने इस बांध को पूरा कराने के लिए एक बार फिर अपने प्रयास तेज कर दिये है। इसी संदर्भ में सांसद ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से लखनऊ स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की। मालूम हो कि संपूर्ण आंदोलन के नेता जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली सिताबदियारा का अस्तित्व वर्ष 2017 में मिटने की कगार पर था। सरयू नदी के लगातार कटाव से एक से एक पक्के मकान नदी में विलीन हो रहे थे। ऐसे समय मे सांसद रुडी के सार्थक प्रयास से रिंग बांध की बिहार और यूपी की संयुक्त परियोजना के निर्माण पर निर्णय हुआ था और वर्ष 2019 में बिहार की तरफ यह बांध बन कर तैयार हो गया जिससे कटाव को रोका जा सका।
रिंग बांध पूरा नहीं होने से कटाव
पूर्व केंद्रीय मंत्री सह सांसद रुडी ने मुख्य सचिव को बताया कि यूपी वाले हिस्से में रिंग बांध का कार्य पूरा न होने के कारण बाढ़ से सिताब दियारा जलमग्न हो गया है। सिताब दियारा के जेपी ट्रस्ट तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश की ओर से रिंग बांध पूरा नहीं होने के कारण पानी सिताब दियारा के रामेश्वर टोला में भी प्रवेश कर गया है। सिताब दियारा के रामेश्वर टोला के खेतों में पानी प्रवेश करने के कारण फसल बर्बाद हो गया है। जेपी ट्रस्ट तक के सड़क तक पानी पहुंच गया है। कोर्ट केस में एक पक्ष राज्य सरकार भी है इसलिए राज्य सरकार की ओर से सांसद को आश्वस्त करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि इस इस विवाद का शीघ्र ही निपटारा किया जायेगा। मालूम हो कि यूपी सीमा में रिंग बांध का कार्य दो भा में पूरा होना था जिसमें कुल 40 करोड़ रूपये खर्च होने थे। परन्तु बलिया के अठगांवा गांव के पास करीब दो सौ मीटर में स्थानीय जमीन दाता के कोर्ट में जाने के कारण काम ठप है।