मुजफ्फरपुर :
तिरहुत स्नातक विधान परिषद उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आज राकेश रौशन ने नामांकन पत्र दाखिल किया। नामांकन भरने के बाद समर्थकों के बीच एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में समर्थकों की उपस्थिति रही।
नामांकन के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते राकेश रौशन ने कहा कि उनका उद्देश्य युवाओं, छात्रों और शिक्षित वर्ग की आवाज़ को एक सशक्त राजनीतिक मंच देना है। उन्होंने कहा कि मैं समाज के हर वर्ग का सहयोग चाहता हूँ ताकि हम एक साथ प्रगति की दिशा में कदम बढ़ा सकें। इसके अलावा, राकेश रौशन ने ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के लक्ष्य पर जोर दिया, लेकिन उन्होंने गठबंधन की सीमाओं को इस दिशा में रुकावट बताया और बिहार के दुर्दशा के लिए गठबंधन की राजीनीत पर भी प्रश्न उठाये।
उन्होंने कहा कि गठबंधन की राजीनीति के कारण यह संभव नहीं था कि वह चुनाव यहाँ से लड़ कर अपने लोगो की मदत कर पाये इस वजह से उन्होंने लोजपा (रामविलास) के प्रदेश उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिया एवं चुनाव में उतरने का निर्णय लिया।
माडर्न रावण से तिरहुत को बचाना है
श्री राकेश ने कहा कि रामविलास पासवान के सिध्दांतो पर काधधम करते हुए बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट एजेंडा को तिरहुत में लागू करूँगा। गठबंधन में रह कर तिरहुत की बात नहीं की जा सकती थी इसलिए तिरहुत को विनाश से बचाने के लिए गठबंधन से ख़ुद को दूर किया।उन्होंने कहा कि रावण रूपी लोग तिरहुत में लूटते आये हैं, इसलिए मॉडर्न रावण से तिरहुत को बचाना है। तिरहुत में बाहरी लोगो का कब्जा है इसलिए तिरहुत के विकास की राजनीति मेरी पहली प्राथमिकता होगी। इस बार तिरहुत नतीजा सबको हैरान करने वाला होगा।
तेजस्वी यादव के विरोध में राघोपुर से लड़ चुके हैं चुनाव, लाये थे 25 हजार वोट
राकेश रौशन ने हाल ही में लोजपा रामविलास के प्रदेश उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिया था और अपनी राजनीति तिरहुत के विकास लिए करने की घोषणा की थी। राकेश के 28000 स्नातक मतदाताओं अपने पंजीकरण कर साथ दिया है जिसके कारण उप चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है। राकेश रौशन बिहार के लोकप्रिय नेता स्वर्गीय बृजनाथी सिंह के बेटे हैं और 2020 विधानसभा चुनाव में राघोपुर विधानसभा में तेजस्वी यादव के खिलाफ 25,000 वोट लाकर सबको चौंका चुके हैं।
नामांकन दाखिल के दौरान बड़ी संख्या में समर्थक उनके साथ थे। समर्थकों का कहना है कि राकेश रौशन तिरहुत स्नातक क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीद बनकर उभरे हैं और उनके नेतृत्व से क्षेत्र को नई दिशा मिल सकती है। इस चुनाव में स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा भी उठ रहा है।