मुजफ्फरपुर : रामदयालु सिंह महाविद्यालय, मानविकी संकाय, बी.आर.अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय एवं अभिधा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर के संयुक्त तत्वावधान में रामदयालु सिंह महाविद्यालय के सभागार में रविवार को द्वि- दिवसीय संगोष्ठी के दूसरे दिन प्रथम सत्र में प्रखर आलोचक प्रो मदन कश्यप की अध्यक्षता में वर्तमान समय में पत्रकारिता की चुनौतियां विषय पर विचार-विमर्श हुआ अपने उद्घाटन-भाषण में प्रख्यात पत्रकार एवं फिल्म निर्माता अविनाश दास ने कहा कि पत्रकारिता की रक्षा अब कर्तव्य से ही होगी, अब कला का कोई काम नहीं रहा चाहे कैसी भी विपरीत परिस्थिति हो प्रतिपक्ष के लिए जगह बन ही जाती है
पत्रकारिता की शुरुआत ही प्रतिरोध से हुई है
मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो.सतीश राय ने अपने वक्तव्य में पूर्व के विद्वान वक्ता के वक्तव्य में आगे की कड़ी जोड़ते हुए पत्रकारिता की समृद्ध विरासत को रेखांकित करते हुए उसके महत्व पर प्रकाश डाला
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की शुरुआत ही प्रतिरोध से हुई है आजकल के पूर्व संपादक कवि-पत्रकार राकेश रेणु ने कहा कि 2019 के पहले तक सोशल मीडिया भ्रामक प्रचार का माध्यम बन गई थी
आजादी के बाद पत्रकारिता के स्तर में आई गिरावट
एल.एन.एम.यू. के विद्वान प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि डिजिटल मीडिया आज भी मध्य वर्ग तक ही सीमित है, गांवों में आज भी अखबार का क्रेज है किन्तु अखबारों की भाषा में व्याकरण पर ध्यान नहीं दिया जाता बनारस हिन्दू वि.वि.के प्रो.नीरज खरे ने इस बात पर जोर देकर कहा कि आजादी के बाद पत्रकारिता के स्तर में गिरावट आई है कवि संजय पंकज ने अखबारों के माध्यम से खलनायक को नायक बना देने की परिपाटी की निंदा की
सत्ता पक्ष की चाटुकारिता से सहमतियों का विनिर्माण बदस्तूर जारी है
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रख्यात कवि मदन कश्यप ने कहा कि पत्रकारिता की भाषा में कल्पना-शक्ति का ह्रास हुआ है